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Rajasthan Election 2023: 'सरकार' बदलने की 'परिपाटी' कांग्रेस व बीजेपी के बीच सीधा टक्कर, जानें- राजस्थान का पूरा राजनीतिक समीकरण

Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में पिछले लगभग तीन दशक से कोई भी पार्टी लगातार दो बार सरकार नहीं बना पाई है, वहीं कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इस बार राज्य का 'रिवाज' टूटेगा.

Rajasthan Assembly Elections 2023: राजस्थान में पिछले लगभग तीन दशक से हर विधानसभा चुनाव में 'सरकार' बदलने की 'परिपाटी' है और यहां एक बार फिर सत्तारूढ़ कांग्रेस व विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुकाबला रहने की संभावना है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले महीने कहा था कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव में मुकाबला 'बहुत करीबी' रहेगा. यह कहते हुए उन्होंने एक तरह से संकेत दिया कि वह राजस्थान में अपनी पार्टी के दोबारा सरकार बनाने को लेकर अन्य राज्यों की तुलना में अधिक आश्वस्त नहीं हैं. राज्य की 'परिपाटी' को देखते हुए हो सकता है कि कांग्रेस नेता का यह आकलन सही साबित हो.

निर्वाचन आयोग ने सोमवार (9 अक्टूबर) को नई दिल्‍ली में 2023 के विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की. इसके अनुसार राज्य की सभी 200 विधानसभा सीटों के लिए 23 नवंबर को मतदान होगा जबकि वोटों की गिनती तीन दिसंबर को मतगणना होगी.

'डबल इंजन की सरकार' बनाने की अपील कर रहे
राज्य में 1993 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद का इतिहास कहता है कि उसके बाद हर विधानसभा चुनाव में एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी को सत्ता की बागडोर मिलती रही है. यानी कोई भी पार्टी लगातार दो बार सरकार नहीं बना पाई. इस 'परिपाटी' के लिहाज से इस बार सत्ता में आने की 'बारी' बीजेपी की है. यह समीकरण उस समय बन रहा है जबकि भारतीय जनता पार्टी के नेता राज्य में 'डबल इंजन की सरकार' बनाने की अपील कर रहे हैं ताकि केंद्र व राज्य में एक ही पार्टी की सरकार हो और विकास को गति दी जा सके.

सीएम गहलोत ये कर रहे है दावा
वहीं कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इस बार राज्य का 'रिवाज' टूटेगा. यानी एक बार फिर कांग्रेस की सरकार आएगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई बार कह चुके हैं कि पहली बार राज्य में सरकार के खिलाफ कोई 'सत्ता विरोधी लहर' देखने को नहीं मिली है. गहलोत पिछले कई महीनों से लगातार एक के बाद एक कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर काम पर जुटे हैं. वे बार बार दावा करते हैं कि उनकी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ राज्य के 'हर गांव, हर परिवार' तक पहुंचा.

ये है चर्चित कल्याणकारी योजना
गहलोत की कुछ चर्चित कल्याणकारी योजनाओं में ‘चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना’ के तहत 25 लाख रुपये का बीमा, ‘शहरी रोजगार गारंटी योजना’, सामाजिक सुरक्षा के रूप में 1,000 रुपये की पेंशन और उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए केवल 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर शामिल हैं. उन्होंने पात्र लाभार्थियों को इन कल्याणकारी योजनाओं के लिए 'महंगाई राहत शिविरों' में पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया और योजनाओं को पूरा करने के 'गारंटी कार्ड' दिए.

जातिगत सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया
वहीं राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए उन्होंने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का बड़ा दांव चला. यदि सरकारी कर्मियों के परिवारों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो पुरानी पेंशन योजना की बहाली से लगभग 35 लाख लोगों को लाभ होगा. वहीं चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले उन्होंने राज्य में जातिगत सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया.

शेखावत ने 'पर्याप्त कोशिश' नहीं की
अपनी कल्याणकारी योजनाओं को पेश करने के अलावा कांग्रेस पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को एक प्रमुख मुद्दा बनाने के लिए तैयार है. पार्टी केंद्र पर ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने का अपना 'वादा' नहीं निभाने का आरोप लगा रही है. गहलोत आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने इसके लिए 'पर्याप्‍त कोशिश' नहीं की.

पायलट ने गहलोत के खिलाफ खुला विद्रोह कर दिया था
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान में कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान लगातार चलती रही है. मुख्यमंत्री गहलोत व उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राज्य में नेतृत्व को लेकर तनातनी कम होती नजर नहीं आ रही है. पायलट ने 2020 में पार्टी के दिग्गज गहलोत के खिलाफ खुला विद्रोह कर दिया था. और इसी साल, पायलट ने भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने में सरकार की 'विफलता' को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से गहलोत सरकार पर निशाना साधा. पायलट ने भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने को लेकर भी कांग्रेस सरकार को नहीं बख्शा. यह ऐसा मुद्दा था जिसे मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी भुनाने का प्रयास कर रही है. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों नेताओं में एक तरह का संघर्ष विराम तो करवा दिया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह 'शांति' पार्टी द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी चुनने के समय भी जारी रहेगी.

राजे दो बार रह चुकी हैं मुख्यमंत्री 
उधर भारतीय जनता पार्टी के हालात भी कोई अच्छे नहीं दिखते. पार्टी आलाकमान राज्य में किसी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने से भले ही बच रहा है लेकिन वसुंधरा राजे के समर्थक उन्हें फिर से इस पद के प्रमुख उम्मीदवार के रूप में देखते हैं. राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. बीजेपी के अब तक के प्रचार अभियान में अगर कोई एक चेहरा रहा है तो वह वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. वह पहले ही राज्य में कई रैलियों को संबोधित कर चुके हैं, जिनमें से एक तो हाल ही में गहलोत के निर्वाचन क्षेत्र सरदारपुरा जोधपुर में हुई. मोदी ने इस जनसभा में पिछले साल जोधपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र करते हुए कांग्रेस सरकार पर 'तुष्टिकरण' का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को राजस्थान के हित से ज्यादा अपना वोट बैंक प्यारा है.

बीजेपी राज्य सरकार पर निशाना साधती रही है
राज्‍य में बीजेपी की चुनाव रणनीति में 'तुष्टिकरण' और हिंदुत्व अपील प्रमुख कारक हो सकता है. बीजेपी कानून-व्यवस्था, खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों को लेकर भी राज्य सरकार पर निशाना साधती रही है. और फिर कथित 'लाल डायरी' का मामला है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि इसमें वित्तीय अनियमितताओं का विवरण था. गहलोत मंत्रिमंडल के बर्खास्त सदस्य राजेंद्र गुढ़ा का दावा है कि यह उनके पास है. राज्य के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) द्वार भी कुछ सीटों उम्मीदवार खड़े करने की उम्मीद है.

2018 में कांग्रेस को 99 व बीजेपी को 73 सीटें मिलीं
लेकिन इतिहास के हवाले से विश्लेषक मानते हैं कि राजस्थान के विधानसभा चुनाव दरअसल दो ही पार्टियों की 'दौड़' है. 2018 के विधानसभा चुनावों में 199 सीटों में से कांग्रेस को 99 व बीजेपी को 73 सीटें मिलीं. अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर बसपा प्रत्याशी के निधन के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया जो 28 जनवरी को हुआ. इसमें भी कांग्रेस ने बाजी मारी. वहीं अगले साल 2019 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 25 में से 24 सीटें मिलीं. बाकी एक सीट उसकी सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आरएलपी के पास चली गई.

ये भी पढ़ें: Rajasthan Elections 2023: राजस्थान में चुनाव की तारीख की घोषणा, आगामी 24, 48 और 72 घंटों के भीतर होगी ये कार्रवाई

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