Rajasthan Election: राजस्थान में इसी वर्ष यानी 2023 में ही विधानसभा का चुनाव होना है. ऐले में बीजेपी अभी से ही जीत की रणनीति तैयार करने में जुट गई है. इसके तहत बीजेपी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले भरतपुर जिले के सभी ब्लॉक में नए मतदाताओं को बीजेपी से जोड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रही है . इसके साथ ही बीजेपी ने भरतपुर के जिलाध्यक्ष को बदल कर भी संकेत दिए है कि पार्टी इस बार भरतपुर की सातों विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज करने की कोशिश रहेगी . यही वजह है कि बूथ स्तर तक बीजेपी के कार्यकर्ता पार्टी को मजबूत कर इस बार भरतपुर संभाग में जीत कर सत्ता के शिखर पर सवार होने की तैयारी में अभी से जुटे हैं.


बीजेपी ने वैश्य समाज से बनाया जिलाध्यक्ष


बीजेपी ने इस बार वैश्य समाज से जिलाध्यक्ष नियुक्त कर जातीय समीकरण को साधने और गुटबाजी को खत्म करने के लिए आरएसएस से जुड़े ऋषि बंसल को जिलाध्यक्ष बनाया है . दरअसल, ऋषि बंसल लम्बे समय से आरएसएस के स्वयंसेवक है. हालांकि, ऋषि बंसल को जिलाध्यक्ष बनाने पर दबेस्वर में विरोध भी हो रहा है, लेकिन जिलाध्यक्ष का दावा है कि जल्दी ही आपसी मतभेद भुलाकर बीजेपी एक प्लेटफॉर्म पर आ जाएगी .अब देखने वाली बात यह होगी कैसे जिलाध्यक्ष अंदरूनी कलह को खत्म कर पाते हैं.


2018 में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी बीजेपी


गौरतलब है कि भरतपुर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. 2018 के विधानसभा के चुनाव में भरतपुर जिले की सात विधानसभा सीट पर बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. यहां की 7 में से पांच सीट पर कांग्रेस और दो सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी . यानी यहा बीजेपी का सूफड़ा साफ हो गया था .अब देखने वाली बात यह है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत को बरकरार रख पाएगी या बीजेपी सेंधमारी में सफल हा जाएगी.      


राष्ट्रीय अध्यक्ष ने घर-घर अभियान चलाने के दिए निर्देश  


इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने बीजेपी प्रदेश के पदाधिकारियों को कहा है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में मात्र 10 महीने ही बचे हैं. ऐसे में एक व्यवस्थित कार्ययोजना के साथ घर-घर अभियान चलाएं. इसके साथ ही स्थानीय समस्याओं को जानें और उनके समाधान का प्रयास करें. नड्डा ने अपने संदेश में कहा है कि जिलों, मंडलों और बूथों पर जनता के सुख-दुख में हमेशा मजबूती से साथ खड़े रहें. लोगों के दिल जीतने पर काम करें.


सत्ता के बाद भी जिले में नहीं हैं कोई कांग्रेस जिलाध्यक्ष


राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार है, लेकिन जब से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कुर्सी की लड़ाई शुरूहुई है और सचिन पायलट कुछ विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे, तभी कांग्रेस आला कमान ने राजस्थान की कांग्रेस कार्यकारिणी को भंग कर दिया था . इसके बाद प्रदेश कांग्रेस का मुखिया गोविन्द सिंह डोटासरा को बनाया गया . गोविन्द सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बने लगभग ढाई साल हो गए हैं, लेकिन न तो जिले के सभी ब्लॉक अध्यक्ष ही नियुक्त हो पाए हैं और न ही किसी को जिलाध्यक्ष बनाया गया है . जिलों में कांग्रेस पार्टी का जिलाध्यक्ष नहीं होने से कार्यकर्ता भी मायूस हैं. जिले में कांग्रेस पार्टी संगठन विहीन नजर आ रही है . जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि जल्दी ही जिलाध्यक्ष की नियुक्ति हो जाएगी.


कांग्रेस के सामने 2018 की जीत दोहराने कू चुनौती


2018 राजस्थान विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सत्ता में लाने के लिए पूर्वी राजस्थान का योगदान महत्वपूर्ण था. भरतपुर संभाग से मतदाताओं ने कांग्रेस की झोली भर दी थी . अब राजस्थान की कांग्रेस सरकार अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने जा रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार का बजट लोकलुभावन घोषणाओं का पिटारा होगा. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने जिले के 7 विधायकों में से 4 को मंत्री बनाकर मतदाताओं को खुश करने और 2023 के विधानसभा चुनाव में फिर से कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने के प्रयास किए हैं .लेकिन संगठन अब भी बिखरा हुआ है . यही वजह है की कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में रोष देखने को मिल रहा है .  


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