Rajasthan: बीजेपी-कांग्रेस को हराने के लिए राजस्थान में तीसरे मोर्चे की तैयारी! ये पार्टी निभा रही मुख्य भूमिका
Rajasthan Politics: कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने कहा कि आरएलपी, बीटीपी, आम आदमी पार्टी, सपा और चंद्रशेखर रावण की पार्टी को सीपीआईएम के साथ लाने की तैयारी है.
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में आने वाले दिनों में एक प्रमुख राजनीतिक मोर्चा दिखाई देगा. जिसे तीसरे मोर्चे के रूप में देखा जा रहा है. यह मोर्चा भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के खिलाफ राजस्थान में काम करेगा. इसमें प्रमुख रूप से सीपीआईएम भूमिका निभा रही है. सीपीआईएम के राजस्थान सचिव और कई बार विधायक रहे अमराराम का कहना है कि 30 सीटों पर सीपीआईएम चुनाव लड़ेगी. उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी, आरएलपी, आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी इसमें शामिल रहेगी. इन दलों ने मिलकर अपनी रणनीति बनाई है.
अमराराम का कहना है कि इसी के द्वारा हम बीजेपी और कांग्रेस को बार-बार यहां आने के मौके को रोकेंगे. क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी ने राजस्थान का विकास नहीं किया है. उन्होंने इसके लिए पूरी योजना बनाई और यह भी कहा कि आने वाले दिनों में इसका असर भी दिखाई देगा. यह पांच दलों का गठबंधन सभी सीटों पर तैयारी कर रहा है.
'किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ'
अमराराम का आरोप है कि राजस्थान में किसानों पर अत्याचार हो रहा है. न तो उनका कर्जा माफ हो रहा है और न ही उन्हें राहत दी जा रही है. उनके साथ भेदभाव हो रहा है. बीजेपी ने पहले किसानों के खिलाफ काला कानून लाया था और अब उन्हें छोटा-छोटा लालच दिया जा रहा है. चुनाव में किसानों को बड़ा लालच दिया गया था.
'सहमति बनाने में जुटे'
कम्युनिस्ट पार्टी के नेता ने कहा कि आरएलपी, बीटीपी, आम आदमी पार्टी, सपा और चंद्रशेखर रावण की पार्टी को सीपीआईएम के साथ लाने की तैयारी है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश जारी है इन सबको साथ लाने की. क्योंकि ये सभी दल जनता की समस्याओं को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं. इनके साथ सहमति बन जाएगी तब जाकर सीटों का बंटवारा अपने आप हो जाएगा.
'राहत महंगाई कैम्प चुनावी झुनझुना'
अमराराम ने दावा किया है कि असली राहत महंगाई तब होती जब सरकार इस काम को पहले करती. अब तो बस चुनावी झुनझुना है. पेट्रोल और डीजल पर राजस्थान सरकार जो टैक्स लगा रही है उसे कम करना चाहिए. सरकार 2 रुपये में बिजली पैदा करके 12 रुपये में बेच रही है. लूट-पाट चल रहा है. ऐसे में किसानों के कर्ज माफी का वादा अभी भी पूरा नहीं हुआ है. इसका असर चुनाव पर पड़ेगा.
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