Hawamahal Vidhan Sabha: दुनियाभर में मशहूर हवा महल जयपुर में अलग स्थिति में है. यहां की राजनीति में हवामहल विधान सभा ( Hawamahal Vidhan Sabha seat ) कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के लिए ख़ास है. क्योंकि, इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स अधिक हैं. जीत ब्राह्मण प्रत्याशी को ही मिलती है. बीजेपी ने यहां पर पिछले कई वर्षों में एकतरफा जीत दर्ज किया है. लेकिन, पिछली बार यहां कांग्रेस को जीत मिली थी. उसमें बस एक ख़ास बात है कि वोटों का अंतर बहुत कम रहता है. आइये जानते है क्या है यहां का हाल.
कुछ ऐसा है हवा महल का गणित
राजस्थान के जयपुर जिले की हवा महल विधानसभा सीट को मुस्लिम बाहुल्य माना जाता है. जिसमें तकरीबन 90 हजार से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं. फिर भी इस सीट पर कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीत पाया है. यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी रहते और उनका व्यवसाय भी है. ये वर्षों से चला आ रहा है. ऐसे में इस सीट पर चुनावी माहौल टाइट हो जाता है. हवामहल सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या भी खूब है. इसलिए यहां से बीजेपी और कांग्रेस के लिए ब्राह्मण प्रत्याशी फिट रहते हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर हवामहल की जनता किसे मौक़ा देगी.
हवामहल में कुल वोटर्स हैं
हवामहल में कुल वोटर्स 2,48265 हैं. जिनमें 131, 326 पुरुष और महिला 116,939 हैं. यहां पर वर्ष 2018 में 72.78 प्रतिशत मतदान हुआ था. वर्ष 2013 में 73.64 और वर्ष 2008 में 57.8 प्रतिशत मतदान हुआ था. पिछले तीन बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस को बेहद कम मतों से जीत और हार का स्वाद चखना पड़ा है. किसी भी दल को लगातार जीत नहीं मिली है. यहां पर शर्मा, पारीक और जोशी को जीत मिलती रही है.
हवामहल से कौन कब रहा विधायक
भंवरलाल शर्मा हवामहल से सबसे अधिक बार विधायक रहे. उन्हें बीजेपी का मजबूत स्तंभ माना जाता था. छह बार से अधिक विधायक रहे और मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाली थी. उसके बाद वर्ष 2003 में इस सीट से बीजेपी के सुरेंद्र पारीक को जीत मिली. वर्ष 2008 में यहां से कांग्रेस के ब्रजकिशोर शर्मा को जीत मिली. वर्ष 2013 में बीजेपी के सुरेंद्र पारीक को जीत मिली. वर्ष 2018 में पूर्व सांसद महेश जोशी को कांग्रेस के टिकट पर जीत मिली है. इस सीट पर ब्राह्मणों को जीत मिलती रही है.
ये हैं चुनौती
हवामहल एक सुप्रसिद्ध स्थान है. यहां पर घनी आबादी होने की वजह से कई जरूरतें बनीं हुई है. जैसे पीने का पानी, वायु प्रदूषण और ट्रैफिक की समस्या प्रमुख है. वर्तमान विधायक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उन्हें भी भूजल विभाग दिया गया है. मगर यहां पर कब्रिस्तान का मुद्दा इस बार बहुत बड़ा हो गया था. जिसे लेकर यहां के विधायक को लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा.
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