Chomu Assembly Constituency: राजस्थान के जयपुर जिले की एक ऐसी विधानसभा सीट है, जहां पर पिछले 20 साल से बीजेपी (BJP) के रामलाल शर्मा (Ramlal Sharma) और कांग्रेस (Congress) के  भगवान सहाय सैनी (Bhagvan Sahay Saini) में कड़ी लड़ाई चल रही है. इसमें बीजेपी को हमेशा से जीत मिल रही है. बस, 2008 में 135 वोटों से राम लाल शर्मा हार गए थे. उसके बाद से वो लगातार जीत रहे हैं. यहां पर हर बार वोट प्रतिशत में बदलाव हो जाता है. मगर, बीजेपी और कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं बदले हैं. उन्हें इन्हीं पर भरोसा है. मगर, इस बार कांग्रेस की तरफ से यहां किसी नए नाम की चर्चा है.चूकिं, यहां पर ज्यादा वोटर्स यादव और जाट हैं.इसलिए कांग्रेस किसी नए को टिकट दे सकती है. बीजेपी में बदलाव की चर्चा नहीं है.यहां पर बीसलपुर से पानी लाने का बड़ा मुद्दा है.इसी पर यहां पर चुनाव आकर रुक जाता है. 


आंकड़ों में चौमूं विधानसभा सीट 


चौमूं विधान सभा सीट का नंबर 43 है. यह सीकर लोकसभा क्षेत्र में आती है. यहां पर अभी कुल मतदाता की संख्या 2,19,705 हैं.  पुरुष 1,14,398 और महिला 1,05,307 हैं. वर्ष 2018 के चुनाव में यहां पर 83.85 प्रतिशत मतदान हुआ था. वर्ष 2013 में 83.37 और  2008 में 74.8 मतदान हुआ था. पिछले 20 सालों के रिकॉर्ड को देखें तो यहां पर बीजेपी मजबूत है.चार बार के चुनाव में एक बार कांग्रेस को मात्र 135 मतों से जीत मिली और बाकि तीन बार बीजेपी ने जीत दर्ज की. वर्ष 2003 में बीजेपी के राम लाल शर्मा को 48043 मत मिले और भगवान सहाय सैनी को 43749 मत मिले.साल 2008 में कांग्रेस के भगवान सहाय सैनी को 45380 मत मिले तो बीजेपी के रामलाल शर्मा को 45245 मत मिले. ऐसे ही पिछले चुनाव में बीजेपी के रामलाल शर्मा को 70183 तो कांग्रेस के भागवान सहाय सैनी को 68895 मत मिले. मगर वर्ष 2013 में जीत और हार का फासला बड़ा था. इसमें बीजेपी के राम लाल शर्मा को 93516 वोट मिले और कांग्रेस भगवान सहाय सैनी को 49043 मत मिले थे. 


कैसे हैं राजनीतिक समीकरण 


दरअसल, चौमूं विधानसभा सीट में यादव और जाट वोटर्स की संख्या ज्यादा है.यहां से बड़ी संख्या में लोग सब्जी और दूध के कारोबार में हैं. उन्हें पानी की बहुत जरूरत है.ऐसे में जब इस क्षेत्र का जल स्तर बेहद नीचे चल जा रहा है और पानी उतना मिल नहीं रहा है, तो लोगों में अब एक तरह की उदासी है.ऐसे में पिछले चुनाव में हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने छुट्ट्न लाल यादव को प्रत्याशी बनाया था.जिन्हे 39042 मत मिले.इसे देखकर यह लगता है अब कांग्रेस भी किसी यादव को मैदान में उतार सकती है.वैसे यहां पर कई यादव प्रत्याशी रेस में है, मगर सुरेश यादव को मजबूत माना जा रहा है.वहीं ऐसे ही जाट को लेकर भी चर्चा है तेज है. 


क्या हैं स्थानीय मुद्दे और सियासत 


जानकारों की माने तो यहां पर स्थानीय मुद्दे में बस केवल पानी ही है.पिछले चुनाव में बीजेपी यहां पर लगभग 40 हजार वोट का नुकसान हुआ है.ऐसे में इस सीट पर बीजेपी का अध्ययन तेज चल रहा है.पानी पर काम करने वाले और उस पर वादे करने वाले नेता के लिए मामला ठीक रह सकता है.यहां की सियासत में कई चेहरे आने को बेताब हैं.मगर, दोनों बड़ी पार्टियां अब इस मुहाने पर खड़ी है कि उन्हें रिस्क नहीं लेना है. 


यहां के जानकारों की मानें तो किसी दल के लिए राह आसान नहीं है.क्योंकि, पिछले चुनाव में आरएलपी ने यहां पर 40 हजार मत हासिल किए थे. ऐसे में यहां पर त्रिकोणीय हालात बने हुए हैं.बीजेपी को पीएम मोदी और रामलाल के काम भरोसा है तो कांग्रेस को मुख्यमंत्री की योजनाओं पर विश्वास है. मगर यहां पर हनुमान की नजर किसी बड़े चेहरे पर है. 


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