Rajasthan Election 2023: साध्वी अनादि ने छोड़ा बीजेपी का साथ, सीएम गहलोत की मौजूदगी थामा कांग्रेस का हाथ, जानें इसके सियासी मायने?
Rajasthan Election 2023: साध्वी अनादि सरस्वती ने चुनाव से पहले BJP छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई हैं. यूपी सीएम योगी को फॉलो करने वाली साध्वी अनादि के पार्टी छोड़ने से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है.
Rajasthan Assembly Election 2023 News: विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान की सियासत में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. बीजेपी की कट्टर समर्थक और नेता साध्वी अनादि ने बृहस्पतिवार (2 नवंबर) को कांग्रेस का दामन थाम लिया है. उनके कांग्रेस जॉइन करने की कई वजहें बताई जा रही हैं. सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि अनादि अजमेर उत्तर से बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन बीजेपी ने उनकी जगह वासुदेव देवनानी को वहां से पार्टी प्रत्याशी बना दिया. इस बात से साध्वी अनादि नाराज हो गईं और उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया.
अब चर्चा है कि कांग्रेस धर्मेंद्र राठौड़ की जगह साध्वी अनादि टिकट दे सकती हैं. अजमेर जिले की रहने वाली साध्वी अनादि सरस्वती को हिंदुत्व का फेस माना जाता है. वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फॉलो करती हैं और उनकी तरह ही सेवा कार्य में जुटी हुई हैं. वो अजमेर उत्तर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन टिकट नहीं मिलने से खफा साध्वी अनादि सरस्वती ने अब बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि वो अजमेर उत्तर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं.
बीजेपी छोड़ने के अगले दिन थामा कांग्रेस का हाथ
इससे पहले बुधवार को साध्वी अनादि सरस्वती ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को अपना त्याग पत्र सौंपा दिया था. जिसमें उन्होंने लिखा कि वो अपरिहार्य कारणों के चलते बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से अपना त्याग पत्र दे रही हैं. बृहस्तपतिवार (2 नवंबर) को साध्वी अनादि सरस्वती ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गईं.
कौन हैं साध्वी अनादि सरस्वती?
अजमेर जिले की रहने वाली 44 वर्षीय साध्वी अनादि सरस्वती ने समाजशास्त्र से एमए किया है. पढ़ाई पूरी करने के बाद अनादि सरस्वती ने सांसारिक जीवन छोड़कर अध्यात्म का रास्ता अपना लिया. उन्होंने पतंजलि योगदर्शन, भगवद् गीता और वेदांत का भी ज्ञान प्राप्त किया. 1995 में अनादि सरस्वती पूरी तरह साधना से जुड़ गईं और 2008 में उन्होंने प्रेमानंद सरस्वती से महानिर्वाण अखाड़े की पवित्र परंपरा के अनुसार दीक्षा ली. साध्वी अनादि सरस्वती बाकी संतों से अलग हटकर सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं.
क्या कहा साध्वी ने?
बृहस्पतिवार को साध्वी अनादि सरस्वती को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस मौके पर साध्वी अनादि ने कहा, ''मुझे लगता है कि पूरे समाज में मेरी पहचान एक संत के रूप में है. एक संत किसी भी दलगत राजनीति से ऊपर होता है और एक संत पूरे विश्व को अपना परिवार मानता है.'