(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Railways Freight Scam: फिटकरी बताकर 100 मालगाड़ियों से भेजा मार्बल पाउडर, रेलवे को 40 करोड़ का चूना लगने की आशंका, सीबीआई जांच जारी
Kota News: राजस्थान के कोटा रेलवे मंडल की सीबीआई जांच में बड़ा माल भाड़ा घोटाला सामने आया है. इसे लेकर रेलवे को करीब 40 करोड़ रुपये का चूना लगने की आशंका जताई जा रही है.
Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) के कोटा रेलवे मंडल (Kota Railway Division) में सीबीआई (CBI) की टीम ने जांच कर एक घोटाले (Scam) के ममाले में कई अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की है. जानकारी के अनुसार, 40 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की आशंका जताई जा रही है. यह घोटाला मार्बल पाउडर भेजने से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, जिसे फिटकरी पाउडर बताकर भेजा गया है. बताया जा रहा है कि ऐसी करीब 100 मालगाड़ियां कोटा से असम के गुवाहाटी भेजी गईं हैं.
सीबीआई की टीम जांच में सामने आया कि यह पूरा काम एक फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. माल को कोटा रेल मंडल के भरतपुर, कोटा, रावठा रोड और मांडलगढ़ माल गोदाम से आसाम गुवाहाटी भेजा गया है. मालगाड़ी में एलम पाउडर नहीं भेजा गया है, इसकी जगह पर मार्बल पाउडर ही भेजा गया है जबकि रेलवे में ऑनलाइन रैक बुक होने के बाद ही यह माल भरा जाता है. सीबीआई के राडार पर 20 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं. इस पूरे गड़बड़झाले के चलते रेलवे को करीब 40 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचने की आशंका है.
ऐसे लगाया गया रेलवे को करोड़ों का चूना
सूत्रों के अनुसार इन मालगाड़ियों में फिटकरी के नाम पर मार्बल पाउडर भेजा गया है जबकि फिटकरी भेजने का किराया 1,200 रुपये प्रति टन है, वहीं मार्बल पाउडर का किराया 2,800 से 2,900 रुपये प्रति टन है. एक मालगाड़ी में 60 डिब्बे होते हैं और एक डिब्बे में 42 टन से ज्यादा माल आता है. इन मालगाड़ियों में मार्बल पाउडर भेजा गया है. एक मालगाड़ी से किराया करीब 70 लाख 56 हजार रुपये मिलना था जबकि फिटकरी पाउडर की दर से 30 लाख 24 हजार रुपये मिला है. ऐसे में एक मालगाड़ी में करीब 40 लाख 32 हजार रुपये से ज्यादा का नुकसान रेलवे को होने की आशंका है.
सूत्रों का कहना है कि अभी एक साल के रिकॉर्ड की जांच की गई है और स्टाफ से भी पूछताछ कर मौके से पाउडर के सैंपल लिए गए हैं. अभी तक करीब 100 गाड़ियों से भेजे गए ऐसे माल की पुष्टि हुई है लेकिन अब भी जांच जारी है. जांच में मालगाड़ियों की संख्या ज्यादा भी निकल सकती है. सिस्टम में नीचे के छोटे कर्मचारियों से लेकर ऊपर बड़े अधिकारियों तक पूरी चेन बनी हुई है. इसके जरिये केवल एक ही फर्म को फायदा हुआ है.
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विजिलेंस और रेल लेखा विभाग को भनक क्यों नहीं लगी?
सीबीआई के 10 से 15 सदस्यों की टीम ने एक साथ भरतपुर, कोटा और मांडलगढ़ में जांच की थी. सीबीआई की टीमों ने मौके से कागजातों को जब्त कर लिया है. अब इन कागजातों के आधार पर ही आगे की जांच की जाएगी. दूसरी तरफ रेलवे में इस पूरी कार्रवाई की चर्चा जोर शोर से हो रही है. कोटा से लेकर पश्चिम-मध्य रेलवे के हेड क्वार्टर जबलपुर तक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है.
लंबे समय से चल रहे इतने बड़े घोटाले की भनक आखिर विजिलेंस और रेल लेखा विभाग को क्यों नहीं लगी, रेलवे के लेखा और विजिलेंस ने अपनी जांच में किसकी गलती मानी थी, इस मामले में पहले शिकायत भी सामने आई थी जिस पर रेलवे पहले गड़बड़ी मान चुकी थी. इसमें संबंधित फर्म पर जुर्माना भी लगा दिया गया था. हालांकि, संवेदक ने इस जुर्माने को जमा कराने की जगह रेलवे ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी. रेलवे के सीनियर डीसीएम रोहित मालवीय का कहना है कि यह एक नॉर्मल जांच थी, एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाकर कोटा की विजिलेंस और सीबीआई की टीम ने एक नॉर्मल इंक्वायरी की है और कुछ लोगों से पूछताछ की गई है. इस पूरे मामले को एक रेगुलर चेकिंग बताया गया है.
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