Rajasthan Election: मेवाड़ की हॉट सीट जहां बीजेपी के अपने बने सिरदर्द, दो दिग्गज छोड़ गए दामन
Rajasthan News: मेवाड़ की हॉट सीट वल्लभनगर विधानसभा, जहां सीएम अशोक गहलोत का भी सीधा जुड़ाव है लेकिन यह सीट बीजेपी के लिए चुनौती. क्योंकि यहां बीजेपी के अपने ही दिग्गज नेताओं ने साथ छोड़ दिया.
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधासभा चुनाव आने वाले हैं. इसकी तैयारिया दोनों ही पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस कर रही है. सीटों का गणित, जिसमें वहां का स्वभाव देखा जा रहा है. कहां कमजोरी और कहां ताकत उसका भी आंकलन किया जा रहा है. उदयपुर संभाग की हॉट सीट वल्लभनगर की बात करें, जहां सीएम अशोक गहलोत भी सीधा जुड़वा रखते हैं. यहां कांग्रेस का राज चला आ रहा है, क्योंकि यहां बीजेपी में अपने ही पार्टी के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. दो दिग्गज एक के बाद एक बीजेपी का दामन छोड़ दिया जिससे पहले नम्बर की पार्टी आज चौथे नंबर पर पहुंच चुकी है. जानिए इस सीट की कहानी.
जब से बीजेपी बनी, तबसे सिर्फ एक बार जीती
वैसे तो मेवाड़ की प्रमुख उदयपुर जिले की 8 सीटों को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है लेकिन इसमें खेरवाड़ा और वल्लभनगर विधानसभा ऐसी है जहां कमल खिल नहीं पा रहा है. यहां लंबे वक्त से कांग्रेस का राज है. हम बात कर रहे थे वल्लभनगर विधानसभा की, तो यहां जब से बीजेपी बनी है, तब से अब तक सिर्फ एक बार यहां कमल खिला. ऐसा नहीं कि बीजेपी का दबदबा नहीं, लेकिन अपनों की चोट से बीजेपी यहां चल नहीं पा रही हैं.
वर्ष 1993 और 1998 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने रणधीर सिंह भिंडर को मैदान में उतारा था, जहां वह दोनों बार हारे. वहीं बीजेपी ने एक बार फिर 2003 में विश्वास जताया तो भिंडर जीते और विधानसभा पहुंचे. उन्होंने दिग्गज नेता गुलाब सिंह शक्तावत हो हराया था. वहीं 2008 में फिर भिंडर खड़े हुए लेकिन शक्तावत के पुत्र गजेंद्र ने भिंडर को शिकस्त दी.
आखिर क्यों कमल नहीं खिल पा रहा है
बीजेपी वल्लभनगर विधानसभा सीट पर पिछले तीन विधानसभा चुनाव से अपनो की वजह से शिकस्त खा रही है. बीजेपी ने 2008 तक रणधीर सिंह भिंडर को टिकट दिया, लेकिन वर्ष 2013 में टिकट काटकर गणपत लाल मेनारिया को उम्मीदवार बनाया. भिंडर ने बागी हुए और नई पार्टी जनता सेना बनाई. सहानुभूति मिली और रणधीर सिंह भिंडर विजय हुए. वर्ष 2018 में बीजेपी ने यहां से उदयलाल डांगी को उम्मीदवार बनाया.
भिंडर और डांगी के बीच बीजेपी के वोट बंटे, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला और गजेंद्र सिंह शक्तावत दूसरी बार जीते. गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन हुआ, तो यहां 2021 में चुनाव हुए. यहां चौकाने वाली बात हुई. बीजेपी ने उदयलाल डांगी का भी टिकट काट दिया तो डांगी आरएलपी शामिल हो गए. यहां बीजेपी के तीन तरफ से वोट बंट गए. चतुष्कोणीय मुकाबले में कांग्रेस से प्रीति गजेंद्र सिंह शक्तावत विजय हुई और बीजेपी चौथे नम्बर पर चली गई.