Rajasthan News: राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण की रफ्तार कमजोर हो गई है. प्रदेश के 12 जिले ऐसे हैं जो इस योजना में पिछड़ गए हैं और इनमे 3 जिले दौसा, झुंझुनूं, राजसमंद ऐसे हैं जिनका काम शून्य है. वहीं, सीकर, धौलपुर, जयपुर, बूंदी, पाली, चूरू, नागौर, डूंगरपुर, बारां में आवासों का काम पूरा नहीं हुआ है. योजना में लापरवाही सामने आने के बाद ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने इसे लापरवाही की श्रेणी में मानते हुए अधिकारियों को काम शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहां है कि ऐसे अधिकारी जिन्हें शत-प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के निर्देश दिए हैं वह आवासों को जल्दी बनवा दें ताकि गरीबों को आवास मिल सके. उनकी लापरवाही से कई परिवार बिना आवास के ना रह सकें. ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर पंचायत राज विभाग ने कार्रवाई का मन बना लिया है.
अधूरे पड़े है निर्माण
ग्रामीण विकास मंत्री रमेश मीणा का कहना है कि लंबित मामले पूरे कराने के लिए अधिकारियों को कहा है. कुछ आवास निर्माण में स्वामित्व, भूमि आदि से जुड़े विवाद भी सामने आए थे. जिसके चलते निर्माण पूरा नहीं हो सका, लेकिन अन्य मामलों में अधिकारियों की लापरवाही बरती गई है उन्हें अल्टीमेटम दे दिया गया है. दोबारा लापरवाही बर्दाश्त की कोई गुंजाइश नहीं होगी. उन्होंने बताया कि अक्टूबर के अंत में इसका विभागीय रिव्यू होगा, इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग कार्रवाई की दिशा तय करेगा. प्रदेश में वर्ष 2016 से 2021 के लंबित पड़े करीब 59,402 स्वीकृत आवासों के निर्माण का मामला है. जो अभी तक अधरझूल में है. अगस्त में बैठक कर यह तय किया था कि सितंबर में ये काम पूरे कराए जाएंगे, लेकिन रिव्यू में खुलासा हुआ है कि 1857 का काम ही पूरा हो सका है.
लोगों ने की जल्द आवास बनाने की मांग
दौसा, झुंझुनूं, राजसमंद, सीकर, धौलपुर, जयपुर, बूंदी, पाली, चूरू, नागौर, डूंगरपुर, बारां में पीएम आवास योजना में बरती गई लापरवाही को लेकर जनता में भी आक्रोश दिखाई दे रहा है. बूंदी के नैनवा निवासी पीएम आवास योजना के परिवार जनों ने बताया कि आवास में नाम आने के बाद भी अभी तक आवास नहीं बन सके हैं. अधिकारियों और पंचायत में लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारी गोल-गोल जवाब दे देते हैं. जिसका खामियाजा में भुगतना पड़ रहा है.
Agriculture Scheme: राजस्थान में छात्राओं के लिए खुशखबरी, एग्रीकल्चर पढ़ने पर मिलेंगे 15 हजार रुपये