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Rajasthan Election 2023: कांग्रेस के ज्यादातर विधायकों को लगेगा डेंट! जानिए कितने फीसदी लोग MLA के कामकाज से नाराज

Rajasthan Assembly Election 2023: 57 फीसदी लोग विधायक से असंतुष्ट हैं. ग्रामीणों से अधिक शहरी लोग विधायक के प्रदर्शन से असंतुष्ट हैं. विधायक के काम से सबसे अधिक 36 फीसदी OBC वर्ग के लोग संतुष्ट हैं.

Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कराए गए एक सर्वे में चौकाने वाले परिणाम निकले हैं. सर्वे में शामिल लोगों में से 68 फीसदी का मानना था कि 'फ्री के चुनावी वादे' सही नहीं हैं. इस सर्वे में प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों के लोगों को शामिल किया गया. इनमें से 57 फीसदी लोग अपने विधायक से संतुष्ट नहीं हैं. ग्रामीणों से अधिक शहरी मतदाता अपने विधायक के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं. वहीं विधायक के काम से संतुष्ट लोगों में सबसे अधिक 36 फीसदी लोग ओबीसी वर्ग के हैं. इनमें कांग्रेस और बीजेपी के साथ-साथ अन्य दलों और निर्दलीय विधायक शामिल हैं.

शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे बड़ा मुद्दा

अखबार 'दैनिक भास्कर' ने इस सर्वे को कराया है. इसमें 44 हजार 567 लोगों की राय ली गई. यह सर्वे ओटीपी पर आधारित था. इसके नतीजों के मुताबिक, इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा शिक्षा और स्वास्थ्य है. वहीं उनकी सबसे बड़ी जरूरत बेहतर कानून-व्यवस्था है. आइए विस्तार से समझते हैं कि सर्वे के नतीजे क्या रहे हैं....

1- इस बार के चुनाव में प्राथमिकता क्या है?

  • इस सवाल का जवाब देने वाले किसानों में सबसे ज्यादा 20 फीसदी के लिए स्वास्थ्य और रोजगार सबसे बड़ी प्राथमिकता है.
  • ऐसे लोग जो प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, उनके लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है.

2- पिछले चुनाव के मुद्दों का क्या हुआ?

  • इस सवाल का जवाब देने वालों में 68 फीसदी ग्रामीण और 65 फीसदी शहरी लोगों ने माना की पिछले चुनाव में किए गए वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं.
  • सरकारी नौकरी करने वाले 37 फीसदी लोगों ने माना कि पिछले चुनाव के वादे पूरे हो गए हैं.वहीं केवल 22 फीसदी प्रोफेशनल्स ही मानते हैं कि पिछले चुनाव के वादे पूरे हुए हैं.
  • 28 फीसदी किसान और 27 फीसदी व्यापारी मानते हैं कि वादे पूरे हुए हैं.
  • पुरुष और महिला की बात करें तो 63 फीसदी महिलाओं और 61 फीसदी पुरुषों ने माना कि वादे पूरे नहीं हुए हैं. 

3- इस बार के चुनाव में कैसा प्रत्याशी चाहते हैं?

  • पहली बार वोट डालने जा रहे 26 फीसदी मतदाताओं ने माना कि वो ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले प्रत्याशी को वोट देंगे.
  • गांवों में 18 फीसदी मतदाता सड़क बनाने वालों को वोट देंगे.

4-अपने विधायक के काम से कितने संतुष्ट.

  • अपने विधायक के काम से सबसे अधिक संतुष्ट लोगों में सबसे ज्यादा 36 फीसदी ओबीसी वर्ग के थे.
  • 32 फीसदी किसान विधायक के काम से संतुष्ट हैं.
  • ग्रामीण क्षेत्र के 57 फीसदी लोगों की तुलना में शहरी क्षेत्र के 58 फीसदी लोग विधायक के काम से असंतुष्ट हैं.
  • प्राइवेट नौकरी वाले 78 फीसदी लोग और सरकारी नौकरी करने वाले 76 फीसदी लोग विधायक के काम से सबसे ज्यादा असंतुष्ट हैं.
  • 10वीं तक की पढ़ाई करने वाले 90 फीसदी लोग विधायक के काम से असंतुष्ट हैं.   

5- क्षेत्र की सबसे बड़ी जरूरत क्या है.

  • गांवों की सबसे बड़ी जरूरत शिक्षा है तो शहर में कानून व्यवस्था.
  • गांवों में सबसे अधिक 18 फीसदी लोगों ने बेहतर शिक्षा को सबसे बड़ी जरूरत बताया.
  • 20 फीसदी शहरी लोगों की चाहत है कि कानून व्यवस्था में सुधार हो.

6-पिछले चुनाव में मुद्दा क्या था.

  • इस सवाल के जवाब में 26 फीसदी गृहणियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई था.
  • 29 फीसदी पुरुषों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार था.
  • 50 फीसदी किसानों ने माना कि उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा कर्जमाफी था.

7-चुनाव के बाद कौन सक्रिय रहा.

  • 38 फीसदी ग्रामीणों ने माना कि उनके विधायक ज्यादा सक्रिय हैं.
  • शहर में केवल 36 फीसदी लोगों ने ही माना कि उनके विधायक ज्यादा सक्रिय हैं.
  • 39 फीसदी महिलाओं ने माना कि जो प्रत्याशी पिछली बार हारा वह ज्यादा सक्रिय है.
  • सामान्य वर्ग के 36 फीसदी लोगों ने कहा कि कोई तीसरा चेहरा ज्यादा सक्रिय दिखा.

8-ज्यादा असंतुष्ट किससे हैं.

  • 22 फीसदी मतदाता अन्य कारणों से असंतुष्ट हैं.
  • लोग अपने विधायक के बाद सबसे अधिक सरकारी दफ्तरों से परेशान हैं.गांव-शहर, धर्म-जाति, पुरुष-महिला, र्फस्टटाइम वोटर और प्रोफेशनल्स हर तरह के लोगों की यह भावना है.

9- 2018 के चुनाव में फैक्टर क्या था.

  • साल 2018 के चुनाव में 48 फीसदी मतदाताओं के लिए प्रत्याशी के नाम पर वोट किया था.
  • 34 फीसदी लोगों ने वोट देने के लिए पार्टी को प्राथमिकता दी थी.
  • 13 फीसदी  वोटरों ने सीएम के चेहरे पर वोट दिया था.

10-चुनाव फ्री के वायदे सही हैं या गलत.

  • 32 फीसदी लोगों को यह सही लगता है
  • 68 फीसदी लोग इसको गलत मानते हैं.
  • सही मानने वालों में अनुसूचित जाति के 47 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के 41 फीसदी मतदाता हैं.
  • सामान्य वर्ग के 78 फीसदी मतदाताओं ने इसे सही नहीं माना.
  • 23 फीसदी पुरुष और 12 फीसदी महिलाएं फ्री वाली घोषणाओं को सही मानते हैं.  

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