Rajasthan Election 2023 News: एक ओर देश में हिंदुत्व की लहर चल रही है. सनातन धर्म के नाम पर हिंदू समाज को एकजुट करने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सूबे में अलग-अलग जातियां अपनी सियासी ताकत दिखाने में जुटी है. यही वजह है कि इन जातियों की महापंचायत होने लगी है. जातियों की एकजुटता को देखकर बीजेपी और कांग्रेस समेत अन्य राजनीतिक दलों में घबराहट और बैचेनी बढ़ने लगी है.


सामाजिक वर्चस्व बढ़ाने की कवायद


इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चंद महीने बाद होने वाले चुनाव से पहले सियासी दल सक्रियता के साथ सत्ता वापसी और परिवर्तन की जद्दोजहद में जुट गए हैं. इन राजनीतिक दलों की सक्रियता के बीच समाज और जातियां भी सक्रियता से चुनावी तैयारियों में जुट गई है. राजनीतिक दल अपना प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए वर्चस्व दिखा रही है. इसका ताजा उदाहरण चंद रोज पहले 5 मार्च को दिखाई दिया.


राजधानी जयपुर में जाट समाज की जनसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के जाट नेताओं ने शीर्ष राजनीतिक पदों पर प्रतिनिधित्व की मांग की थी. अब आगामी 19 मार्च को ब्राह्मण समाज ने भी जयपुर में ही महापंचायत बुलाई है. पूरे प्रदेश से विप्र समाज के सदस्य राजधानी में जुटेंगे और अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे. इससे पहले गत दिसंबर में राजपूत समाज ने भी जयपुर में अपनी सामाजिक ताकत दिखाई थी.


सरकार ने किया बोर्ड का गठन


चुनावी साल में इन जातियों को साथ रखने के लिए सूबे की मौजूदा सरकार प्रयासरत है. वोट बैंक खिसकने के खतरे से बचने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने जाट समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए वीर तेजाजी बोर्ड बनाने की घोषणा की है. लोकदेवता तेजाजी महाराज जाट समुदाय के प्रमुख देवता हैं. सोशल इंजीनियरिंग के तहत गहलोत सरकार ने तीन नए बोर्ड गठित किए हैं.


राजस्थान चमड़ा शिल्प विकास बोर्ड, राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड (माली समुदाय) और राजस्थान राज्य रजक (धोबी) कल्याण बोर्ड का गठन किया है. राजस्थान में माली जाति ओबीसी के अंतर्गत आती है, जबकि धोबी और चमड़े के व्यापार में शामिल लोग एससी समुदाय के अंतर्गत आते हैं. इनसे पहले भी सरकार ने शिल्प या समुदाय पर आधारित विभिन्न बोर्ड गठित किए थे.


सीएम गहलोत ने ब्राह्मण समुदाय के लिए विप्र कल्याण बोर्ड, कुम्हार समुदाय के लिए माटी कला बोर्ड, नाई समुदाय के लिए केश कला बोर्ड और गुर्जर समुदाय के लिए देवनारायण बोर्ड बनाया था.


राजनीतिक दलों पर दबाव


राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि जाति आधारित संगठन सामूहिक बैठकों के माध्यम से बेहतर प्रतिनिधित्व और विधानसभा चुनावों से पहले अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जाट, राजपूत, ब्राह्मण सियासी दलों का प्रमुख वोट बैंक है और यही वजह है कि सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है.


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