Dausa News: राजस्थान विधानसभा चुनाव सरगर्मियां तेज हो गई हैं. राजनेता अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. नेताओं का कई जगहों पर खुले दिल से स्वागत होता है तो कई जगह पर विरोध का सामना भी करना पड़ता है. इसी कड़ी में राजस्थान की महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने दौसा जिले के सिकराय विधानसभा क्षेत्र में रुडमल का बास पहुंचीं. इस दौरान ममता भूपेश के काफिले को कुछ युवाओं ने काला झंडा दिखाकर, उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की. गहलोत सरकार में मंत्री ममता भूपेश सिकराय से विधायक हैं. 


मंत्री ममता भूपेश का काफिला गोठड़ा के रूडमल के बास से होकर गुजर रहा था, तभी कुछ युवाओं ने विरोध करते हुए उनकी गाड़ी के सामने काला झंडा दिखाया. प्रदर्शन करने वाले युवाओं ने ममता भूपेश के विरोध में 'भ्रष्टाचार भगाओ, सिकराय बचाओ' जैसे नारे लगाए. इस पूरे विरोध प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ युवा, मंत्री ममता भूपेश के काफिले के सामने काला झंडा लहराते हुए देखे जा सकते हैं. इस विरोध के बावजूद वह गाड़ी से नहीं निकली.


समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई धक्का मुक्की
सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने विरोध प्रदर्शन करने वाले युवाओं के हटाना शुरू कर दिया, इस दौरान पुलिस और युवकों में कहा सुनी हो गई. ममता भूपेश के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का मुक्की भी हो गई है. ममता भूपेश क्षेत्र में सड़क के शिलान्यास के लिए दौरे पर थीं. मंत्री ममता भूपेश का विरोध क्यों किया गया? इसकी जानकारी एक युवक ने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो शेयर कर बताई है. युवक ने उन पर भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों और सीएचए (कोविड हेल्थ असिस्टेंट) की बात नहीं सुने जाने का आरोप लगाया. इस मामले से जुड़ी कई पोस्ट सोशल मीडिया पर सामने आई हैं. 


सीएचए की बहाली के प्रदर्शनकारियों ने की मांग
सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये चेतावनी देते हुए कहा गया है कि अब युवक पूरे राजस्थान में अपनी आवाज बुलंद करेंगे. दरअसल, कोविड संक्रमण के दौरान प्रदेश सरकार ने सीएचए नियुक्त किया था, साल 2022 मार्च तक इन सर्विसेज को खत्म कर दिया गया. साल 2022 में सीएचए की बहाली को लेकर राजस्थान सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ था. सरकार ने समस्याओं को जल्द पूरा करने का वादा किया था, जो अधूरा रह गया. इसको लेकर समय-समय पर कोविड हेल्थ असिस्टेंट विरोध करते रहे हैं. दौसा में खासकर सरकारी नर्सिंग नौकरियों में आदेश के बाद भी इन्हें महत्व नहीं दिया जाता है. 


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