Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर जिले के कुम्हेर कस्बे में रविवार 21 नवंबर को संत रविदास सेवा विकास समिति द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में पांचवा सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया. यह आयोजन एक निजी मैरिज गार्डन में किया गया था. सामूहिक विवाह सम्मेलन के दौरान परिणय सूत्र में बंधे सभी दूल्हा-दुल्हनों को और मौके पर मौजूद लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित करवाया गया. सामूहिक विवाह समारोह में दूल्हा-दुल्हनों के लिए बनाई गई स्टेज पर खड़े होकर दूल्हा दुल्हन और सामूहिक विवाह समारोह में मौजूद लोगों को हाथ उठाकर शपथ दिलाई गई थी.


क्या शपथ दिलाई गई?


शपथ लेते हुए सभी लोगों ने कहा, "आज दिनांक 20 नवंबर 2022 को दोहराता हूं और प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं इन प्रतिज्ञाओं का आजीवन पालन करूंगा. पहली प्रतिज्ञा में ब्रम्हा, विष्णु, महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा और मैं इनकी पूजा नहीं करूंगा. दूसरी में राम और कृष्ण को ईश्वर नहीं मानूंगा और मैं उनकी पूजा नहीं करूंगा. साथ ही मैं कोई गणपति आदि हिन्दू धर्म के किसी भी देवी-देवता को नहीं मानूंगा और ना ही उनकी पूजा करूंगा. ईश्वर ने अवतार लिया है इस पर मेरा विश्वास नहीं है."


आगे शपथ दिलाई गई, "ऐसा कभी नहीं मानूंगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं, ऐसे प्रचार को मैं झूठा समझता हूं. मैं कभी भी श्राद्ध नहीं करूंगा और न ही पिंडदान करूंगा. मैं बुद्ध धर्म के विरोध में कभी कोई बात नहीं करूंगा. मैं कोई भी क्रियाक्रम ब्राह्मणों के हाथ से नहीं कराऊंगा, मैं इस सिद्धान्त को मानूंगा कि सभी मनुष्य समान हैं. कृष्ण सहित किसी भी हिंदू देवी देवता को नहीं मानेंगे बल्कि आज से भगवान बुद्ध की पूजा करेंगे."


11 जोड़ों का विवाह कराया गया
 
संत रविदास सेवा विकास समिति के सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का विवाह कराया गया. इस विवाह समारोह की और हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में परिवर्तित होने की चर्चाएं पूरे इलाके में फैल गई. शंकर लाल बौद्ध ने बताया कि संत रविदास और बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा बताए गए मार्ग के द्वारा सामूहिक शादी विवाह का आयोजन कराया जाता है. यहां जो तथाकथित धर्म सौंपा जाता है उस धर्म पर ना चलके भगवान बुद्ध के सिद्धांतों पर शादियां कराई जाती है.


उन्होंने कहा कि जो सच्चाई भारत देश से लुप्त हो गई थी उसे भीमराव अंबेडकर ने नागपुर की धरती पर पुनर्जीवित किया था, जो पुराना धर्म था वह हमारे लोगों को 22 प्रतिज्ञा दिलाने के साथ दिया गया. उन्होंने बताया कि यह प्रतिज्ञा इसलिए दी गई जिससे कोई मिलावट नहीं कर सके क्योंकि तथाकथित लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए इस धर्म में भी मिलावट करना चाहते थे. बौद्ध धर्म में मिलावट ना हो इसलिए 22 प्रतिज्ञा एक कवच के रूप में दी गई.


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