Multidimensional Poverty in Rajasthan: राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (NITI) ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के बहुआयामी विकास को लेकर डिस्कशन पेपर जारी किया है. इस पेपर के मुताबिक, राज्यों ने रोजगार, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं जैसे कई अहम बिंदुओं का विकास करके भारत को विकसित देशों की श्रेणी में ला खड़ा करने के लिए ऐतिहासिक प्रगति की है. हालिया दिनों में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद और आयोग के सीनियर एडवाइजर योगेश सूरी ने यूनाईटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉलिसि एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) के शोध के आधार पर एक डिस्कशन पेपर जारी किया है.


इसमें भारत के सभी केंद्र शासित और राज्यों के आंकडे़ जारी किए गए हैं.  इस रिसर्च पेपर के मुताबिक, भारत के सबसे अधिक गरीब राज्यों ने पिछले कुछ सालों में अभूतपूर्व प्रगति की है. इसमें बताया गया है कि भारत में पिछले 9 सालों में करीब 24.82 करोड़ लोगों ने गरीबी के अभिशाप से मुक्ति पाई है. इस दौरान देश के चार राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान ने सबसे अधिक बहुआयामी गरीबी को पीछे छोड़ा. बहुआयामी गरीबी के आंकड़े में जिन राज्यों का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा के साथ राजस्थान भी शामिल है. गरीबी से मुक्ति के आंकड़ों में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाद सबसे तेज सुधार राजस्थान ने ही किया है. 


राजस्थान में गरीबी का आंकडे़
साल 2005-06 में राजस्थान की 64.67 फीसदी आबादी अलग-अलग तरह की गरीबी से ग्रसित थी. 2015-16 तक इस आंकड़े में काफी सुधार हुआ और बहुआयामी गरीबी से ग्रसित लोगों की संख्या राजस्थान में कुल आबादी का 28.86 फीसदी हो गया. वहीं पिछले 9 सालों की बात करें तो इसमें काफी सुधार हुआ है और अब यानी 2019-21 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान की सिर्फ 15.31 फीसदी आबादी ही बहुआयामी गरीबी की जंजीरों में जकड़ी हुई है. नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी इंडेक्स को लेकर जो डिसकशन पेपर जारी किया है उसके मुताबिक पिछले 9 सालों में राजस्थान के 1 करोड़ 87 लाख लोग अलग-अलग तरह की गरीबी से मुक्त हुए हैं. 


रिपोर्ट के लिए इन्हें बनाया गया आधार
गरीबी को मापने के लिए आमतौर पर आर्थिक आय पर ही ध्यान दिया जाता है, लेकिन बहुआयामी गरीबी को मापने के दौरान आर्थिक आय के अलावा भी कई पहलुओं को देखा जाता है. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और दैनिक जीवन की क्रियाओं को भी परखा जाता है. नीति आयोग के मुताबिक 12 पहलुओं के मद्देनजर ये डेटा तैयार किया गया है. इस डेटा में राजस्थान सहित भारत के कई राज्यों ने तेजी से विकास के आया तय किए हैं. इस डिस्केशन पेपर में गरीबी को कम होने की सबसे बड़ी वजहों सरकार द्वारा चलाए जा रही योजनाओं को वजह बताया गया है. 


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