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Rajasthan: कांग्रेस में ये हैं 'कास्ट किंग' लीडर्स जो चुनाव में बदल देते हैं सबकुछ, आलाकमान भी इनके सामने 'मजबूर'!
Congress in Rajasthan Elections 2023: कांग्रेस में हर जातियों को साधने के लिए नेताओं की लिस्ट बनाई जा रही है. इनके सहारे ही पार्टी ने चुनाव में उतरने की रणनीति बनाई है.
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Congress on Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान के विधानसभा चुनाव में इस बार जातियों के समीरकण में सभी दल उलझे हुए हैं. कभी जातियों का सम्मेलन तो कभी महापंचायत कराई गई. अब इससे कोई दल अछूता नहीं है. कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं है. आलम यह है की इन समीकरणों के आगे यहां के जातिगत नेताओं के सामने कांग्रेस पार्टी के आलाकमान को भी मजबूर होना पड़ता है. सरकार और संगठन में जातियों को साधा जा रहा है.
पिछले दिनों तो भरतपुर में एक सभा में सीएम अशोक गहलोत ने खुद कह दिया कि उनकी जाति का कोई और विधायक नहीं है, फिर भी उन्हें तीन बार सीएम बनने का मौक़ा मिला है. उनके समर्थक उन्हें 36 कौम का नेता मानते हैं. अशोक गहलोत भले ही अपने को किसी जाति का न मानें लेकिन उन्हें उनके लोग मानते हैं.
सचिन पायलट को भी कहते हैं 'कास्ट किंग'?
कुछ ऐसा ही हाल सचिन पायलट का है. पायलट भले ही अपने को किसी जाति का न माने लेकिन उनके लोग उन्हें मानते हैं. इसी तरीके से कांग्रेस में कई 'कास्ट किंग' नेता हैं, जिनका प्रभाव उनकी जाति पर खूब है और पार्टी भी उन्हें अपने लिए मजबूत मानती है.
क्षत्रिय वोटर्स के लिए खाचरियावास के 'प्रताप' पर टिकीं कांग्रेस
मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास छात्र राजनीति से आगे आए हैं. राजस्थान विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति के बाद विधानसभा और लोकसभा दोनों लड़े. हालांकि, प्रताप को लोकसभा चुनाव में हार मिली लेकिन विधायक बने और कैबिनेट मंत्री हैं. कांग्रेस के संगठन में इनकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रही है. पार्टी इन्हें हमेशा मजबूत स्थिति में रखती है. प्रताप का शेखावटी क्षेत्र से आगे भी प्रभाव है. इसलिए कांग्रेस हमेशा प्रताप को आगे रखती रही है.
सीपी जोशी के सहारे ब्राह्मण पर नजर
सीपी जोशी कांग्रेस के लिए मजबूत स्तंभ हैं. कांग्रेस के पास सीपी जोशी से बड़ा ब्राह्मण चेहरा कोई नहीं है. जोशी विधायक और सांसद कई बार रहे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया है. मेवाड़ के बाहर भी कांग्रेस के लिए जोशी ब्राह्मण वोटर्स पर प्रभाव डालते रहे हैं. इन्हे पार्टी ने अब विधान सभा अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी दी है,
रामेश्वर डूडी जाट सीएम की दौड़ में
बीकानेर से आगे निकलते हुए जाटों पर रामेश्वर लाल डूडी का अच्छा प्रभाव माना जा रहा है. डूडी कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं. इस बार उन्हें चुनाव में हार मिली है. मगर, जब उन्हें जाट महाकुम्भ के मंच पर बुलाया गया तो उन्होंने जाट सीएम बनाये जाने की मांग कर डाली. उसके बाद से उनके नाम की खूब चर्चा हुई. डूडी के कार्यक्रम में सीएम ने पिछले दिनों भाग लिया है. डूडी को बड़ी जिम्मेदारी देने की हमेशा तैयारी रहती है.
सैनियों के लिए बस गहलोत ही 'काफी'
कांग्रेस की तरफ से अशोक गहलोत एक बड़ा चेहरा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पीछले दिनों भरतपुर में मंच से बोले कि हमारी जाति का कोई विधायक नहीं है. फिर भी हैं तीन बार सीएम बनने का अवसर मिला है. अशोक गहलोत को लोग सभी जातियों में पकड़ मानते हैं मगर अशोक गहलोत किसी भी एक जाति के लिए नहीं जाने जाते हैं.
पायलट के सहारे पूर्वी राजस्थान से आगे निकलने की तैयारी
कांग्रेस में सचिन पायलट का बड़ा कद है. सचिन प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही साथ डिप्टी सीएम भी रहे. पूर्वी राजस्थान में उनकी बड़ी पकड़ है. इसके साथ ही साथ पायलट बाड़मेर और शेखावटी में भी अपनी पकड़ बना रहे हैं. कई रैलियां और सभाएं उन्होंने की हैं. गुर्जर और एमबीसी समाज के अलावा पायलट की हर जाति में अच्छीखासी पकड़ मानी जाती है.
मुस्लिम वोटर्स पर सालेह मोहम्मद ही काफी
राजस्थान में कांग्रेस ने सालेह मोहम्मद को बड़ा चेहरा बना दिया है. जैसलमेर की पोखरण सीट से आने वाले सालेह मोहम्मद अब पूरे राजस्थान में अपना माहौल बना रहे हैं. साथ ही साथ उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. उन्हें प्रमुख जिम्मेदारी दी जाती रही है. मुस्लिम वोटर्स पर सालेह मोहम्मद का पूरा फोकस है.
प्रसादी के 'प्रसाद' से मीणा पर फोकस
प्रसादी लाल मीणा मीणाओं में दिग्गज हैं. कई बार के विधायक और मंत्री है. लालसोट में इनकी खूब चलती है. दौसा से बाहर कांग्रेस ने रमेश मीणा को भी मजबूत किया है. उनके पास भी मंत्रालय है. प्रसादी लाल, रमेश और मुरारी तीनों कांग्रेस के लिए प्रमुख चेहरे हैं. मीणा वोटर्स पर इनकी खूब पकड़ मानी जाती है. इनके सहारे पार्टी मजबूत बनी हुई है.
खिलाड़ी के खेल में 'बैरवां'
खिलाड़ी लाल बैरवां कांग्रेस के दिग्गज नेता है. बैरवां जाति में इनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. सरकार में मंत्री नहीं है लेकिन इनके पास पावर रहती है. अभी विधायक हैं और सांसद भी रह चुके हैं. पार्टी में खिलाड़ी के खेल के आगे कुछ नहीं चलता है.
सुखराम ही सब पर भारी
विश्नोई वोटर्स पर सुखराम विश्नोई मजबूत पकड़ बनाये हुए हैं. सुखराम अभी सरकार में मंत्री है. पार्टी के लिए दिग्गज नेता माने जाते हैं. ऐसे में देखना है कि सुखराम को पार्टी कितने अवसर देती है.
यादव में कर्ण सिंह की चल रही पहलवानी
कांग्रेस के लिए यादव वोटर्स को साधना आसान रहता है. उनके लिए राजेंद्र यादव, संदीप यादव और दोनों से आगे जाते हुए कर्ण सिंह यादव को कांग्रेस कर देती है. कर्ण सिंह यादव कांग्रेस के लिए 'अर्जुन' साबित हुए हैं. असम्भव को सम्भव करने में लगे हैं.
शांति से 'धारीवाल' की वैश्य पर पकड़ बनी है
अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल वैश्य वोटर्स पर अपनी मजबूत पकड़ बनाये हुए है. धारीवाल के जरिये कांग्रेस हाड़ौती क्षेत्र में अपनी पकड़ बना रही है. उन्हें सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलती रही है. लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं.
मेघवालों के गोविन्दराम 'सबकुछ'
कांग्रेस सरकार में गोविन्द राम मेघवाल की खूब चलती है. उनकी अच्छी पकड़ है. उन्हें सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिलती है। अभी उनके पास कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी है.
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