Shrimadhopur Vidhan Sabha Seat: सीकर जिले की श्रीमाधोपुर विधानसभा सीट (Shrimadhopur Vidhan Sabha Seat) बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस बार जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता दीपेंद्र सिंह शेखावत ने चुनाव न लड़ने की बात कह दी है. वहीं पर बीजेपी ने भी किसी मजबूत प्रत्याशी को उतारने की तैयारी की है. कांग्रेस भी इस बार किसी ओबीसी चेहरे पर दांव लगा सकती है. क्योंकि, यहां पर यादव वोटर्स की संख्या अधिक है. बीजेपी भी ओबीसी चेहरे की तलाश में है.


दरअसल, यहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों तरफ से तैयारी तेज है, क्योंकि, दोनों दिग्गज नेता हाथ खड़े कर चुके है. यहां पर एक बार निर्दलीय को भी जीत का मौका मिला है. अक्सर, बीजेपी और कांग्रेस की यहां पर टक्कर की लड़ाई रही है. वहीं कांग्रेस की तरफ से कई नेताओं ने आवेदन दिए है. कांग्रेस नेता बलराम यादव यहां पर जातिगत समीकरण में आगे बताए जा रहे हैं. दीपेंद्र सिंह शेखावत की अंतिम बाजी है. उसपर भी सबकी नजरें बनी हुई है. 


ये हैं यहां के मुद्दे 


सीकर जिले की यह विधानसभा सीट वैसे तो हर मामले में आगे है. मगर, यहां पर पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को और बेहतर करने की जरुरत है. लोगों का कहना है कि यहां पर उच्च शिक्षा के लिए और काम होने चाहिए. 


आंकड़ें जो हैं बेहद महत्वपूर्ण 


श्रीमाधोपुर विधानसभा सीट पर कुल 2,70, 980 मतदाता हैं. जिनमें 1,43, 500 पुरुष और 1,27,480 महिला मतदाता हैं. 2018 में  71.92 और वर्ष 2013 74.24 और 2008 में 63.3 मतदान हुआ था. श्रीमाधोपुर विधानसभा में जातिगत समीकरण कुछ ऐसा है. यादव, एससी, जाट, राजपूत, माली वोट बैंक बाहुल्य है. परिसीमन के बाद जुड़ी 11 नई ग्राम पंचायतों के कारण गुर्जर जाति के मतदाताओं की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है. यादव, माली, गुर्जर वोटों पर सभी की निगाहें टिकी रहती हैं. यही यहां के किंगमेकर हैं. 


जब भैंरों सिंह शेखावत ने जीत की थी दर्ज 


श्रीमाधोपुर सीकर जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. यहां से बीजेपी के पुरोधा और पूर्व सीएम भैंरो सिंह शेखावत ने भी एक बार जीत दर्ज की थी. दरअसल, वो चुनाव रोचक हो गया था. 1957 में जिले में पहली बार महिला प्रत्याशी गीता बजाज को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था. उस चुनाव में जनसंघ के भैंरोंसिंह शेखावत सामने थे. उस चुनाव में भैंरों सिंह शेखावत जीत गए थे. उसके बाद वहीं हरलाल सिंह खर्रा का दौर आया. 1967 में पहली बार जनसंघ से विधायक बने. 1972 में दो ही प्रत्याशी होने के कारण कांग्रेस व जनसंघ में सीधा मुकाबला हुआ. इसमें कांग्रेस के सांवरमल मोर ने जनसंघ के हरलाल सिंह खर्रा को हराया था. इसके बाद कांग्रेस का दौर दीपेंद्र सिंह शेखावत की वजह से आया, जो अभी बरकरार है. 


अभी तक के ये रहे विधायक 


श्रीमाधोपुर विधानसभा सीट पर अब तक के विधायाकों के नाम कुछ इस प्रकार है. 1952 आरआरपी से रूपनारायण, 1957 जनसंघ से भैंरोंसिंह शेखावत, 
1962 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामचंद्र, 1967 जनसंघ से हरलाल सिंह खर्रा, 1972 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सांवरमल मोर, 1977 जनता पार्टी से हरलाल सिंह खर्रा, 1980 में कांग्रेस से दीपेंद्रसिंह शेखावत, 1985 में बीजेपी के हरलाल सिंह खर्रा, 1990 बीजेपी से हरलाल सिंह खर्रा, 1993 में कांग्रेस से दीपेंद्र सिंह शेखावत, 1998 में कांग्रेस से दीपेंद्र सिंह शेखावत, 2003 में हरलाल सिंह खर्रा निर्दलीय, 2008 में कांग्रेस से दीपेंद्र सिंह शेखावत, 2013 में बीजेपी से झाबर सिंह खर्रा और वर्ष 2018 में कांग्रेस से दीपेंद्र सिंह शेखावत ने जीत दर्ज की है.


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