Rajasthan Elections 2023: इस साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में चुनाव होने हैं.इनमें से बीजेपी को सबसे अधिक उम्मीदें राजस्थान से है. बीजेपी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ तुष्टिकरण, महिला उत्पीड़न और भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है. इनके अलावा वो जीत के लिए योग्य उम्मीदवार, जातीय समीकरण और सकारात्मक मुद्दों को साधने की रणनीति पर काम कर रही हैं. पॉलिटिकल फीडबैक के लिए बीजेपी ने एक नई यूनिट बनाई है. इसकी कमान गृहमंत्री अमित शाह के करीबी और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय कौ सौंपी गई है.
क्या काम करेगी पॉलिटिकल फीडबैक यूनिट
पॉलिटिकल फीडबैक यूनिट का काम चुनाव वाले राज्यों में जीत के फार्मूलों पर काम करना है. हर विधानसभा सीट के जातीय समीकरणों से लेकर स्थानीय मुद्दों का धरातल पर असर और विपक्ष के संभावित उम्मीदवारों का समय रहते पता लगाकर पार्टी को योग्य उम्मीदवारों के चयन में भूमिका निभाएगा. चुनावी राज्यों में अनुभवी नेताओं को प्रदेश संयोजक बनाया गया है. राजस्थान में इसका जिम्मा शैलेंद्र भार्गव को दिया गया है.
बीजेपी अशोक गहलोत सरकार की योजनाओं के जमीनी असर का आकलन कर रही है. वह यह पता लगा रही है कि कांग्रेस सरकार की योजनाओं को काउंटर कैसे करना है. खासकर फ्री बिजली, 500 रुपये में गैस सिलेंडर और चिरंजीवी योजना में 25 लाख रुपये तक का इलाज प्रमुख है.
क्षेत्रीय दलों की रणनीति पर भी रहेगी नजर
पॉलिटिकल फीडबैक यूनिट पार्टी की अंदरूनी स्थितियों पर भी नजर रखेगी. किस सीट पर किन किन नेताओं के विवाद की वजह से पार्टी को क्या नुकसान होगा, इसका आकलन भी यह यूनिट करेगी. इसके अलावा यह यूनिट राजस्थान में बसपा, बीटीपी और आरएलपी जैसे क्षेत्रिय दलों की ग्राउंड पर स्थिति के अलावा आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम की गतिविधियों और इनकी सभाओं में शामिल हो रहे समाजों की जानकारी जुटाई जाएगी.
पॉलिटिकल फीडबैक यूनिट हर विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरणों का विश्लेषण कर बताएगी कि पिछले चुनावों में किस जाति वर्ग के विरोध या पक्ष में आने से बीजेपी की जीत या हार हुई. इस बार पक्ष या विपक्ष में जातीय समीकरण क्या है.जातीय समीकरण सुधारने पर किस जाति या वर्ग पर फोकस करना है.
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