Rajasthan Election 2023: राजस्थान क्यों नहीं बन पाया तीसरा फ्रंट, जानिए इसके पीछे की सियासी कहानी ?
Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर तीसरे फ्रंट की खूब चर्चा हुई, मगर यह हो नहीं सका, सभी अलग-अलग राह पर निकल चुके हैं.
Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में इस बार चुनाव से पहले कई दलों के एक होने की संभावना बताई जा रही थी. तीसरे मोर्चे के लिए बातें हो रही थी. सीपीआईएम और आप के साथ कई दल जाना चाहते थे. मजबूती से चुनाव लड़ने की कहानी लिखी जा रही थी. मगर, अब ऐसा नहीं हो पाया है. इसके पीछे कई बातें सामने आ रही हैं. सीपीआईएम ने भी अपनी पहली और अंतिम लिस्ट जारी कर दी है. उसी तरह आप ने भी कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है. बसपा भी अपनी अलग राह पर है. आरएलपी को छोड़कर सभी दलों ने अपनी राह अपना ली है. ये वो दल हैं जो तीसरे फ्रंट की वकालत कर रहे थे.
बसपा प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा का कहना है कि समान विचारधारा न मिलने की वजह से बसपा अकेले चुनाव मैदान में है. जबकि पहले संभावनाएं थी कि किसी न किसी दल से बात बन जाएगी मगर अब बसपा अकेले चुनाव मैदान में उतर गई है. 40 से अधिक सीटों पर प्रत्याशी मैदान में हैं. बड़ी संख्या में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा भी होगी. तीसरे फ्रंट की यहां पर अभी कोई संभावना नहीं है.
एआईएमआईएम ने पकड़ी अलग राह
एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष जमील खान का कहना है कि पहले संभावनाएं थीं कि गठबंधन कुछ दलों से हो जाएगा लेकिन धीरे-धीरे इस पर विराम लगता गया. अब एआईएमआईएम अकेले चुनाव मैदान में है. लगभग दर्जन भर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है. इसलिए इस बार विचारधारा न मिलने से किसी भी दल से गठबंधन नहीं हो पाया है.
बस बातें हुईं लेकिन काम नहीं
सीपीआईएम के नेता और पूर्व विधायक अमराराम का कहना है कि पहले तो बहुत दलों से चर्चाएं हुईं, लेकिन धीरे-धीरे संभावना खत्म हो गई. अब सीपीआईएम की पहली और अंतिम लिस्ट जारी हो गई है. जिसमें 17 सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ रही हैं. पहले कई दलों से बात हुई लेकिन उधर से कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई और फ्रंट नहीं बन पाया.
आप भी अकेले रण में
गठबंधन को लेकर आम आदमी पार्टी ने भी एक तरह से इनकार कर दिया है. वहां पर भी गठबंधन को लेकर कोई बड़ी संभावना नहीं दिख रही है. जबकि पहले आम आदमी पार्टी, सीपीआईएम और बसपा के गठबंधन की बात चल रही थी. मगर आप कोई भी दल एक साथ न होकर की अकेले ही मैदान में दिखाई दे रहा है.
ये है बड़ी वजह
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि राजस्थान में कोई भी क्षेत्रीय दल पूरे राज्य में काम नहीं कर पाता है. यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सभी क्षेत्रों में किसी की पहुंच हो पाए. यहां के लोगों का भी विश्वास दिल्ली में मान्यता प्राप्त दलों पर रहता है. इसलिए कोई भी नया दल बहुत लंबा नहीं चल पाता है.