Rajasthan Assembly Election 2023 News: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहेल पश्चिमी राजस्थान के जाट लैंड में कांग्रेस ने बीजेपी के खेमे में सेंध लगाई. भारतीय जनता पार्टी के कर्नल सोनाराम चौधरी रविवार (5 नवंबर) को कांग्रेस में शामिल हो गए है. कर्नल सोनाराम चौधरी के अचानक कांग्रेस में शामिल होने के फैसले ने सबको चौंका दिया. कर्नल सोनाराम चौधरी  2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे.


कर्नल सोनाराम चौधरी की घर वापसी के बाद सियासी अटकलों का बाजार गर्म है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि कर्नल सोनाराम चौधरी को गुड़ामालानी विधानसभा से कांग्रेस का टिकट मिल सकता है. वह हेमाराम चौधरी के काफी करीबी माने जाते हैं. कर्नल सोनाराम साल 2018 में बाड़मेर विधानसभा से सीट से सीट चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें कांग्रेस के मेवाराम जैन के सामने हार का सामना करना पड़ा था. कर्नल सोनाराम चौधरी 1996, 1998, 1999 और 2014 में सांसद भी रहे थे.


बायतु से लगातार बीजेपी प्रत्याशी से मिली हार
कांग्रेस के टिकट पर कर्नल सोनाराम चौधरी ने तीन बार चुनाव में जीत हासिल की है. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के मानवेंद्र सिंह जसोल से हार गए. साल 2008 में कर्नल सोनाराम चौधरी ने परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई बायतु विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. हालांकि साल 2009 में कांग्रेस ने उनके मुकाबले हरीश चौधरी को लोकसभा का टिकट दिया. कर्नल सोनाराम चौधरी 2013 में बायतु से कांग्रेस से प्रत्याशी थे, लेकिन बीजेपी के कैलाश चौधरी के सामने चुनाव लड़े और हार गए.


2014 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे सोनाराम चौधरी
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कर्नल सोनाराम चौधरी ने कांग्रेस का दामन छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. उस समय बीजेपी ने कद्दावर नेता जसवंत सिंह जसोल को टिकट न देकर कर्नल सोनाराम चौधरी को प्रत्याशी बनाया. लोकसभा चुनाव में जसवंत सिंह जसोल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े, लेकिन कर्नल सोनाराम चौधरी के सामने उनकी हार हुई. कांग्रेस के प्रत्याशी रहे हरीश चौधरी इस दौरान तीसरे स्थान पर रहे.


बीजेपी से नाराज चल रहे थे सोनाराम चौधरी
साल 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कर्नल सोनाराम चौधरी को बाड़मेर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में कांग्रेस के मेवाराम जैन ने कर्नल सोनाराम चौधरी को लगभग 33 हजार वोटों के अंतर से हराया था. इसके बाद कर्नल सोनाराम चौधरी, बीजेपी आलाकमान से नाराज हो गए. उन्होंने बीजेपी की कार्यक्रमों और बैठकों में शामिल होना छोड़ दिया. कर्नल सोनाराम चौधरी की बीजेपी से लंबे समय से दूरियां सियासी गलियारों में चर्चा में बनी रही. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम कर बीजेपी को बड़ा झटका दिया.


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