Rajasthan Election 2023 News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आते ही सियासी तल्खियां बढ़ गई हैं. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार पर कांग्रेस के विजन डॉक्यूमेंट को लेकर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्ष 2018 में जब सत्ता में आए तब उन्हें यह विजन क्यों नहीं याद आया? अब चुनाव के समय ही इस विजन डॉक्यूमेंट की क्यों याद आई? गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि चुनाव से पहले किए गए गहलोत के सारे वादे झूठ का पुलिंदा साबित हुए हैं.


गजेंद्र सिंह शेखावत शुक्रवार (6 अक्टूबर) को बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'यदि गहलोत को राज्य की इतनी ही चिंता थी तो जब वे  वर्ष 2018 में सीएम बने थे, तब ही विजन डॉक्यूमेंट बनाकर इसे क्यों नहीं लागू किया? उनको पूरा अवसर मिला था. उस समय विफल रहे. अब विजन के सुझाव मांगे जा रहे हैं. अपनी नाकामियों का लेखा इकट्ठा करने के लिए विजन डॉक्यूमेंट बनाने का क्या तुक है?  चुनाव के समय ऐसे विजन डॉक्यूमेंट जारी करने से उनकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं. चुनाव पूर्व किए गए उनके वादे झूठ का पुलिंदा साबित हुए. घोषणाएं पूरी नहीं होने पर ही जनता ने उन्हें पिछले चुनावों में चाहे वह वर्ष 2003 का चुनाव हो या 2013 का चुनाव हो, कुर्सी से नीचे उतारा था.' उन्होंने कहा, 'इस चुनाव में भी जनता ने तय कर लिया है. अब जनता उनके झांसे में नहीं आएंगी.


'जल जीवन मिशन में राजस्थान फिसड्डी राज्य'
केन्द्रीय मंत्री ने विजन डॉक्यूमेंट के सभी मुद्दों पर चर्चा करते हुए कहा, 'विजन डॉक्यूमेंट में जल, शिक्षा, चिकित्सा आदि को लेकर राजस्थान को मॉडल स्टेट बनाने का दावा किया है, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान में किसी भी क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ. जल जीवन मिशन में ही राजस्थान देश के फिसड्डी राज्यों में से एक है.' उन्होंने दावा किया कि, '30 हजार करोड़ का बजट इस मिशन के तहत राजस्थान को उपलब्ध करवाया गया था, लेकिन राज्य सरकार उसका उपयोग नहीं कर सकी. जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार में गहलोत सरकार अव्वल है. 


'बिना तैयारी के शुरू कर दिए अंग्रेजी माध्यम स्कूल'
शेखावत ने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट में अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों को लेकर राज्य सरकार ने अपनी पीठ थपथपाई है, लेकिन हकीकत यह है कि यह स्कूल आनन-फानन में बिना तैयारी के खोल दिए गए. स्कूलों के पास अपने भवन नहीं, कक्षा और शिक्षक तक नहीं हैं. यहां तक कि एक ही कमरे में दो-दो कक्षाओं के विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. किसी भी अंग्रजी माध्यम स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से पढ़े लिखे शिक्षक नहीं हैं. शिक्षा का कम्प्यूटरीकरण का दावा भी झूठा निकला. 30 प्रतिशत स्कूलों में कम्प्यूटर नहीं है. स्कूलों में टॉयलेट और पीने के साफ पानी की व्यवस्था नहीं है. 


अशोक गहलोत सरकार पर आरोप लगाते हुए केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, 'गहलोत सरकार ने प्रदेश में साढ़े चार सौ कॉलेज खोले, लेकिन किसी कॉलेज में शिक्षक का प्रबंधन नहीं किया गया. दस हजार पद राजस्थान में उच्च शिक्षा में खाली हैं. युवाओं के साथ में इससे बड़ा मजाक और कुछ नहीं हो सकता.' उन्होंने कहा, 'बच्चों को वादा करके भी लेपटॉप और टैबलेट नहीं दिया गया.'


'चिरंजीवी योजना में किसी मरीज को नहीं मिला 25 लाख का लाभ'
गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस सरकार ने एक मई 2021 तक आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया, जिससे तीन साल तक राज्य के लाखों लोगों को नुकसान उठाना पड़ा. आयुष्मान भारत योजना का नाम बदलकर चिरंजीवी योजना कर दिया. उसमें पहले दस लाख और बाद में 25 लाख रुपए तक की मदद का प्रचार किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि दस लाख तो छोड़िए, कुछ लोगों ने पांच लाख से ज्यादा का इलाज करवाया है. एक भी केस 25 लाख का नहीं आया. उन्होंने कहा, 'राजस्थान की जनता को इस सरकार ने भ्रमित किया. स्वास्थ्य अधिकार अधिनियम का डॉक्टरों ने विरोध किया. अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ सुविधाओं का अभाव है. चिकित्सा के क्षेत्र में सरकार विफल रही. विजन डॉक्यूमेंट के माध्यम से खुद को ही प्रमाण पत्र बांट रही है.'


किसानों की गई जमीन नीलाम
कृषि क्षेत्र का जिक्र करते हुए केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि गहलोत सरकार ने बाजरे की खरीद नहीं की, जबकि राजस्थान में सबसे ज्यादा बाजारे का उत्पादन होता है. किसानों को समय पर बिजली नहीं दी. इसके चलते किसान की फसल जल गई. उनका ऋण माफ नहीं किया गया. उन्नीस हजार किसानों की जमीन सरकार ने नीलाम कर दी. अब कार्यकाल के अंतिम पड़ाव में वह जमीन नीलामी पर रोक के लिए कानून लेकर आए हैं.  शेखावत ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में युवाओं के साथ धोखा हुआ. 19 बार पेपर लीक हुआ. राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए. भ्रष्टाचार के कारण प्रदेश के औद्योगिक तरक्की रुकी पड़ी है. ईआरसीपी के नाम पर सरकार केवल राजनीति कर रही है. आज तक एक भी टेंडर ईआरसीपी का नहीं निकाला. 


'लाल डायरी के नाम पर क्यों डरी सरकार?'
एक सवाल के जवाब में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह सरकार लाल डायरी के नाम पर क्यों डरती है? सरकार के ही एक पूर्व मंत्री और विधायक ने जब सदन में लाल डायरी के पन्ने लहराए तो सरकार के लोग इतना डर गए कि उन्हें रोकने के लिए लात घूंसों तक से बाज नहीं आए.


ये भी पढ़ें: Rajasthan News: यात्रियों की सुविधा के लिए इन ट्रेनों का बढ़ाया गया ठहराव, 14-15 अक्टूबर को ये ट्रेनें रहेंगी रद्द, देखें लिस्ट