Rajasthan Assembly Election 2023: पिछले पांच सालों में बीजेपी के कई बड़े नेता कांग्रेस में शामिल हुए और कांग्रेस के कई नेता बीजेपी के साथ चल पड़े. पार्टियों की फेरबदली में राजस्थान के कद्दावर नेता मानवेंद्र सिंह जसोल (Manvendra Singh Jasol) का नाम बहुत चर्चित रहा. मानवेंद्र सिंह जसोल ने 2018 में बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ पकड़ा था. इस बार विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह जसोल को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं.


मानवेंद्र सिंह ने की राहुल गांधी से मुलाकात


बीजेपी के दिवंगत दिग्गज नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह (Manvendra Singh Jasol) बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद और बाड़मेर जिले की शेओ विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. ये दोनों जीत उन्हें बीजेपी के टिकट पर ही मिली थी. वहीं अब आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले मानवेंद्र सिंह के रुख ने कांग्रेस को दुविधा में डाल दिया है. ‘द क्विंट’ के मुताबिक, मानवेंद्र सिंह ने हाल ही में जैसलमेर से राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ने की अपनी योजना में समर्थन मांगने के लिए राहुल गांधी से मुलाकात की थी.


क्या घर वापसी करेंगे मानवेंद्र सिंह?


कांग्रेस को मानवेंद्र सिंह के प्रति प्रतिबद्धता जताने में समय लग रहा है, ऐसे में कुछ अटकलें भी थीं कि वह भाजपा में वापस जा सकते हैं. बता दें, मानवेंद्र पिछले दो चुनाव हार चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में वह पूर्व बीजेपी सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ झालरापाटन में कांग्रेस के उम्मीदवार थे. यह उनके प्रभाव क्षेत्र से पूरी तरह दूर था और यह आश्चर्य की बात नहीं थी कि वह तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके क्षेत्र में हार गए. फिर उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से लड़ा लेकिन वह बीजेपी के कैलाश चौधरी से हार गए. ऐसे में मानवेंद्र पूरी आलाकमान को पूरी तरह से मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें टिकट जैसलमेर से ही दिया जाए.


मानवेंद्र सिंह को क्यों भाता है जैसलमेर


बता दें कि, 2019 के लोकसभा चुनाव में जैसलमेर और शेओ ही दो ऐसे क्षेत्र थे जहां मानवेंद्र सिंह को बढ़त मिली थी. जैसलमेर जिले की राजनीति तीन समुदायों, मेघवाल, राजपूत और सिंधी मुस्लिम के आसपास केंद्रित है. पड़ोसी जिले बाड़मेर की तुलना में यहां जाटों की संख्या कम है. वहीं मानवेंद्र सिंह के परिवार के सिंधी मुस्लिम नेतृत्व से हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं. यहां तक कहा जाता है कि जसवंत सिंह का पाकिस्तान में सिंधी मुसलमानों के आध्यात्मिक नेता पगारो के पीर से भी सीधा संबंध है. 2014 के चुनाव में जब जसवंत सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था तो सिंधी मुसलमानों ने उनका भरपूर समर्थन किया था. इसी वोट बैंक के चलते मानवेंद्र सिंह जैसलमेर से चुनाव लड़ना चाहते हैं.


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