Rajasthan Assembly Election 2023: बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने जब साल 2007 में पहली बार यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी, तो उस समय सोशल इंजीनियरिंग शब्द की बड़ी चर्चा हुई थी. उसके बाद से बीएसपी ने कई राज्यों के चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग को ही अपना बड़ा हथियार बना लिया. कई राज्यों में बीएसपी को इसका लाभ भी मिला है.  बीएसपी के सबसे अधिक विधायक राजस्थान से ही थे. हालाकिं बाद में वो कांग्रेस (Congress) चले गए. राजस्थान में साल 2018 में बीएसपी के छह विधायक चुनाव जीतकर आए थे.


बीएसपी ने इस बार भी राजस्थान में 25 सीटों पर मजबूती से सोशल इंजीनियरिंग की है. इस चुनावी सोशल इंजीनियरिंग कहानी की पूरी पटकथा इंजीनियर रामजी गौतम (Ramji Gautam) लिख रहे हैं. रामजी गौतम राजस्थान में बीएसपी के प्रभारी हैं. वर्तमान में उनके पास अभी आठ राज्यों का प्रभार है. पिछली बार भी रामजी गौतम ही बीएसपी के राजस्थान प्रभारी थे. पार्टी को उसका लाभ मिला था. इसलिए इस बार भी उन्हें बीएसपी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने मैदान में उतार दिया है.


बिहार में भी प्रभारी रहे हैं रामजी गौतम


रामजी गौतम बिहार में भी प्रभारी रहे हैं, जहां बीएसपी 20 साल बाद खाता खोल पाई थी. बीएसपी के सेंट्रल कोऑर्डिनेटर और राज्यसभा सदस्य रामजी गौतम पिछले कई महीनों से राजस्थान में डटे हैं. उनके पास चुनावी राज्य मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ का भी प्रभार है, लेकिन रामजी गौतम ने राजस्थान में ही पिछले एक साल से डेरा डाल दिया है. रामजी गौतम का कहना है कि इस बार 25 सीटों पर बीएसपी की बहुत मजबूत स्थिति है. हमारी पिछली बार से बेहतर सीटें इस बार आ सकती हैं. जातिगत आकंड़ों को देखते हुए सोशल इंजीनियरिंग की गई है.


इन सीटों की लिखी गई है पटकथा


बता दें धौलपुर से रितेश शर्मा को टिकट दिया गया है और वहां पर आमने-सामने कुशवाहा समाज के लोग मैदान में हैं. बाड़ी विधानसभा सीट पर जशवंत गुर्जर के सामने दो परमार हैं. भरतपुर सीट पर गिरीश चौधरी को टिकट मिला है, जबकि यहां से से भाजपा और कांग्रेस के वैश्य वर्ग के नेता मैदान में हैं. नदबई से खेमकरण तौली को टिकट मिला है. महुआ और करौली में दलित और मीणा का समीकरण बनाया गया है. दौसा में दलित और गुर्जर का समीकरण बनाया गया है. वहीं अलवर की की कई सीटों, जैसे बानसूर पर यादव वोटर्स हैं, इसलिए यहां यादव और दलित का समीकरण बनाया गया है.


सोशल इंजीनियरिंग के बाद मायावती का दौरा


वहीं तिजारा में दलित और मुस्लिम का समीकरण बनाया गया है. इसी तरह से चौमूं में कैलाश राज सैनी को जातिगत समीकरण में फिट किया गया है. लाडनूं में मुस्लिम और दलित का समीकरण बनाया गया है. वहां पर राजपूत वोटर्स को ध्यान में रखा गया है. सोशल इंजीनियरिंग के बाद अब पार्टी के प्रभारी रामजी गौतम बीएसपी सुप्रीमो मायावती के दौरे को लेकर आश्वस्त हैं. 17 नवंबर को धौलपुर और नदबई में मायावती की जनसभा है. 


18 नवंबर को बानसूर में मायावती जनसभा है. 19 नवंबर को करौली और गंगापुर और 20 को खेतड़ी और लाडनूं में उनकी जनसभा होगी. बीएसपी ने उन सीटों पर ज्यादा फोकस किया है, जहां पर सोशल इंजीनियरिंग का ज्यादा असर दिखने की उम्मीद है.


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