Rajasthan: अलवर में नगरीय मास्टर प्लान की भेंट चढ़े 85 मकान और दुकान, लोगों के सामने खड़ा हुआ रोजी रोटी का संकट
नगरीय मास्टर प्लान में विकास को बढ़ावा देने के नाम पर कस्बे के सराय बाजार में बुलडोजर चलाकर की गई कार्रवाई के चलते परिवारों के सामने अब रहने के साथ रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
Alwar News: अलवर में नगरीय मास्टर प्लान में विकास को बढ़ावा देने के नाम पर कस्बे के सराय बाजार में बुलडोजर चलाकर की गई कार्रवाई के चलते परिवारों के सामने अब रहने के साथ रोजी रोटी का भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है. जिन लोगों के घर और दुकान दोनों पर बुलडोजर चला वे अब किराए के मकान में शरण लिए हुए है. एक ही रात में उजड़े अपने सपने के आशियाने को छोड़ उन्हें दूसरी जगहों पर शरण लेनी पड़ी. इन परिवारों में से कई परिवार 40 साल से यहां रह रहे थे लेकिन प्रशासन ने किसी की नही सुनी. राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार नगरीय मास्टर प्लान के तहत सड़क से अतिक्रमण मानते हुए हटाया गया.
सालों से रह रहे परिवार वालों के उजड़े आशियाने
सराय बाजार निवासी जनरल स्टोर चलाने वाली रेणुका ने भरे गले से रोते हुए बताया कि उनका रहने कमाने एक ही जगह थी. उनके रहने का मकान और दुकान दोनो ही छिन गये. यहां तक कि अब सर ढकने की छत भी चली गई. इसके बाद किराए मकान में रहने लगे हैं. उसने बताया कि उसके दो बच्चे हैं उनका भी भविष्य अंधकार में है. उन्होंने बताया कि उनके पास मकान के सभी कागजात है. लेकिन किसी ने उन्हें नही देखा.
कुंड मोहल्ला निवासी संतोष शर्मा ने बताया कि उसकी सराय बाजार में 29 वर्ष पुरानी दुकान थी. वही उसकी आजीविका का एकमात्र स्रोत था. वो दुकान भी मास्टर प्लान की भेंट चढ़ गई. उन्होंने बताया कि वो परिवार में 4 सदस्य हैं. अब रोज खाने के भी लाले पड़ गए है. उन्होंने बताया कि दो साल कोरोना में चले गए अब थोड़ा उभरे तो अब मास्टर प्लान ने बर्बाद कर दिया. समझ नही आ रहा की बच्चो को कैसे पढ़ाएंगे व कैसे शादी विवाह होंगे.
राजेश मुखिया ने बताया कि उनके दादा को 1956 में सरकार द्वारा दुकान अलॉट हुई थी. उनकी किराना की दुकान से ही परिवार का खर्चा चलता था. उनके परिवार में 5 सदस्य है. अब सड़क पर आ गए हैं
सराय बाजार निवासी गीता पत्नी योगेश ने बताया कि 35 साल शादी कर आए हुए हो गए दुकान के ऊपर ही रहने का कमरा था पति केवल दुकान पर रस्सी बेचने का कार्य करते और कोई दूसरा कार्य है नही. मकान के सभी कागजात मौजूद है फिर भी बेघर कर दिया यह कहा का न्याय है. इसी से पालन पोषण हो रहा था अब हमारे पास कुछ भी नहीं बचा , किराए के मकान में रह रहे हैं. शाम तो खाने के भी लाले पड़े है तो किराया कैसे दिया जाएगा. उन्होंने प्रशासन से उन्हें रहने की जगह व मुआवजा दिलाये जाने की मांग की है.
नगर पालिका ईओ डॉ बी एल मीणा ने बताया यह जो रोड था यह मास्टर प्लान में ऐडजेस्टिग ही दर्शाया गया था. यह पहले से ही 60 फीट विद्यमान थी और मौके पर उपयोग हो रही थी. उस मास्टर प्लान के अनुसार नगर पालिका ले आउट प्लान पास करती है और लेआउट प्लान का अनुमोदन करती है. मास्टर प्लान के अनुरूप ही इनका अनुमोदन कर दिया गया है. मास्टर प्लान की कंप्लायंस करवाना आवश्यक हो जाता है इसलिए इसको 60 फीट का रख के मास्टर प्लान की कम्प्लाइन्स कराई गई है.
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