Rajasthan Election 2023: राजस्थान में कुछ ही दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में प्रदेश में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है. इस बीच सबसे चौंकाने वाली खबर यह रही कि, महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ (Vishwaraj Singh Mewar) ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया. अब जब मेवाड़ परिवार की 40 साल बाद एक बार फिर राजनीति में एंट्री हुई है तो हर तरफ यह चर्चा का माहौल बना हुआ है. कयास लगाए जा रहे हैं कि, अब मेवाड़ की राजनीति में बड़ा बदलाव आएगा. ऐसे में विश्वराज सिंह मेवाड़ कौन सी सीट पर दांव लगा सकते हैं या लोकसभा का इंतजार करेंगे. इन सब पर जानिए राजनीति विश्लेशक क्या कहते हैं? 

 

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य का कहना है कि, 1989 ने महेंद्र सिंह मेवाड़ जो विश्वराज सिंह मेवाड़ के पिता हैं, वह बीजेपी से ही चित्तौड़गढ़ सीट से लोकसभा चुनाव में खड़े हुए थे. वह रिकॉर्ड मतों से जीते थे, लेकिन अगली बार वो चित्तौड़गढ़ और फिर भीलवाड़ा से कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े तो हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अब 40 साल बाद इनके बेटे विश्वराज सिंह की एंट्री हुई है. अगर पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देगी तो नाथद्वारा विधानसभा सीट से खड़ा कर सकती है. इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी विधायक हैं.

 

बीजेपी ने की राजपूत वोट साधने की तैयारी

 

वहीं अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो चुनाव प्रचार में फायदा मिलेगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में आज भी महेंद्र सिंह मेवाड़ को महाराणा के रूप में बड़ा सम्मान दिया जाता हैं. ऐसे में विश्वराज सिंह से बीजेपी को फायदा होगा. वहीं लोकसभा में उन्हें मैदान में उतारा जाता हैं तो बीजेपी की सेफ सीट चित्तौड़गढ़ होगी. वहीं डॉ कुंजन आचार्य बताते हैं कि, लंबे समय से अरविंद सिंह मेवाड़ (महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई) के पुत्र लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का नाम लंबे समय से राजनीति में एंट्री के लिए सामने आ रहा था. उनसे राजनीति में एंट्री पर कई बार सवाल पूछा गया तो उन्होंने न हां कहा और न ही ना कहा है.

 

वहीं विश्वराज सिंह को राजनीति में लाने में सांसद दिया कुमारी का बड़ा हाथ है, क्योंकि दिया कुमारी जब राजसमंद में चुनाव लड़ने आई थी तब महेंद्र सिंह मेवाड़ से मिली थी. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि, राजसमंद सीट से भी विश्वराज सिंह मेवाड़ चुनाव लड़ सकते हैं. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि, यह सीधा-सीधा राजपूत वोट साधने और मेवाड़ में पार्टी का प्रभाव बढ़ने के लिए अमित शाह की अच्छी चाल हो सकती है.