Rajasthan Election 2023: टूट चुका है सलूम्बर विधानसभा सीट का 46 साल पुराना मिथक, क्या हैं कांग्रेस और बीजेपी की चुनौतियां
Rajasthan Elections 2023: उदयपुर जिले की सलूंबर विधानसभा सीट पर पिछले 46 साल से यह मिथक था कि जो पार्टी यहां से चुनाव जीतती है, वहीं प्रदेश में सरकार बनाती है. यह मिथक 2018 के चुनाव में टूट गया था.
Rajasthan Election 2023 News: हाड़ी रानी के त्याग की भूमि सलूम्बर (Salumber Assembly Constituency) उदयपुर जिले की आठ विधानसभा सीटों में से एक है.यह उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर है. इस विधानसभा के आकडों का 46 साल का इतिहास है कि यहां जिस पार्टी का विधायक बना सरकार भी उसी की बनी है.हालांकि यह किवंदती पिछले चुनाव में टूटी क्योंकि यहां बीजेपी (BJP) के प्रत्याशी ने विजय प्राप्त की.इसके बाद भी बीजेपी की सरकार नहीं बनी.पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां बीजेपी के अमृतलाल मीणा विधायक चुनते आ रहे हैं.इसलिए यह सीट कांग्रेस (Congress) के लिए बड़ी चुनौती है.
बड़ी बात यह है कि कांग्रेस वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य पूर्व विधायक और पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा इसी क्षेत्र से आते हैं. इसी विधानसभा से वह विधायक और उदयपुर लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं. वह और उनकी पत्नी बसंती देवी दोनों विधायक रहे. दोनों को हार का सामना करना पड़ा.कांग्रेस पार्टी की इतनी बड़ी कमेटी के सदस्य होने पर भी हार का सामना करना पड़ा, इसलिए यह सीट कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है. यहीं नहीं हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का यहां दौरा हुआ था.सलूम्बर की जिला घोषित करने पर उनका स्वागत कार्यक्रम रखा गया. गहलोत यहां आए और सभा की संबोधित किया.
सबसे बड़ी और पुरानी मांग मानी गई
सलूम्बर विधानसभा सीट की लंबे समय से एक ही बड़ी मांग रही है जिसे गहलोत सरकार ने पूरा कर दिया है.यह मांग थी कि सलूम्बर को जिला घोषित कर दिया जाए. सीएम ने इसे जिला घोषित कर दिया है. अब चर्चाएं हैं कि इस बात का सलूम्बर विधानसभा में कांग्रेस को बड़ा फायदा मिल सकता है. क्योंकि दूरी के कारण यहां के लोग काफी परेशानियों से गुजर रहे थे.लेकिन वर्तमान बीजेपी विधायक अमृत लाल मीणा दो बार से विधायक हैं. क्षेत्र में उनके भी वर्चस्व को भूल नहीं सकते. ऐसे में यह सीट अब दोनों पार्टियों के लिए चुनौती बन गई है.
सलूम्बर विधानसभा में तीन पंचायत समितियां हैं. बड़े कस्बों की बात करे तो सलूम्बर, सराड़ा, चावंड, जयसमंद, गिंगला, करावली हैं. यहां जिला घोषित करने के अलावा दो अन्य मांगे भी हैं. लोगों का कहना है कि सलूम्बर में स्थिति हाड़ी रानी का महल खंडहर हालात में है. उसके संरक्षण की जरूरत है. वहीं इस क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना जरूरी है. क्योंकि रोजगार के साधन नहीं है.या तो स्थानीय स्तर पर ही दुकानें लगाकर आमदनी कमाते हैं या फिर रोजगार के लिए अहमदाबाद, मुम्बई या कुवैत जाते हैं.
क्या कहते हैं आंकड़ें
यहां की जनसंख्या की बात करे तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 3,61,053 है. इसका 92.48 फीसदी हिस्सा ग्रामीण और 7.52 फीसदी हिस्सा शहरी है.इस विधानसभा में कुल आबादी का 55.07 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति की है. जबकि 5.21 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जाति है. आदिवासी आबादी के बाद सबसे बड़ी आबादी पटेल समाज की है फिर राजपूत, ब्राह्मण और अन्य जातियां हैं.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ कुंजन आचार्य ने बताया कि सलूंबर विधानसभा सीट की खासियत यह है कि यहां जिस पार्टी का विधायक जीतता है जयपुर में सरकार उसी की बनती है.पहली बार पिछले चुनाव में बीजेपी के अमृतलाल की जीत के साथ यह मिथक टूट गया. सलूंबर को हाल ही में सरकार ने जिला घोषित किया है और मुख्यमंत्री ने सलूंबर दौरे के बाद इस सीट के लिए घोषणाओं का पिटारा भी खोल दिया है, इसको देख कर लगता है कि सरकार के लिए सलूंबर प्राथमिक सीटों में शामिल हो गई है.
इस बार किस करवट बैठेगा ऊंट
इस विधानसभा सीट पर सीडब्ल्यूसी मेंबर रघुवीर मीणा और उनकी पत्नी बसंती देवी मीणा विधायक रह चुकी हैं. बसंती देवी अभी सराडा की प्रधान हैं. रघुवीर मीणा के लिए आने वाला चुनाव अधिक मेहनत करने वाला होगा, क्योंकि उनको विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों में लगातार पराजय का सामना करना पड़ा.इस लिहाज से आसन्न चुनाव में उन्हें अतिरिक्त श्रम करने की जरूरत होगी. वहीं बीजेपी के लिए इस सीट पर अपनी जीत को बरकरार रखना भी चुनौतियां भरा होगा क्योंकि एक मात्र चुनावी मुद्दा अब अप्रासंगिक हो गया है.ऐसे में बीजेपी को कुछ नया मुद्दा खोजना और उसको प्रासंगिक बनाना सबसे जरूरी होगा.
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