(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan Election 2023: दूरी बनाने लगे थे करीबी! आखिर हवामहल से क्यों कटा महेश जोशी का टिकट, क्यों आये आरआर तिवारी?
Rajasthan Election 2023: राजस्थान के कैबिनेट मंत्री महेश जोशी का टिकट कट गया है. महेश जोशी का नाम लिस्ट से गायब हुआ तो चर्चा तेज हो गई कि क्या धारीवाल और राठौड़ का भी टिकट कट जाएगा.
Rajasthan Election 2023: जयपुर जिले की हवा महल विधानसभा सीट इस बार बेहद चर्चा में है, क्योंकि यहां से महेश जोशी के खिलाफ कांग्रेसी ही एकजुट होने लगे थे. खांटी कांग्रेसी जहां एक तरफ कभी महेश जोशी के साथ हुआ करते थे, वही अब धीरे-धीरे दूरी बनाने लगे थे. इतना ही नहीं महेश जोशी के लिए मुसीबत यह हो गई थी कि उनके करीबी या कोई दूसरा हवामहल से ताल न ठोक दें, इसलिए जोशी ने रणनीति के तहत लगातार हमेशा यह कहते रहे कि टिकट हमें मिलेगा, आलाकमान पर पूरा भरोसा है.
मगर इस बात पर मुहर तब लग गई जब सचिन पायलट के समर्थकों को टिकट मिलना शुरू हो गया और यह कहां जाने लगा कि क्या अशोक गहलोत के करीबियों को भी टिकट मिल जाएगा ? तीन नाम उन दिनों चर्चा में रहे. महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल के नाम पर रोज चर्चा होती थी. महेश जोशी का नाम लिस्ट से गायब हुआ तो चर्चा तेज हो गई कि क्या धारीवाल और राठौड़ का भी टिकट कट जायेंगे.
मोहर लगना बाकी रहा लेकिन अंतिम लिस्ट में शांति धारीवाल का नाम सबको चौंका दिया है. दरअसल, हवा महल पर पिछले दिनों एक मामला हुआ जिसने पूरा माहौल बदल दिया. उसके पहले महेश जोशी का लगातार विरोध होने लगा था. महेश जोशी के ख़ास पप्पू कुरैशी ने भी बगावत कर दिया था. अब वो आप पार्टी से नामांकन कर चुके हैं.
25 सितंबर की घटना या कुछ और ?
जयपुर में हुई 25 सितंबर की घटना को छोड़ दिया जाए तो महेश जोशी ने कोई भी ऐसा काम नहीं किया था कि जिसकी वजह से उनका विरोध होता.लेकिन कांग्रेस पार्टी के सर्वे में हवामहल पर महेश जोशी का मामला बहुत अच्छा नहीं था. उनका पलड़ा दूसरे नेताओं की तुलना में कमजोर था. ऐसे में पार्टी ने जमीनी नेता आरआर तिवारी को मैदान में उतार दिया. अब क्योंकि आरआर तिवारी खुद ब्राह्मण है ऐसे में महेश जोशी ने उनका कोई विरोध नहीं किया. कहा जा रहा है तिवारी महेश जोशी के लिए मुफीद साबित हो सकते हैं. आरआर तिवारी महेश जोशी के यहां कल गए और उनकी मुलाकात हुई. उसके बाद नारे लगे कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद. ऐसे में कहा जा रहा है कि महेश जोशी ने अपनी पकड़ बनाने के लिए आरआर तिवारी को समर्थन भी कर दिया है.
दोनों पुराने चेहरे आउट
भारतीय जनता पार्टी ने भी सुरेंद्र पारीक को किनारे किया हैं. उनकी जगह पर भाजपा ने बालमुकुंद आचार्य को टिकट दे दिया है. उसके बाद आचार्य के आने के बाद से हवामहल पर पोलराइजेशन की बात कही जा रही है.तिवारी को टिकट मिलने के बाद से महेश जोशी के खिलाफ जो बगावत थी वह तो धीरे-धीरे शांत होने लगी है, लेकिन मुस्लिम वोटर्स को लेकर कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है. दो बार हवामहल से चुनाव लड़ चुके पप्पू कुरैशी और एआईएमआईएम के जमील खान ताल ठोक रहे हैं. दोनों मुस्लिम प्रत्याशियों की वजह से मामला त्रिकोणीय हो रहा है.
कहीं सेंध न लग जाये ?
हवामहल विधान सभा सीट पर 2 लाख 48 हजार वोटर्स हैं. ऐसे में सभी वोटर्स को एक साथ साधना किसी अकेले पार्टी के बस की बात नहीं है. लेकिन अगर यहां पर पोलराइज होगा तो वोटर्स अपने आप सध जायेंगे. इसलिए हवा महल पर इस बार राजनीतिक हवा टाइट है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के पुराने वोटर्स के मन मे सुरेंद्र पारीक और महेश जोशी बसे हुए हैं. उनका मोह पुराने मतदाता छोड़ नहीं पा रहे हैं. दोनों कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज नेता हुआ करते थे. ऐसे में उनकी पकड़ वहां पर बहुत मजबूत है.फिर भी टिकट न मिलने से उनके समर्थकों में एक बड़ी मायूसी छाई हुई है.