Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव घोषित होने में कुछ ही दिन रह गए हैं. अक्टूबर में कभी भी आचार संहिता लग जाएगी. ऐसे में प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस हर एक सीट का एनालिसिस करने में जुटी हुई है. लेकिन आज आपको ऐसी सीट के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां से कांग्रेस के प्रत्याशी मात्रा 1 वोट से हरे थे. इस सीट ने राजनीतिक पार्टियों को आइना दिखा दिया था कि एक एक वोट कीमती है. बड़ी बात तो यह कि एक वोट से हार भी को सामान्य कांग्रेसी नेता नहीं, वर्तमान राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी की हार हुई थी. इसके अलावा भी इस विधानसभा में कई इतिहास बनाए है. जानिए मेवाड़ में कितनी खास है नाथद्वारा विधानसभा.


धार्मिक नगरी है नाथद्वारा 
नाथद्वारा उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले में है. जिस तरह से झीलों की नगरी उदयपुर पर्यटन क्षेत्र में फैमस है. उससे कई ज्यादा धार्मिक नगरी या कहे धार्मिक पर्यटन के रूप में नाथद्वारा फैमस है क्योंकि यहां श्री नाथ जी का मंदिर है. इस मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में भक्त दर्ज करने आते हैं. इनमे भी सबसे ज्यादा गुजरात के आते हैं. साथ ही इसी नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा भी बनी है. अब जानते हैं राजनीति के बारे में.


वर्ष 2008 में बना था इतिहास
इस विधानसभा पर जनता का कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों का आशीर्वाद रहा है. लेकिन यह भी सही है कि कांग्रेस पार्टी से जिस प्रकार विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का कद है, वैसा यहां बीजेपी से किसी का नहीं रहा. वर्ष 2013 में इस विधानसभा ने इतिहास रचा था. यहां भारतीय जनता पार्टी से कल्याण सिंह चौहान प्रत्याशी थे और कांग्रेस से सीपी जोशी थे. कल्याण सिंह को 62216 वोट मिले थे और सीपी जोशी को 62215 वोट मिले थे. मात्र एक वोट से हार हुई थी. इसके बाद कल्याण सिंह ने 2013 ने दौबारा जीत हासिल की. वहीं वर्ष 2018 ने सीपी जोशी जीते.


इस सीट के बारे में जानिए राजनीतिक विश्लेषक कुंजन आचार्य से 
राजनीतिक विश्लेषक कुंजन आचार्य ने बताया कि नाथद्वारा विधानसभा सीट विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का पर्याय मानी जाती है. पिछले दो दशकों से भी अधिक समय से इस सीट पर सीपी जोशी का वर्चस्व कर रहा है. लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रारंभिक दौर में यह सीट जनसंघ की सीट मानी जाती थी क्योंकि प्रारंभिक दौर के चुनाव में यहां जनसंघ का ही कब्जा रहा था. पिछले 40 साल यहां से जीतने वाले हर विधायक को दूसरी बार मौका मिला लेकिन तीसरी बार हैट्रिक का सपना अधूरा ही रहा. यहां से सात बार ब्राह्मण, छह बार राजपूत और एक बार जैन प्रत्याशी विजय घोषित हुआ.


पिछले चुनाव में मौजूदा विधायक जोशी की एक वोट से हुई हार इतिहास में दर्ज हो गई थी. इस हार में बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को सोचने पर मजबूर किया था कि राजनीति में एक वोट का भी कितना महत्व होता है. नाथद्वारा तीर्थ नगरी है, जहां पर वैष्णव दर्शनार्थियों और श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है इसलिए नाथद्वारा का धार्मिक महत्व भी है. पिछले चुनावों के मतदान के रुझान से यह पता चलता है कि नाथद्वारा शहर को छोड़कर पूरे विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का मत प्रतिशत अधिक रहता है. इसलिए देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की पकड़ ज्यादा है.


नाथद्वारा के रहने वाले हैं सीपी जोशी 
सीपी जोशी मूलतः नाथद्वारा के रहने वाले हैं और इनकी राज्य और केंद्र दोनों स्थानों पर मंत्री के रूप में उपस्थिति रही है. अभी विधानसभा अध्यक्ष रहने का सीधा-सीधा विकासात्मक लाभ क्षेत्र की जनता को हुआ है.  जोशी ने यहां खूब विकास कार्य करवाए. अभी भारतीय जनता पार्टी में उनके मुकाबले का कोई चेहरा पिछले 5 सालों में खड़ा नहीं हो पाया. आम तौर पर ग्राम बहुल विधानसभा क्षेत्र में मुद्दे बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, चिकित्सा आदि प्रमुख रहते है. एक वोट से हारने के बाद सीपी जोशी ने दोबारा सीट पर जो पकड़ बनाई वह अपने आप में काबिले तारीफ है और इसका असर सीधे-सीधे जनता पर दिखाई भी पड़ता है.


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