Supreme Court Rejects Bail Plea of Asaram Bapu: आसाराम के जेल से बाहर आने की उम्मीदों को एक और झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. आसाराम अपने ही ग्रुप कुल की नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़न के मामले में अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आसाराम के खिलाफ गुजरात में रेप के एक मामले की ट्रायल चल रही है. ट्रायल को देखते हुए आसाराम को जमानत नहीं दी जा सकती है. अब जमानत याचिका पर जनवरी में फिर से सुनवाई होगी.


आसाराम का दांव नहीं आ रहा है काम


सेंट्रल जेल में आसाराम पिछले 9 वर्षों से कैद हैं. बाहर आने के लिए कई हथकंडे आजमा चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर आसाराम की बढ़ती उम्र और कई बीमारियों का हवाला देकर जमानत देने की गुहार लगाई गई थी. आसाराम का कहना है कि गंभीर बीमारियों का जेल में रहते इलाज संभव नहीं है. साथ ही कहा गया कि आसाराम से जुड़े मामले की ट्रायल बहुत लंबी हो रही है और जल्द पूरी होने के आसार भी जर नहीं आ रहे हैं. लिहाजा इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए आसाराम को जमानत पर छोड़ा जाए.


सरकारी वकील ने जमानत का विरोध जताते हुए आसाराम की किसी प्रकार की बीमारी को खारिज कर दिया. उन्होंने जारी ट्रायल का हवाला देते हुए जमानत दिए जाने का विरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी वकील की दलील से सहमति जताते हुए फिलहाल जमानत देने से इंकार कर दिया. अब सु्प्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई जनवरी में करेगा. 


हिंदू सेना ने पैरोकारों पर लगाए आरोप


हिंदू सेना ने आरोप लगाया है कि आसाराम पैरोकार ना तो अपील की सुनवाई पर आगे बढ़ रहे हैं और ना ही सजा स्थगित कराने की याचिका पर कोई कदम उठा रहे हैं. राष्ट्रीय महासचिव बमबम ठाकुर ने कहा कि कोर्ट में तारीख पड़ने पर आसाराम के पैरोकार खुद ही नई तारीख मांग लेते हैं. आसाराम से जुड़े जोधपुर यौन उत्पीड़न मामले में फैसला सेशन कोर्ट ने साल 2018 में दे दिया था. आसाराम की अपील अभी तक पैरोकारों से नहीं हो पा रही है.


उन्होंने कहा कि आसाराम की संपत्ति पर काबिज होकर शिष्य मौज उड़ा रहे हैं. शिष्य सज़ा करवाकर आसाराम की संपत्ति के मालिक बन मौज उड़ा रहे हैं. अपील के नाम पर पिछले चार वर्षों से तारीखें ली जा रही हैं. आसाराम को बाहर लाने के नाम पर शोर मचाया जा रहा है. कई बार सज़ा स्थगित करवाने की याचिका लगवाकर वापस ले ली गई है. जज ने खुद केस पर कमेंट कर डाला की अगर अगली बार तारीख़ स्थगित कराई तो मैं सदा के लिए सजा स्थगित करवाने की याचिका खारिज कर दूंगा.




छिंदवाड़ा के गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आसाराम पर 15 अगस्त 2013 को जोधपुर के एक फार्म हाउस में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. 20 अगस्त 2013 को नाबालिग ने दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया. जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली में प्राथमिकी दर्ज कर जांच के लिए जोधपुर भेजा गया. जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने की प्राथमिकी दर्ज की.


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31 अगस्त 2013 को इंदौर से आसाराम को गिरफ्तार कर जोधपुर लाया गया. तब से लेकर अब तक आसाराम जेल में कैद हैं. 25 अप्रैल 2018 को ट्रायल कोर्ट ने आसाराम को मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई. फैसले के खिलाफ आसाराम ने जिला अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन हर बार जमानत हासिल करने में आसाराम को निराशा हासिल हुई. आसाराम को जमानत दिलाने के लिए नामी गिरामी अधिवक्ताओं ने पैरवी की. राम जेठमलानी, सुब्रमण्यम स्वामी, सलमान खुर्शीद सहित कई बड़े बड़े अधिवक्ताओं की आसाराम को बाहर निकालने की कोशिश नाकाम हो चुकी है.