Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान (Rajasthan) में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. निर्वाचन विभाग द्वारा राजस्थान में 23 नवंबर को चुनाव की घोषणा करते ही आचार संहिता लागू हो गई है. आचार संहिता के लागू होते ही भाजपा (BJP) ने अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. इस सूची में बीजेपी ने उदयपुर (Udaipur) संभाग की छह सीटों के उम्मीदवारों के नाम जारी किए हैं. इसमें दो नए चेहरों को मौका दिया है. बाकी सीटों पर वरिष्ठों को आजमाया गया है. बीजेपी उदयपुर संभाग के वागड़ क्षेत्र की पांच और उदयपुर जिले की एक सीट पर नामों की घोषणा की है. इन सीटों पर भाजपा की पकड़ कमजोर मानी जाती है.


साथ ही सबसे बड़ी बात ये भी है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में इन सभी छह सीटों पर बीजेपी को हार का सामने करना पड़ा था. चौरासी और सागवाड़ा विधानसभा से बीटीपी के विधायक बने थे.वहीं डूंगरपुर, बागीदौरा पर कांग्रेस और कुशलगढ़ सीट से निर्दलीय विधायक बना, जिसने कांग्रेस को समर्थन दिया. वहीं उदयपुर जिले की खेरवाड़ा विधानसभा जहां कांग्रेस का विधायक है. बीजेपी की ओर से जो सूची जाारी की गई है, उसमें उदयपुर की खेरवाड़ा विधानसभा सीट से पार्टी के वरिष्ठ नेता नानालाल अहारी को यहां से एक बार फिर मौका दिया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि 2003 से नानालाल अहारी यहीं से चुनाव लड़ रहे हैं.


चौरासी सीट से सुशील कटारा को टिकट
नानालाल अहारी के सामने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. दयाराम परमार हैं. इस सीट पर राजस्थान की सरकार की तरह ही बदलाव होते हैं. यहां हुए चार चुनावों में दोनों आमने सामने हुए, जिसमें 2 -2 बार दोनों जीते. इसी तरह डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट की बात की जाए, तो यहां से बीजेपी ने सुशील कटारा को मैदान में उतारा है. काटरा बीजेपी सरकार में राज्य मंत्री भी रहे हैं. वो इसी सीट पर पिछली बार भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन बीटीपी विधायक राजकुमार रोत से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बता दें ये वही राजकुमार हैं जिन्होंने आदिवासी समाज के नेतृत्व ने भारतीय आदिवासी पार्टी बनाई है.


कुशलगढ़ विधानसभा से भीमा डामोर को फिर मौका
वहीं बीजेपी ने कुशलगढ़ विधानसभा से भीमा डामोर को फिर मौका दिया है. डामोर 2018 चुनाव ने भी इसी सीट से बीजेपी के प्रत्याशी थे. भीमा डामोर को 2018 के चुनाव में यहां निर्दलीय रमिला खड़िया से हार का सामना करना पड़ा था. रमिला खड़िया ने कांग्रेस को समर्थन दिया और सीएम अशोक गहलोत की करीबी भी मानी जाती हैं. वहीं बीजेपी ने बागीदौरा विधानसभा सीट से इस बार नए चेहरे के रूप में महिला को उतारा है. यहां से कृष्णा कटारा को मौका दिया गया है. यहां से पिछले तीन बार से लगातार महेंद्रजीत सिंह मालवीय जीतते आ रहे हैं. वो राज्य सरकार के इस कार्यकाल में मंत्री थे और अभी सीडब्ल्यूसी में सदस्य हैं.


वहीं कृष्णा कटारा का अभी बीजेपी की प्रदेश मंत्री है. वो जिला परिषद सदस्य और नगर पालिका अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. डूंगरपुर विधानसभा की बात की जाए तो यहां बीजेपी ने नए चेहरे के रूप में बांसवाड़ा के जिला सरकारी अस्पताल में नरसिंग ऑफिसर के रूप सेवाएं देने वाले बंसीलाल कटारा को मौका दिया है. बंसीलाल कटारा अभी जिला नर्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष हैं. वहीं पिछली बार इस सीट पर कांग्रेस के गणेश घोघरा को जीत मीली थी. वहीं सागवाड़ा विधानसभा से शंकरलाल को एक बार फिर मौका दिया गया है.  2018 चुनाव में यहां से बीटीपी के रामप्रसाद ने जीत दर्ज की थी और शंकरलाल हारे थे. बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर मौका दिया है.


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