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Rajasthan: उदयपुर सीट पर 20 साल से रहा बीजेपी का कब्जा, कटारिया के जाने के बाद दोनों पार्टियों में बढ़ी रस्साकशी

Udaipur Assembly: विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में शुमार उदयपुर विधानसभा सीट पर रस्साकशी तेज हो गई है. दोनों ही पार्टियों के पास इस सीट के लिए कोई मजूबत कैंडिडेट नहीं है.

Udaipur News: राजस्थान (Rajasthan) में इसी वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने वाले हैं. ऐसे में हर एक विधानसभा सीट को लेकर जीत- हार का गुणा भाग शुरु हो गया है. ऐसे में राजस्थान की राजनीति में सबसे प्रमुख माने जाने वाले मेवाड़ (Mewar) की 28 सीट की बात करें, तो यह सभी की नजरों में है. सीएम अशोक गहलोत तक यहां लगातार दौरे कर रहे हैं. मेवाड़ की उदयपुर शहर विधानसभा (Udaipur Assembly Constituency) सबसे महत्तवपूर्ण सीटों में से एक माना जाता है. 

उदयपुर शहर विधानसभा सीट पर बीजेपी का एक छत्र राज चलता आया है, वहीं ऐसा पहली बार है जब दोनों ही पार्टियों के पास कोई चेहरा नहीं है. कांग्रेस तो कमजोर थी ही लेकिन गुलाब चंद कटारिया के जाने के बाद बीजेपी के पास भी कोई मजबूत कैंडिडेट नहीं बचा है. आइये जानते हैं इस सीट के बारे में.

4 विधानसभा चुनाव से बीजेपी का रहा है कब्जा

उदयपुर शहर विधानसभा के सीट पर हार जीत के इतिहास की बात करें तो यहां पिछले 4 विधानसभा चुनाव से बीजेपी का कब्जा रहा है. वर्ष 2003 से 2018 तक वर्तमान में असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया यहां विधायक रहे. इससे पहले जरूर कांग्रेस के त्रिलोक पूर्बिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास विधायक रही. इन दोनों से पहले एक दो बार गुलाब चंद कटारिया विधायक रहे. यह कह सकते हैं कि उदयपुर शहर विधानसभा बीजेपी के कब्जे में ही ज्यादातर रही. 

कटारिया के जाने बाद दोनों पार्टियों के पास नहीं है मजबूत कैंडिडेट

उदयपुर विधानसभा सीट में पिछले लंबे समय से कांग्रेस से मजबूत नेता सामने नहीं आया. इसी कारण कांग्रेस ने पिछले चुनाव में वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास को गुलाब चंद कटारिया के सामने उतारा था, लेकिन कटारिया के सामने गिरिजा व्यास को हार का सामना करना पड़ा. यहीं स्थिति अब बीजेपी की हो गई है.

गुलाब चंद कटारिया के असम राज्यपाल बनने के बाद बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. ऐसे में बीजेपी इस सीट पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए एड़ी- चोटी का जोर लगा रही है, वहीं गुलाब चंद कटारिया के जाने के बाद कांग्रेस इस मौके का फायदा उठा अपना परचम लहराने की तैयारी कर रही है.

उदयपुर में ये हैं बड़े चुनावी मुद्दे

झीलों के शहर उदयपुर में पर्यटन और झीलों से जुड़े बड़े मुद्दे है. उदयपुर का सबसे बड़ा मुद्दा ट्रैफिक व्यवस्था है. पर्यटन शहर होने के कारण सीजन में यहां पर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. ऐसे में शहर में हर तरफ जाम की स्थिति बन जाती है. यह सिर्फ सीजन में नहीं अन्य दिनों में भी कई बार जाम का सामना करना पड़ता है. 

दूसरे मुद्दे की बात करें झीलों से जुड़ा हुआ है. उदयपुर शहर झीलों के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है. ऐसे में झील से जुड़ा मुद्दा भी बड़ा है. मुद्दा यह है कि झीलों में अभी भी सीवरेज का पानी जा रहा है जिससे गंदगी और जल प्रदूषण फैल रहा है. बड़ी बात यह है कि अभी दोनों ही पार्टियां में इन मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हो रही है. सभी चुनाव में जीत के लिए जोड़ तोड़ में लगे हैं.

3 महीने में सीएम उदयपुर का दर्जन बार से अधिक कर चुके हैं दौरा- डॉ. कुंजन आचार्य

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य का कहना है कि उदयपुर विधानसभा सीट इस बार नए राजनीतिक समीकरण का निर्माण कर रही है. मौजूदा विधायक गुलाबचंद कटारिया के असम के राज्यपाल बनने के बाद बीजेपी में भी कई दावेदार अपना चेहरा चमकाने की जोर आजमाइश कर रहे हैं. कांग्रेस भी कटारिया के वर्चस्व को तोड़ने के लिए किसी मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतार सकती है. 

डॉ. कुंजन आचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं पिछले 3 महीने में एक दर्जन से अधिक बार उदयपुर का दौरा कर स्पष्ट संकेत दे चुके हैं, कि उनके लिए उदयपुर महत्वपूर्ण सीट है. कुल मिलाकर उदयपुर सीट इस बार नए समीकरणों को बनाएगी. जहां तक मुद्दों का सवाल है पहला मुद्दा यही होगा कि दोनों पार्टी में चेहरा कौन होगा. चुनावी मुद्दे उसके बाद ही तय होंगे. 

ये भी पढ़ें: Rajasthan Weather: उदयपुर और जोधपुर में 15 जून तक दिखेगा चक्रवात का असर, मौसम विभाग ने जारी किया येलो अलर्ट

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