Rajasthan Election 2023 News: मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच विवाद और फिर समझाइश के दौर के बाद एमपी में सपा को कांग्रेस ने बहुत तवज्जो नहीं दी और दोनों ने एक दूसरे की सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए. इसके बाद दोनों दलों के बीच बयानों का दौर चला और अब समझाइश के बाद हालात सामान्य करने की कोशिश है.  अब लोगों की निगाहें राजस्थान पर टिकी हुई हैं.  यहां कांग्रेस ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जयंत चौधरी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकदल को दो सीटें- भरतपुर और मालपुरा दिया था. इस बार जयंत चौधरी की पार्टी कथित तौर पर 4-5 सीटें मांग रही है.


कांग्रेस ने शनिवार को 33 सीटों पर प्रत्याशियों के एलान किए. हालांकि इसमें वह सीटें शामिल नहीं हैं जिन पर रालोद साल 2018 में लड़ी थी. हालांकि जयंत चौधरी यह मंशा जता चुके हैं कि उनकी पार्टी को इस बार और ज्यादा सीटें दी जाएं. जयंत चौधरी ने बीते दिनों कहा था- जिन सीटों को कांग्रेस कई बार से चुनाव हार रही है उन सीटों को राष्ट्रीय लोकदल को दिया जाए. राष्ट्रीय लोक दल उन सीटों को जीत कर दिखाएगी.
 
जयंत चौधरी सपा-कांग्रेस विवाद चुप
राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा. रालोद चीफ ने कहा था कि हमारी पार्टी पूरे राजस्थान की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने नहीं जा रही है. हम सिर्फ उन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं जिन पर कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन मजबूती से उभरा है.


रालोद नेता ने कहा था कि  पिछली बार दो सीटों पर गठबंधन हुआ था लेकिन इस बार हम ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और हम चाहते हैं कि इस बार ज्यादा सीटों पर गठबंधन किया जाए. उधर, कांग्रेस और सपा के बीच मची कलह पर अभी तक रालोद और जयंत की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने भी अभी तक जयंत चौधरी के सीटों की मांग पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में माना जा रहा है दोनों दलों ने एमपी के वाकये से सबक लेते हुए सावधानी से मामला निपटाने का फैसला किया है. दीगर है कि जाट मतों के आधार पर रालोद राजस्थान में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करना चाहती है. हालांकि एमपी में जिस तरह से सपा और कांग्रेस के सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर कलह मची और उसके बाद बड़े नेताओं के बयानों ने दोनों दलों के बीच माहौल को आशांत कर दिया, उससे राजस्थान में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन की राह आसान नहीं दिख रही है.


राजस्थान में कांग्रेस दोबारा सत्ता में वापसी की कोशिश में है. ऐसे में उसकी पूरी कोशिश होगी कि अधिक से अधिक विधायक उसके सिंबल पर जीत कर विधानसभा पहुंचें ताकि परिणामों में अगर वह जीते तो सरकार बनाने के लिए उसे किसी सहारे की जरूरत न पड़े. कांग्रेस अभी खुद अंतर्कलह और कथित गुटबाजी से जूझ रही है ऐसे में वह रालोद के साथ गठबंधन को किस मोड़ पर  पहुंचाएगी यह देखना दिलचस्प होगा.