Rajasthan News: राजस्थान के सभी जिला अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली 40 तरह की महत्वपूर्ण जांच सुविधा पर एक बार फिर ब्रेक लग गया है. राज्य सरकार ने विभिन्न अस्पतालों में मरीजों को 40 तरह की गंभीर बीमारी की जांच सुविधा देने के लिए पीपीपी मोड पर एक प्राइवेट सेंटर को टेंडर दिया गया था. टेंडर की अवधि 31 अगस्त 2022 को समाप्त हो गई. अवधि समाप्त होने के बाद विभिन्न अस्पतालों में एक सितंबर से कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर की ओर से खुले जांच केंद्रों पर ताला लटक गया है.
सरकार ने जिस नई कंपनी को जांच करने का जिम्मा दिया है वह भी टेंडर राशि को लेकर कोर्ट में चली गई है. इसी कारण 4 दिन से मरीज निजी लैब पर महंगा शुल्क देकर जांच कराने को मजबूर हैं. मरीजों के लिए बेहद जरूरी थायराइड, कैंसर, किडनी, शुगर, आयरन, कल्चर, खून की कमी आदि की जांच के लिए न ता सरकार ने और न ही स्थानीय स्तर पर कोई फैसला हो पाया है. जबकि मरीजों के लिए जरूरी इन विशिष्ट जांचों को ओपीडी और आईपीडी में डॉक्टर लगातार लिख रहे हैं और वे अस्पताल में चक्कर लगाकर निजी लैबों पर पहुंच रहे हैं. वैसे सभी जिला अस्पताल में क्रिटिकल को छोड़ अन्य जांच मुफ्त की जा रही है.
40 तरह की जांच पर लगा ब्रेक
पीपीपी मोड पर जांच करने वाला सेंटर बंद होने के बाद थायरॉइड, कैंसर, विटामिट-बी 1, एफटी 3, एफटी 4, पीएसए फ्री, पीएसए टोओल, टॉर्च प्रोफाइल, इंसूलीन, सीआरपी कॉन्टीटेटीव, आइरन आदि एमूनेसे की 26 जांचें और हेमेटॉलॉजी की बोनमैरो, डब्ल्यू बीसी साइयटो कैमिस्ट्री, थैलेसिमिया एचपीएलसी व हिस्टॉपैथोलॉजी की बायोप्सी, आईएचसी, माइक्रोबायलॉजी की यूरियन सी एण्ड एस, सीएसएफ कल्चर, सेरेलॉजी की एएनए, क्लिीनिकल पैथेलॉजी की माइक्रो एल्बूमिनूरिया और सायटोलॉजी के तहत की जाने वाली जांच समेत 40 तरह की महंगी और क्रिटिकल जांचें बंद हो गई है. पीएमओ राकेश तनेजा ने बताया कि सरकार की ओर से 40 तरह की गंभीर जांचों के लिए टेंडर कराया हुआ था, लेकिन टेंडर समाप्त हो गई और नया टेंडर करा लिया गया है. क्रिटिकल को छोड़ अन्य सभी जांचें हो रही हैं. इस मामले में राज्य सरकार के स्तर पर प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही फिर से मरीजों को सुविधा मिलने की उम्मीद है.
राशि विवाद का मामला पहुंचा कोर्ट
पीपीपी मोड पर जैसे ही एक कंपनी का टेंडर खत्म हुआ तो दूसरी कंपनी को कार्य करना था, लेकिन पूरा मामला कोर्ट में पहुंच गया. वैसे सरकार ने नया टेंडर भी करा लिया है, लेकिन नई संस्था टेंडर शर्तो के तहत सिक्यूरिटी राशि करीब 11 करोड़ रुपए जमा कराने में आनाकानी कर रही है. संस्था सिक्यूरिटी राशि कम करने को लेकर कोर्ट में चली गई. अब सरकार और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सामने समस्या यह हो गई है कि पुरानी फर्म की कार्य अवधि पूर्व में 2-3 बार बढ़ चुकी है. नियमानुसार टेंडर समाप्त हो जाने से अब उसकी कार्य अवधि नहीं बढ़ाई जा सकती है. वहीं, नई फर्म टेंडर शर्तो के मुताबिक सिक्यूरिटी राशि जमा नहीं करा रही है तो वह भी काम शुरू नहीं कर रही है. इससे अब न्यायालय के आदेशों का इंतजार करना ही पड़ेगा. न्यायालय के इस संबंध में आदेश नहीं मिलने तक मरीजों को मुफ्त सुविधा के लिए इंतजार करना ही पड़ेगा.