Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का एक माह ही रह गया है. रोजाना पार्टियों में उथल-पुथल मची हुई है, लेकिन आज राजस्थान में हर तरफ चर्चाओं का माहौल है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दूसरी सूची जारी कर दी है जिसमें 83 प्रत्याशी घोषित किए हैं. वहीं कांग्रेस ने भी अपनी पहली सूची जारी की है, जिसमें 33 प्रत्याशी घोषित किए गए हैं.
इन प्रत्याशियों में मेवाड़ और वागड़ की 28 सीटों की बात करें तो सबसे ज्यादा चर्चा राजसमंद जिले के नाथद्वारा सीट की हो रही है, क्योंकि यहां पर कांग्रेस ने एक बार फिर से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को प्रत्याशी घोषित किया है. वहीं तीन दिन पहले बीजेपी में शामिल हुए मेवाड़ राजघराने के विश्वराज सिंह मेवाड़ को प्रत्याशी घोषित किया है. मेवाड़ में सबसे हॉट सीट यहीं बन गई है. दोनों की टक्कर के बारे ने जानने से पहले इस सीट का इतिहास क्या कहता हैं वह जानते हैं.
5 बार सीपी जोशी जीत चुके चुनाव
नाथद्वारा मेवाड़ का बड़ा धार्मिक स्थल है, जहां श्री नाथ जी के दर्शन करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यह सीट कांग्रेस का गढ़ है क्योंकि वर्ष 1980 से लेकर अब तक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी यहां से 5 बार विधायक रह चुके हैं. वहीं बीजेपी की बात की तो यहां से हमेशा राजपूत प्रत्याशी पर ही दाव खेला है. इसमें जीत भी हुई. बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार का सबसे बड़ा इतिहास भी रहा. क्योंकि यहां एक वोट से सीपी जोशी को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के कल्याण सिंह ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में सीपी जोशी को 1 वोट से हराया था. कल्याण सिंह को 62216 वोट मिले थे और सीपी जोशी ने 62215 वोट हासिल किए थे.
क्यों है यह हॉट सीट जानिए
नाथद्वारा उदयपुर शहर से 45 किलोमीटर दूर है, यानी मेवाड़ की राजधानी रहे उदयपुर के सबसे नजदीक शहर है. इसलिए उदयपुर की राजनीति का असर भी पड़ता है. यहां कुल वोटर 2.34 लाख हैं. इसमें सबसे ज्यादा करीब 80 हजार वोट राजपूत समाज के हैं. इसके बाद आदिवासी और फिर ब्राह्मण समाज के. अब दोनों के बीच टक्कर की बात की तो सीपी जोशी यहां से 5 बार विधायक रहे हैं. लंबे समय से इसी सीट पर चुनाव लड़ते आ रहे हैं. इसलिए उन्हें इस सीट का सबसे ज्यादा अनुभव है. साथ ही कांग्रेस पार्टी के बड़े और दिग्गज नेता हैं.
इससे इन्हे फायदा मिलेगा. वहीं विश्वराज सिंह मेवाड़ की बात करे तो सबसे बड़ा फायदा मेवाड़ राजघराने से जुड़ाव का मिलेगा. क्योंकि आज भी लोगों की राजघराने के प्रति सहानुभूति और सम्मान है. वही दूसरा यह कि राजपूत बहुल सीट हैं जिससे विश्वराज सिंह मेवाड़ के फायदा पहुंच सकता है. इनके पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ भी 80 के दशक में चित्तौड़गढ़ से सांसद रह चुके हैं.