Rajasthan Congress News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में महज चार महीने का समय रह गया है. ऐसे में यहां की कांग्रेस (Congress) सरकार यानी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार रिपीट होने का दावा कर रहे हैं. मगर, सबसे बड़ा सवाल है कि संगठन नहीं सरकार की सक्रियता से 2023 के रण को जीतने की तैयारी चल रही है. संगठन अभी अधूरा है. न तो सभी जिलों में जिलाध्यक्ष बनाये गए हैं और न ही प्रदेश की कार्यकारिणी को विस्तार मिल पाया है. पिछले तीन साल से यही चल रहा है. फिर भी पार्टी संगठन के विस्तार की जगह सरकार की योजनाओं को वरीयता दे रही है.


वहीं यूथ कांग्रेस के रिजल्ट को भी उलझा दिया गया है. जिसे लेकर अंदर खाने की खूब पंचायती चल रही है. इन बातों का असर चुनाव पर पूरी तरह से पड़ सकता है. संगठन विस्तार को लेकर कई बार दिल्ली से जयपुर तक दौड़ लगाई जा चुकी है. मगर नतीजा कुछ नहीं निकला है. 


जिला अध्यक्षों की लिस्ट तैयार नहीं हो पाई 


राजस्थान में कांग्रेस के अभी सभी जिलों में जिलाअध्यक्ष नहीं हैं. मात्र 13 से 14 जिलों में ही अध्यक्ष काम कर रहे हैं. इसका असर चुनाव पर पड़ चुका है. प्रदेश में कांग्रेस के संगठन के हिसाब से कुल 43-44 जिले हैं. मगर 30 जिलों में अभी भी जिला अध्यक्ष नहीं हैं. जिनके नाम की लिस्ट किसी भी समय आने की बात कही जा रही है. मगर ऐसा पिछले कई महीनों से सुनने में आ रहा है. बिना जिला अध्यक्षों के ही कैसे पार्टी चुनाव में उतर सकती है. इसकी भी चर्चा तेज हो गई है. मगर पार्टी इसपर कुछ कह नहीं पा रही है. बस दिल्ली लिस्ट जाने का हवाला देकर बात टाल दी जा रही है.


प्रदेश की कार्यकारिणी को नहीं मिला विस्तार 


राजस्थान में कांग्रेस अपनी कार्यकारिणी का विस्तार नहीं कर पाई है. अभी पुराने महामंत्री और उपाध्यक्ष ही चल रहे हैं. पिछले दिनों पार्टी ने बड़ी संख्या में सचिव और अन्य पदों के नामों की घोषणा कर दी मगर बाद में उस लिस्ट को रोकना पड़ा. अध्यक्ष से जब भी संगठन विस्तार की बात हुई उन्होंने इसे टाल दिया. गोविन्द सिंह डोटासरा ने अध्यक्ष बनने के बाद कुछ जिला अध्यक्षों की घोषणा की थी उसके बाद से सब कुछ सन्नाटे में है. '


यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष ही नहीं क्लीयर 


राजस्थान में पिछले दिनों यूथ कांग्रेस का चुनाव हुआ. मगर रिजल्ट आने से पहले ही चुनाव में धांधली का आरोप लगने लगा. उसके बाद बिना अध्यक्ष की घोषणा के ही तीन को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. उसमें अभिमन्यु पूनियां को अधिक वोट मिले थे मगर अंतिम परिणाम जारी नहीं किया गया. यहां भी पेंच फंस गया है. इसे लेकर भी पूरी दुविधा बनी हुई है. 


संगठन को मजबूत करने की जरूरत


वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि कांग्रेस की हमेशा संगठन कमजोर रही है, वो अपने कार्यक्रम और आजादी के आंदोलन की ख्याति के साथ आगे बढ़ती रही है. पहले इनके सामने कोई चुनौती नहीं थी मगर अब गंभीर चुनौती है. इसलिए अब कांग्रेस को सत्ता की महत्ता को महत्व देने की जगह संगठन को महत्व दें. इस दिशा में कांग्रेस ने कदम भी उठाया है, मगर ये पर्याप्त नहीं है. कांग्रेस को इस बात का अहसास है कि उनका समर्थक उनके साथ वफादार है. वो कहीं और नहीं जायेगा. मगर अब कांग्रेस को मजबूती से काम करना होगा.


सरकार इन योजनाओं को मान रही मास्टर स्ट्रोक 


राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार महंगाई राहत कैंप लगाकर दो महीने से अपनी योजनाओं का रजिस्ट्रेशन करवा रही है. ऐसे में सरकार का दावा है कि इन योजनाओं के दम पर सरकार वापसी कर सकती है. इन योजनाओं में सरकार स्वास्थ्य, बिजली और महिलाओं को बस में आधा किराया, उच्च शिक्षण संस्थान की छात्राओं को आने-जाने का किराये देने को बड़ा मास्टर स्ट्रोक बता रही है. सीएम गहलोत की ओर से खुद लगातार महंगाई राहत कैंप का दौरा किया जा रहा है.


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