Rajasthan News: राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की कई परीक्षाएं चर्चा में हैं. इसे लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. पिछले दिनों कई बार आंदोलन भी किए जा चुके हैं. ऐसे में नेताओं के साथ-साथ छात्रों ने भी कमर कसी है. इसी बीच राजस्थान के चर्चित आईपीएस पंकज चौधरी ने अपनी 15 साल पुरानी बात साझा की है. उन्होंनें बताया कि कैसे चयन होने से पहले उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.


उन्होंने कोर्ट में खुद अपना मामला रखा और जीत मिली. पंकज साल 2009 के आईपीएस अधिकारी हैं. उनका इस बात को बताने के पीछे बस एक ही मकसद है कि छात्रों और युवाओं को नैतिक साहस मिले और वो हार न माने. साथ ही युवा अपने अधिकारों को पाने के लिए सही दिशा में काम करें. आईपीएस पंकज चौधरी ने अपनी एक पुरानी घटना का जिक्र किया. उन्होंने बताया, "बात वर्ष 2008 की है, जब मैं भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में था. देश मेंं लगभग सभी लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं दिया करते थे."


प्रवेश पत्र नहीं आया
उन्होंने बताया कि उसी दौरान मैनें उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास कर मुख्य परीक्षा के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर पोस्ट ऑफिस से मेंस का फॉर्म आखिरी तारीख के 10 दिन पहले भेजा. कुछ दिनों बाद मुझे पता चला कि मेरे कई साथियों को मुख्य परीक्षा की तारीख और प्रवेश पत्र भेज दिए, लेकिन मेरा प्रवेश पत्र नहीं आया इसके बाद मैनें तत्काल आयोग में पता किया. वहां से मुझे सूचना मिली की मेरा मुख्य परीक्षा का फॉर्म आयोग नहीं पहुंचा, इसलिए मुझे प्रवेश पत्र नहीं भेजा गया है. साथ ही कहा गया कि अब मैं परीक्षा में नहीं बैठ सकता.


आयोग ने ही की थी गड़बड़ी
आईपीएस चौधरी ने बताया कि ये सुनकर मुझे धक्का लगा कि इतनी मेहनत के बाद ये क्या हो गया. फिर मैनें पोस्ट ऑफिस जाकर पता किया, तो उन्होंने बताया कि तीन से चार दिन में रजिस्ट्री पहुंच जाती है. इसके बाद मुझे समझ आ गया कि आयोग ने ही गड़बड़ी कर दी है. चूंकि, मैं पूर्व में दो बार इंटरव्यू तक पहुंचा, लेकिन इस बार मुझे मुख्य परीक्षा देने से ही रोक दिया गया था. उसी दौरान आयोग के सचिव से मिलने के बाद मेरी तीखी बहस भी हुई. 


 कोर्ट में उतरना पड़ा 
पंकज चौधरी बताते हैं कि इसके बाद आयोग के ही एक बाबू ने सहानुभूति पूर्वक रुख रखते हुए बताया कि यहां कुछ मत कहिए और आप तुरंत कोर्ट जाएं. अब वहीं से कुछ हो सकता है. इसके बाद आनन-फानन में मेरा इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में केस लगा. अगले दिन से परीक्षा शुरू होनी थी. जज के सामने मैं खुद ही पैरवी के लिए उतर गया. जज ने पूरी बात सुनी. इसके बाद कोर्ट ने फाइल और दस्तावेज देखकर मेरा केस स्वीकार कर लिया. इसके बाद तत्काल आयोग को फैक्स पहुंचा और मेरा रोल नम्बर अलॉट हुआ.


उन्होंने बताया कि मैनें लखनऊ सेंटर पर पहुंच के परीक्षा दी. कुछ दिन बाद मुख्य परीक्षा का परिणाम आया और मैं पास हुआ. फिर इंटरव्यू के बाद फाइनल सिलेक्शन हो गया. कुछ महीने बाद मेडिकल और वेरिफिकेशन के बाद बांदा जिले में राज्य सरकार ने पदस्थापन किया. उसके अगले साल 2009 में मैं IPS के लिए उच्च रैंक पर चयनित हुआ और अंततः राजस्थान कैडर में काम कर रहा हूं. 


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