5 साल पहले शख्स ने सिनेमाघर में पानी की बोतल के लिए चुकाए 40 रुपए, अब जो हुआ वो आप खुद पढ़ें
Rajasthan News: उदयपुर के रहने वाले पुनीत शर्मा (Puneet Sharma) 5 साल पहले साल सिनेमाघर में फिल्म देखने गए तो वहां उनसे पानी की बोतल के लिए 40 रुपए लिए गए. जाने मामले में अब क्या हुआ है.
Rajasthan Udaipur INOX Cinema Hall: आपने अक्सर इस बात का अनुभव किया होगा कि जब आप किसी भी बड़े सिनेमाघर (Cinema Hall) में फिल्म देखने जाते हैं तो वहां खाने पीने की चीजें दोगुने दाम पर मिलती हैं. लोग इससे परेशान भी होते हैं. बाहरी वस्तुओं के अंदर नहीं ले जाने के नियम की वजह से मजबूरी में चीजें खरीदनी पड़ती हैं. अब ऐसा करना एक सिनेमाघर को महंगा पड़ गया है, ये सिनेमाघर उदयपुर (Udaipur) में स्थित है. उदयपुर के रहने वाले पुनीत शर्मा (Puneet Sharma) 5 साल पहले साल 2015 में सिनेमाघर में फिल्म देखने के लिए गए थे. वहां की कैंटीन में पानी की बोतल (Water Bottle) लेने गए तो उनसे 20 रुपए की बोतल के 40 रुपए मांग लिए. मजबूरी में उन्हें ये बोतल खरीदनी पड़ी. इस पर पुनीत ने उदयपुर स्थित उपभोक्ता आयोग में आइनॉक्स सिनेमाघर (INOX Cinema Hall) के खिलाफ परिवाद पेश किया.
ग्राहकों को किया गया मजबूर
आयोग ने सुनवाई के बाद कहा कि जहां तक विपक्षी संख्या एक का जो आचरण रहा है वो ग्राहकों और दर्शकों के हितों के अनुरूप नहीं है. उसने अपने ग्राहकों को ऊंचे दाम पर पानी की बोतल या अन्य खाद्य सामग्री खरीदने के लिए मजबूर किया. वो चाहता तो ग्राहकों को पानी की बोतलें या अन्य खाद्य सामग्री अंदर ले जाने की इजाजत दे सकता था. सुरक्षा कारणों से ऐसा किया जाना संभव नहीं था तो वो ग्राहकों या दर्शकों के लिए निशुल्क पानी या कम मूल्य पर पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध करा सकता था. परन्तु उसने ग्राहकों एवं दर्शकों को अपनी खाद्य सामग्री और पानी अंदर नहीं ले जाने दिया और अपनी तरफ से भी कोई व्यवस्था नहीं की. ऐसा करके उसने अपने दर्शकों और ग्राहकों को ऊंचे दामों पर इस प्रकार की खाद्य सामग्री और पानी की बोतलें खरीदने के लिए मजबूर कर दिया.
आयोग ने की सख्त टिप्पणी
आयोग ने आगे कहा कि क्या दर्शकों को फिल्म देखने वाले थिएटरों या सिनेमा हॉल वालों का इसी प्रकार का काम शेष रह गया है. ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी रुचि फिल्म दिखाने के बजाए इस प्रकार से ऊंचे दामों पर खाद्य सामग्री एवं पेय पदार्थ खरीदने के लिए मजबूर करने का ही रह गया है. फिल्म देखने के लिए कई गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोग भी जाते हैं परन्तु उन्हें इस प्रकार से ऊंचे दामों में खाद्य सामग्री एवं पेय पदार्थ खरीदने के लिए मजबूर करना उनके साथ ना केवल ज्यादती है, बल्कि उनके हितों के विपरीत भी है.
ऐसा करना मानवता के खिलाफ
आयोग ने आगे कहा कि इस प्रकार से अपने दर्शकों एवं ग्राहकों को ऊंचे दामों में पेय पदार्थ और खाद्य सामग्री खरीदने के लिए मजबूर करना ना केवल मानवता बल्कि नैतिकता के खिलाफ है. ये स्वस्थ व्यापारिक परम्परा या संव्यवहार के भी विपरीत भी हैं. ना मालूम विपक्षी (आइनॉक्स) ने ऐसे कितने ही ग्राहकों को इस प्रकार से खाद्य सामग्री या पेय पदार्थ खरीदने के लिए मजबूर किया होगा. लिहाजा, किसी भी थिएटर या सिनेमा हॉल के प्रभारी या मालिक को इस प्रकार से ग्राहकों को मजबूर करने या उन्हें परेशान करके अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए अनुज्ञात नहीं किया जा सकता. आयोग ने आदेश दिया कि विपक्षी परिवादी को मानसिक संताप में 3000, परिवाद व्यय के 2000 रुपए दे साथ ही 2500 आयोग में जमा कराए.
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