Rajasthan Election 2023: चुनाव नजदीक देख जाट समुदाय ने भरतपुर विधानसभा सीट से मांगा टिकट, न मिलने पर करेंगे यह काम
Rajasthan Election 2023 News: भरतपुर विधानसभा सीट पर लगातार 20 वर्ष ब्राह्मण समुदाय का विधायक बना. उसके बाद 20 वर्ष वैश्य समुदाय से विधायक बना. अब जाट समाज महापंचायत कर अपना हिस्सा मांग रहा है.
Rajasthan Elections 2023: राजस्थान का भरतपुर जिला जाट बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. राजस्थान में विधानसभा के चुनाव कुछ ही महीनों के बाद होने वाले हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी गणित में लग गई हैं. भरतपुर की शहर भरतपुर विधानसभा क्षेत्र में दो लाख 70 हजार से अधिक मतदाता हैं. इसमें से लगभग 85 हजार मतदाता जाट समुदाय के हैं. भरतपुर विधानसभा सीट पर लगातार पहले 20 साल ब्राह्मण समुदाय का विधायक बना, उसके बाद लगातार 20 साल वैश्य समुदाय से विधायक बना था. इस बार जाट समाज ने विधानसभा चुनाव से पहले जाट महापंचायत का आयोजन किया गया.
महापंचायत में हुआ निर्णय
इस बार भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर जाट समुदाय के लोगों द्वारा एक जाट महापंचायत का आयोजन किया गया. इस महापंचायत में चुनाव की रणनीति बनाई गई. इसमें यह तय हुआ कि यदि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस इस बार जाट समाज के व्यक्ति को टिकट नहीं देती है तो जाट समुदाय दोनों ही पार्टियों का बहिष्कार करेगा. इसके बाद जाट समाज की एक बड़ी महापंचायत कर जाट समाज के किसी एक व्यक्ति को विधानसभा चुनाव के मैदान में उताकर उसे विधायक बनाकर जयपुर भेजने पर फैसला लेंगे.
जाट समुदाय के लोगों का कहना है कि इस सीट पर सबसे ज्यादा जाट मतदाता है फिर भी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जाटों को टिकट नहीं देती लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने दिया जाएगा. दोनों ही पार्टियों को सबक सिखाने के लिए जाट समुदाय भी अपनी एकता दिखाएगा. जाट समाज अपना एक प्रत्याशी खड़ा करेगा और चुनाव जीतेगा.जाट महापंचायत में यह निर्णय लिया गया कि विधानसभा चुनाव से पहले जाट समुदाय के हर गांव में जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा और सभी को एक मंच पर लाकर अपना एक प्रत्याशी जिताने के लिए पहल की जाएगी.
भरतपुर के मतदाता
भरतपुर शहर विधानसभा सीट पर कुल मतदाता 2,70,000 है. इससे सबसे ज्यादा जाट मतदाता करीब 85000 है. ब्राह्मण मतदाता लगभग 35 हजार और वैश्य लगभग 32 हजार है. मगर भरतपुर विधानसभा जाट बाहुल्य सीट है, मगर 50 साल से इस सीट से जाट विधायक नहीं बना है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने 50 वर्षों से जाट समुदाय के लोगों को टिकट नहीं दिया है. इस बार जाट समुदाय में एकजुटता देखी जा रही है अगर जाट समुदाय अपनी जिद पर अड़ा रहा तो दोनों ही पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी.
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