Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग 25 नवंबर को होगी. जिसमें मात्र एक महीने का समय बचा है. मगर, अभी भी राजनीतिक दल सभी सीटों के लिए टिकट घोषित नहीं कर पाए हैं. इससे एक अलग माहौल बना हुआ है. चुनाव लड़ने की उम्मीद में बैठे नेताओं के समर्थक अब इधर-उधर होने लगे हैं. बीजेपी (BJP), कांग्रेस (Congress) का सबकुछ दिल्ली (Delhi) से तय हो रहा है. ऐसे में अब यहां के नेताओं में भी बेचैनी दिख रही है.
जबकि, दिल्ली में कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं ने खूब मंथन किया मगर यहां पर टिकट घोषित होने के बाद बगावत जरूर हुई. बगवात की वजह से कई सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के लिए अभी भी मुसीबत बनी हुई है. कुछ बीजेपी के नेता कांग्रेस में चले गए तो वहीं कुछ कांग्रेस के नेता बीजेपी में. छोटे दल इसलिए टिकट घोषित नहीं कर रहे कि उन्हें बड़े दलों के बगावती मिल जाएंगे? मगर, बड़े दल इस रणनीति में है कि टिकट ऐसे समय घोषित किया जाए जब बगावत की गुंजाइश न बचे.
बगावत के सुर हुए बुलंद
बीजेपी और कांग्रेस में जो लिस्ट अभी आई है उसके हिसाब से अभी बगावत के सुर बुलंद हैं. दोनों दलों में कई सीटों पर टिकट बदलने का दबाव भी बन रहा है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के स्थानीय नेता बड़ी मुसीबत में है आखिर दिल्ली में बैठे आलाकमान को कैसे रजामंद किया जाए. दरअसल, राजनीतिक दलों के आलाकमानों ने कई सर्वे करा लिए हैं और अब उसी के आधार पर टिकट तय किये जा रहे हैं. इसलिए यहां पर कई सीटों पर असंतोष दिखाई दे रहा है. कांग्रेस में कई सीटों पर जमकर विरोध हो रहा है. ऐसे में अब दोनों दल देर से टिकट देने की तैयारी में है.
छोटे दलों को बड़ा कन्फ्यूजन
राजस्थान के छोटे दलों को बड़ा कन्फ्यूजन है. चुनाव लड़ने की तैयारी सभी सीटों पर है. मगर, अब उन्हें प्रत्याशी ही नहीं मिल रहे है. इसलिए वहां पर कन्फ्यूजन ही कन्फ्यूजन बना हुआ है. राजस्थान के चुनाव में पहली बार इतनी देरी से टिकट घोषित होने की बात सामने आ रही है. कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के नाराज नेता चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. कुछ निर्दलीय तो कुछ वहां के छोटे दलों के टच में है.
क्या मानते हैं विशेषज्ञ ?
राजस्थान के चुनावी विश्लेषक डॉ मनीष शुक्ला का कहना है कि बीजेपी ने कमल को आगे बढ़ाया है. वहीं कांग्रेस ने अशोक गहलोत को सामने करने की कोशिश की है. लेकिन अब कांग्रेस ने थोड़ा रणनीति बदल ली है. इसका पूरा प्रभाव भी दिख रहा है. कांग्रेस और बीजेपी की रणनीति ने लोगों को थोड़ा उलझा दिया है. राजस्थान के चुनावी विश्लेषक डॉ संदीप मील का कहना है कि यहां पर पहली बार ऐसा हो रहा है कि टिकट घोषित करने में दलों को परेशानी हो हो रही है. इससे कई संकेत जा रहे है. सबकुछ आलाकमान पर छोड़ दिया गया है.