Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी की प्रत्याशियों की लिस्ट लगातार जारी हो रही है. बीती रात सूरसागर विधानसभा सीट के प्रत्याशी की लिस्ट जारी होने के बाद सीएम अशोक गहलोत के गृह जिले में जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी रह चुके पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच टिकट नहीं मिलने से नाराजगी जाहिर करते हुए. कांग्रेस से बगावत कर दी है.
निर्दलीय उम्मीदवार बनाकर नामांकन भरने का दावा कर रहे है. पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने कांग्रेस पार्टी में किसी तरह की परदेसी तन नहीं होने व कार्यकर्ताओं को तवज्जो नहीं देने का भी आरोप लगाया है बता दे की 2008 की कांग्रेस सरकार के दौरान जोधपुर नगर निगम से कांग्रेस पार्टी ने रामेश्वर दाधीच को महापौर बनाया था.
नाम की घोषणा होते ही विरोध शुरू हो गया
जोधपुर की सूरसागर विधानसभा सीट पर सबसे अधिक प्रत्याशियों ने अपनी दावेदारी की थी. सर्वे की रिपोर्ट के बाद शनिवार (4 नवंबर) की रात को कांग्रेस की लिस्ट जारी हुई. सूरसागर से कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी शाहबाज खान को बनाया है. नाम की घोषणा होते ही ब्राह्मण व माइनॉरिटी के प्रत्याशियों में विरोध करना शुरू कर दिया.
'मैंने कांग्रेस पार्टी को खून से सींचा है'
सूरसागर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी की ओर से ब्राह्मण उम्मीदवार के तौर पर दावेदारी करने वाले पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए. बताया कि "मैंने पार्टी को खून से सींचा है. मैंने पार्टी के लिए घर को जला दिया. आखिर में पार्टी ने हमें क्या दिया है. कुछ नहीं दिया है. जबकि मुझे बताया गया कि राजस्थान में पार्टी के हुए सर्वे में सबसे टॉप पर मेरा नाम था. लेकिन मेरी वफादारी का मुझे इनाम मिला है कि मेरा टिकट काट दिया गया है. एक ऐसे 26 साल के युवा को टिकट दिया गया है. जिसे कोई जानता नहीं है".
'पार्टी की ओर से लिया गया निर्णय गलत है'
पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने कहां कि "मैं निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ूंगा. मैं दावा करता हूं कि मेरी जीत होगी. मेरे साथ 36 कॉम के लोग है. यह पार्टी की ओर से लिया गया निर्णय गलत है. एक ही परिवार पर इतनी मेहरबानी क्यों सूरसागर से 2018 की प्रत्याशी प्रोफेसर अयूब खान को हारने के बाद आरपीएससी का सदस्य बना दिया गया. चुनाव में टिकट भी उनके बेटे को दे दिया गया. इससे कार्यकर्ता काफी नाराज है. कार्यकर्ताओं के दम पर मैं इस चुनावी मैदान पर उतरा हूं और मेरी जीत तय है".
'मैने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया है'
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की काफी करीबी रह चुके पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच ने कहा कि "मेरी इतनी नजदीकी है. वह आपके सामने है. सर्वे में मेरा नाम आने के बावजूद मेरा टिकट काट दिया गया. एक ऐसे प्रत्याशी को टिकट दिया गया है. जिससे बीजेपी का उम्मीदवार जीत जाए. इसलिए ऐसा किया गया है. कहीं ना कहीं राजस्थान में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है. मैने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया है".
अशोक गहलोत का हमशक्ल भी कहा जाता है
2018 में राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार बनी थी, उसके बाद अशोक गहलोत ने अपने करीबी रामेश्वर दाधीच को जोधपुर नगर निगम का महापौर बनाया. इतना कुछ देने के बाद भी महत्वाकांक्षा कभी खत्म नहीं होती है. ऐसा ही नजर आया पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच की हटधर्मिता और बागी तेवर से जो अपनी ही पार्टी और अपने ही साथी से बगावत कर बैठे हैं. पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच को अशोक गहलोत का हमशक्ल भी कहा जाता है.
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