Rajasthan Elections 2023:पश्चिमी राजस्थान के भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित बाड़मेर जिले का गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र कोमालाणी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यह क्षेत्र खनिज तेल के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है. भारत का 30 फीसदी तेल गुड़ामालानी से निकाला जाता है. गुडामालानी बाड़मेर का तीसरा बड़ा शहर है. गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र का सियासी स्कैन में आज जानेंगे चुनावो में कैसे रहते हैं सियासी समीकरण. गुडामालानी विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस, बीजेपी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, आम आदमी पार्टी और निर्दलीय भी मतदाताओं को साधने के लिए सक्रिय हो चुके है.


जाट लैंड में कैसे हैं सियासी समीकरण


बाड़मेर जिले की गुड़ामालानी विधानसभा सीट पर जातिगत वोट के जरिए जीत पक्की करने का रिकॉर्ड गुडामालानी विधानसभा सीट के नाम है. गुड़ामालानी विधानसभा सीट पर 15 बार विधानसभा के चुनाव में एक बार बीजेपी और एक बार जनता दल को जीत मिली है. यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है.इस गुड़ामालानी विधानसभा सीट पर कांग्रेस के जाट उम्मीदवार ने 13 बार जीत हासिल की है. गुडामालानी विधानसभा सीट पर 13 बार एक ही जाट जाति के विधायक रहे हैं.एक ही जाति के दबदबे को तोड़कर  भारतीय जनता पार्टी के लादूराम बिश्नोई ने जीत हासिल की थी.


गुड़ामालानी में 1957 से अब तक 14 बार विधानसभा के चुनाव हुए हैं. गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र को जाट बाहुल्य माना जाता है. इस क्षेत्र में दूसरे नंबर पर बिश्नोई  मतदाता हैं. साल 1957 में रामदान चौधरी विधायक बने थे. इसके बाद उनके बेटे गंगाराम चौधरी ने लगातार चार बार गुडामालानी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. उसके बाद दो बार हेमाराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और जीते. उनके बाद जनता दल की मदनकौर ने गुड़ामालानी सीट पर जीत हासिल की थी.


कब कम हुआ जाटों का दबदबा 


गुडामालानी विधानसभा सीट पर 1993 का चुनाव रोचक रहा था. उस चुनाव में जोधपुर के परसराम मदेरणा चुनाव लड़ने आए थे. वो भी जातीय गणित से जीत गए.साल 1998 में हेमाराम चौधरी फिर से चुनावी मैदान में आए और उन्होंने जीत हासिल की. वहीं 2003 2008 और 2018 में भी हेमाराम चौधरी ने इस सीट पर जीत दर्ज की.


गुडामालानी विधानसभा सीट पर 2013 के विधानसभा चुनाव में पहली बार यहां से जातिगत समीकरण को तोड़ने में भारतीय जनता पार्टी के लादूराम विश्नोई कामयाब हुए. पहली बार गैर जाट की जीत हुई थी. लेकिन इसमें भी देखा जाए तो विश्नोई यहां पर दूसरी ज्यादा मतदाता की जाति है. मौजूदा कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी इस चुनाव नहीं लड़ने का मन बना चुके हैं. उन्होंने इसका ऐलान भी कर दिया है. इसके बाद भी उनको दावेदार माना जा रहा है. वहीं भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व विधायक लादूराम विश्नोई के बेटे केके बिश्नोई दावेदारी कर रहे हैं. वहीं बीजेपी के अन्य दावेदारों के नाम अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं.


कब कौन जीता चुनाव 



  • 1957 रामदान चौधरी कांग्रेस

  • 1962 गंगाराम चौधरी कांग्रेस 

  • 1967 गंगाराम चौधरी कांग्रेस

  • 1972 गंगाराम चौधरी कांग्रेस

  • 1977 गंगाराम चौधरी कांग्रेस

  • 1980 हेमाराम चौधरी कांग्रेस

  • 1985 हेमाराम चौधरी कांग्रेस

  • 1990 मदन कौर जाट जनता दल

  • 1993 परसराम मदेरणा कांग्रेस

  • 1998 हेमाराम चौधरी कांग्रेस

  • 2003 हेमाराम चौधरी कांग्रेस

  • 2008 हेमाराम चौधरी कांग्रेस

  • 2013 लादूराम बिश्नोई बीजेपी

  • 2018 हेमाराम चौधरी कांग्रेस


ये भी पढ़ें


Kota: बारां में दिनेश मीणा हत्याकांड को लेकर भारी आक्रोश, बस में लगाई आग, भारी पुलिस बल की तैनाती