Rajasthan Elections 2023: राजस्थान ने विधानसभा चुनाव होने वाला है. अचार संहिता लगने भी ज्यादा समय नहीं बचा है. ऐसे में कांग्रेस अपनी सरकार रिपीट करने में लगी है तो बीजेपी परिवर्तन करने में जुटी है. इसलिए बीजेपी परिवर्तन यात्रा निकाल रही है. सीएम अशोक गहलोत अपने सरकार की योजनाओं के दम पर अपनी सत्ता बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं. दोनों ही दल एक-एक विधानसभा सीट पर जीत-हार की संभावनाएं टटोलने में लगी हुई हैं.


हर सीट को जिताऊ चहरे, जातिगत समीकरण, पिछले चुनाव का गणित सहित हर एंगल से परख रही हैं. ऐसे ही हम बात कर रहे हैं जनजातीय बहुल सीट की. यह सीट तीन चुनाव के पहले ही अस्तित्व में आई थी.पहले कहा जा रहा था कि इससे कांग्रेस को फायदा होगा. लेकिन फायदा बीजेपी को हुआ. यह सीट बीजेपी का गढ़ बनी हुई है. आइए जानते हैं इस सीट के बारे में.


गढ़ी विधानसभा सीट की कहानी
जिस सीट की हम बात की रहे हैं वह है बांसवाड़ा जिले की गढ़ी विधानसभा सीट. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है.यह जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है. इसके बाद भी कुछ हद तक यहां सामान्य वोटर्स का भी दबदबा है.रिपोर्ट के अनुसार कुल वोटर्स के अनुसार देखा जाए तो गढ़ी विधानसभा में सबसे ज्यादा वोटर्स है.निर्वाचन विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले चुनाव में यहां दो लाख 61 हजार 88 मतदाता थे.इनमें से 38 फीसदी सामान्य वर्ग के हैं.गढ़ी में सामान्य वर्ग में ब्राह्मण, राजपूत और पाटीदारों की संख्या अधिक है. इनके वोट सामान्य वर्ग के वोट का 55 फीसदी है.इसके अलावा क्षेत्र में महाजन, मुस्लिम और क्रिश्चियन सहित अन्य वर्ग के वोटर्स भी शामिल हैं.कुल मतदाताओं में यहां  एक लाख 27 हजार 325 पुरुष और एक लाख 27 हजार 155 महिला वोटर्स हैं.


कहां-कहां से लिए गए हैं हिस्से


राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य बताते हैं कि गढ़ी विधानसभा सीट वागड़ क्षेत्र की एक ऐसी सीट है जो ज्यादा पुरानी नहीं है. साल 2008 के परिसीमन के दौरान इस सीट का निर्माण हुआ. इस सीट का कुछ हिस्सा बांसवाड़ा और कुछ हिस्सा बागीदौरा से लिया गया है. परिसीमन में बांसवाड़ा में कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्र को और बागीदौरा के जनता दल के प्रभाव वाले क्षेत्र को इसमें शामिल कर इस सीट का सृजन किया गया.गढ़ी और परतापुर एकदम नजदीक हैं. 


बीजेपी का दबदबा
इस सीट का निर्माण कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्र को देखते हुए किया गया. लेकिन फायदा इसका भारतीय जनता पार्टी को ही मिला. साल 2008 के बाद हुए तीन विधानसभा चुनाव में एक बार कांग्रेस और दो बार बीजेपी के प्रत्याशी जीते हैं. साल 2018 के चुनाव में बीजेपी के कैलाश मीणा 48 फीसदी  वोटों के साथ विजयी रहे थे. यह बांसवाड़ा जिले की आदिवासी सीट है और यहां पर प्राय: कोई ख़ास चुनावी मुद्दे नहीं रहता है, लेकिन राजनीतिक पंडित इस सीट पर अब तक के वोट प्रतिशत के आधार पर बीजेपी का प्रभाव स्पष्ट देखते हैं.


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