Rajasthan News: राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot government) की वादा खिलाफी के विरोध में आंगनबाड़ी कर्मी महिलाएं अब सड़कों पर उतरकर चुनावी वादा याद दिलाएंगी. उनका कहना है कि मांगे पूरी नहीं हुईं तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगी.


दरअसल, कांग्रेस सरकार (Congress government) ने जन घोषणा पत्र (विधानसभा चुनाव 2018) में आंगनबाड़ी महिला मानदेय कार्मिक, आंगनबाडी कार्यकर्ता, सहायिका, साथिन, आशा सहयोगिनी सहित सभी संविदा कर्मियों से मानदेय एवं संविदा कार्मिकों को नियमित करने का वादा किया था. उनका कहना है कि यह वादा 4 साल बाद भी पूरी तरह से खोखला और जुमला साबित हो रहा है. सरकार को आंगनबाड़ी कार्मियों के सहनशक्ति की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए और उन्हें तत्काल नियमित कर्मचारी बनाना चाहिए.


क्या हैं इनकी मांगें
आंगनबाड़ी मानदेय कर्मियों की आमसभा को संबोधित करती हुईं अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ की संस्थापक संरक्षक छोटीलाल बुनकर ने बताया कि मानदेय के नाम पर सरकार द्वारा इन महिला कार्मिकों का आर्थिक एवं मानसिक शोषण किया जा रहा है. सरकार को कम से कम इन कार्मिकों को 18,000 रूपये मासिक मानदेय एवं सभी के लिए नियमितीकरण का सुलभ रास्ता निकालना चाहिए. मांगों का सम्मानजनक हल नहीं निकलने पर प्रस्तावित आगामी वर्ष के बजट से पहले दिसम्बर माह में एक लाख से अधिक की संख्या में आंगनबाड़ी महिला कार्मिक जयपुर में रैली निकालकर अपनी मांगो के समर्थन में सरकार पर नैतिक दबाव बनायेंगी. अन्य प्रमुख मांगों में सेवा नियमों में संशोधन कर नियमित पदों पर पदोन्नति कर पदस्थापन करना प्रमुख हैं.


जयपुर जिलाध्यक्ष लक्ष्मी यादव, जोधपुर जिलाध्यक्ष सोनल चितारा और मिथलेश ओझा, रीना पंडित, अंजली बोहरा, सबीना, अनिता देवडा, नीतू गुर्जर, प्रेम शेखावत ने सभा को संबोधित कर 1 लाख की संख्या में जयपुर में की जाने वाली रैली को सफल बनाने का प्रण लिया.


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