राजस्थान का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) एक बार फिर अपने आदेश के लिए चर्चा में है. दरअसल, एसीबी ने भ्रष्टाचारियों के लिए एक और 'राहत' भरा मौखिक आदेश निकाल दिया है. इस आदेश में कार्रवाई के दौरान भ्रष्टाचारियों की संपत्ति को सार्वजनिक न करने का फरमान है. एसीबी के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी (IPS Hemant Priyadarshi) का कहना है कि जांच के दौरान संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी.
हेमंत प्रियदर्शी ने कहा कि संपत्ति को सार्वजनिक करने से जांच प्रभावित होती है. इसमें कुछ सेंसटिव जानकारी भी बाहर आ जाती है जो नहीं होना चाहिए. आपको याद होगा कि पिछले दिनों भ्रष्टाचारियों के नाम का खुलासा न करने का एसीबी ने एक लिखित आदेश जारी किया था और 50 घंटे के अंदर ही उस आदेश को वापस लिया गया था. जिसमें सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के फैसले और गाइड लाइन का हवाला दिया गया था.
कार्यवाहक महानिदेशक ने दिया ये तर्क?
एसीबी के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी के इस मौखिक आदेश के पीछे तर्क दिया है कि, जांच के दौरान संपत्ति की जानकारी न देने से जांच ठीक से चलती है. जांच के दौरान बार-बार संपत्ति की जानकारी बाहर आने से चीजें बदली है. जब यह पूछा गया कि इसके पहले तो दी जा रही थी तो अब क्यों रोका जा रहा है, इस पर प्रियदर्शी ने जवाब दिया कि अब ऐसा नहीं होगा. जब होता था तब होता था. अब यही होगा. ACB के कार्यवाहक महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी जब से चार्ज संभाला है लगातार चर्चा में रहे हैं. इनके एक लिखित आदेश ने सीएम को भी परेशानी में डाल दिया था. जिससे सरकार में ही टकराव शुरू हो गया था.
5 जनवरी को जारी आदेश में ये कहा गया
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालय महानिदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया था , ''उपरोक्त विषय में निर्देश है कि समस्त चौकी प्रभारी एसीबी को सूचित किया जाता है कि ब्यूरो टीम द्वारा की गई ट्रेप कार्यवाही के प्रकरण या आरोपी का न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध नहीं हो जाता तब तक उसका नाम और फोटो मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति, विभाग में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा. आरोपी जिस विभाग में कार्यरत है उसका नाम और आरोपी का पदनाम की सूचना मीडिया में सार्वजनिक की जाएगी. ब्यूरो की अभिरक्षा में जो भी संदिग्ध या आरोपी है, उसकी सुरक्षा और मानवाधिकार की रक्षा की पूर्ण जिम्मेदारी ट्रेपकर्ता अधिकारी या अनुसंधान अधिकारी की होगी. वो दिये गए निर्देशों का तत्काल प्रभाव से पालन करें.
बार-बार संपत्ति छिपाने पर ही जोर क्यों?
आखिर एक ही बात बार-बार क्यों हो रही है. पहले नाम छुपाना और अब भ्रष्टाचारियों की संपत्ति को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है. आदेश वापस लेते ही कई जगह बड़े भ्रष्टाचारी पकड़े गए. उनकी कहानी बाहर आई. अब फिर एक बार वहीं 10 दिन पहले वाली कहानी लिखने का प्रयास किया जा रहा है. इस मौखिक आदेश पर भी लोग आपत्ति जता रहे हैं. इसे भी वापस लेना चाहिए.
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