Rajasthan Politics: यात्रा के बहाने सचिन पायलट ने फूंका चुनावी बिगुल, इस बार दिखाना चाहते हैं जनता की ताकत, अहम हैं इसके सियासी मायने
राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर Congress के भीतर उहापोह का दौर शुरू हो गया है. Sachin Pilot के दौरे के एलान से नई अटकलें शुरू हो गई है.
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Rajasthan Politics: राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) होने हैं. इससे पहले कांग्रेस (Congress) के भीतर उहापोह की स्थिति है. साल 2020 की जून-जुलाई से शुरू हुई बगावत बीते साल 2022 में एक बार फिर उभर गई थी. उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होने थे और माना जा रहा था कि सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पद के अहम दावेदार होंगे.
इसी दौरान राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में एक गुट ने यह मांग कर दी थी कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाए. हालांकि अशोक गहलोत, का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से गायब हो गया और सचिन पायलट, सीएम नहीं बन सके. इन सबके बीच अब जबकि राज्य के विधानसभा चुनाव में 8-9 महीने का वक्त बचा है ऐसे में सचिन पायलट अपना पूरा जोर लगाने की कोशिश में हैं.
कांग्रेस नेता पायलट ने बीते दिनों एलान किया कि वह 16 जनवरी यानी सोमवार से जिलावार दौरे शुरू करने वाले हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पायलट का यह दौरा नागौर से शुरू हो कर जयपुर में खत्म होगा. पायलट का यह दौरा 16 जनवरी को नागौर, 17 जनवरी को हनुमानगढ़, 18 जनवरी को झूंझनू, 19 जनवरी को पाली और 20 जनवरी को जयपुर में होगा. ट्विटर हैंडल पर दी गई जानकारी में पायलट ने कहा है कि मैं जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात के लिए दौरे पर रहूंगा.
32 विधानसभा सीटों पर नजर
हालांकि इन जिलों में वो इलाके शामिल नहीं हैं, जहां से राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा गुजरी थी. राहुल की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा झालावाड़, कोटा बूंदी, दौसा, अलवर, गई थी. माना जा रहा है कि पायलट का यह दौरा, आगामी विधानसभा चुनाव में निर्णायक हो सकता है.
अगर विधानसभावार बात करें तो नागौर में 8, हनुमानगढ़ में चार, झूंझनू में 6, पाली में 6 और जयपुर में 8 विधानसभा सीटें हैं. इस हिसाब से 200 सदस्सीय विधानसभा में से 32 सीटों पर पायलट अपना दम दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. ये वो इलाके हैं जहां जाट मतदाताओं की संख्या बहुतायत में है. पायलट के करीबियों का मानना है कि राज्य में गुर्जर, मुस्लिम मतदाता पहले ही पार्टी के साथ हैं, ऐसे में वह जाट वोटर्स को भी अपने करीब लाना चाहते हैं.
अभी कमजोर नहीं हुई है जमीन!
पायलट से जुड़े करीबी सूत्रों का यह भी दावा है कि कांग्रेस नेता ने दौरों के रूट में पाली इसलिए शामिल किया है ताकि वह हाईकमान के साथ-साथ सीएम अशोक गहलोत को भी यह दिखा सकें कि उनकी जमीन अभी कमजोर नहीं हुई है. बीते दिनों जब भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान में थी, तब राहुल, गहलोत और पायलट को साथ लेकर चल रहे थे. यात्रा के जरिए यह संदेश देने की कोशिश हो रही थी कि राहुल कांग्रेस को भी जोड़ रहे हैं.
दीगर है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भी सचिन पायलट ने दौरे किए थे. उस वक्त पायलट, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. जब कांग्रेस की सरकार बनी तब पायलट को डिप्टी सीएम की भी जिम्मेदारी दी गई. हालांकि साल 2020 में हुई बगावत के बाद पायलट प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटा दिए गए थे.
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