Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) के लिए अब कुछ ही हफ्ते रह गए हैं. इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने 41 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. तो वहीं अभी कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. टिकट बंटवारे को लेकर दोनों ही दलों में मैराथन बैठकें चल रही हैं. उदयपुर जिले की आठ सीटों पर अभी प्रत्याशियों के चयन को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में मैराथन बैठकें चल रही हैं. यहां पिछले कुछ समय से बीेजेपी का वर्चस्व है, लेकिन कांग्रेस भी कांटे की टक्कर दे रही है. दो सीटों पर बीजेपी का गढ़ है तो दो पर कांग्रेस का है. वहीं चार सीटों पर उलटफेर होता रहता है.
बीजेपी ने 41 कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट की जारी
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 41 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की है. जिनमें सात सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा गया है. जिसके बाद सांसदों का विरोध शुरु हो गया है. टिकट बंटवारे से नाराज बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सांसदों के खिलाफ नारेबाजी की. उधर कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशियों का पिटारा नहीं खोला है.वहीं सूत्रों के अनुसार कांग्रेस आज प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर सकती है. केंद्रीय चुनाव समिति (CEC) की बैठक में विधानसभा प्रत्याशियों के नाम पर चर्चा हुई.
उदयपुर में किसका पलड़ा भारी..?
उदयपुर शहर बीजेपी का गढ़ माना जाता है जहां गुलाब चंद कटारिया जो असम के राज्यपाल हैं, वह यहां से लगातार चार चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन अब कांग्रेस के लिए इस सीट पर एक मौका है. दोनों ही पार्टियों के पास अभी कोई प्रमुख दावेदार नहीं हैं. तो वहीं उदयपुर ग्रामीण सीट की बात करें तो बीजेपी के फूल सिंह मीणा यहां लगातार दो बार विधायक रहें. यहां लंबे समय से एक ही परिवार कटारा से उम्मीदवार उतरते आ रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के पास इनके अलावा अभी कोई प्रत्याशी नहीं है.
खेरवाड़ा कांग्रेस का गढ़ हैं क्योंकि यहां से सात बार कांग्रेस पार्टी में विजय प्राप्त की है. यहां कांग्रेस से प्रमुख दावेदार दयाराम परमार हैं. वहीं बीजेपी ने नानालाल अहारि को एक बार फिर मौका दिया है. वह भी यहां से जीत चुके हैं.वल्लभनगर सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है क्योंकि पिछली बार उपचुनाव में बीजेपी की जमानत जब्त हुई थी. यहां बीजेपी तीन धड़े ने बंट चुकी है. बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस इसी सीट पर हैं. अभी कांग्रेस की प्रीति शक्तावत विधायक हैं.
सलूंबर और मावली विधानसभा
अघर सलूंबर और मावली की बात करें तो यहां बीजेपी और कांग्रेस में टक्कर रहती है. अभी दोनों सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. कांग्रेस सरकार ने इसे नया जिला बना दिया हैं दिया हैं जिससे कांग्रेस को मदद मिल सकती हैं. वहीं मावली की बात की तो यहां प्रत्याशी बदलते रहते हैं. जैसे बीजेपी के धर्मनारायण जोशी विधायक हैं लेकिन इस बार इन्होंने ही यहां से लड़ने से इंकार कर दिया है. इन दोनों विधानसभा पर पार्टियों की टक्कर रहती है.
गोगुंदा और झाड़ोल विधानसभा
गोगुंदा विधानसभा सीट पिछले तीन चुनाव से सरकार के हिसाब से चल रही है. जिसकी सरकार उसका विधायक होता है. यहां अदला बदली का ट्रेंड है. इस सीट पर भी दोनों प्रमुख पार्टियों में टक्कर होती है. वहीं झाड़ोल विधानसभा की बात करें तो यह पहले कांग्रेस का गढ़ थी लेकिन बीजेपी ने 2013 में इसे छीन लिया. यह सीट आरक्षित हैं लेकिन जनरल वोटर्स निर्णायक माने जाते हैं.