Rajasthan Elections 2023: राजस्थान कांग्रेस में शीर्ष की कलह की बातें कई बार सामने आ चुकी हैं. पहले सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) और अब उदयपुर वाटी और राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा (Rajendra Singh Gudha) के बयान से अंतर्कलह फिर देखी जा सकती है. विधानसभा चुनाव के कुछ ही महीने बचे हैं और अब कलह सिर्फ शीर्ष पर ही नहीं, बल्कि जिला स्तर पर दिखाई देने लगी है. ऐसा ही मामला उदयपुर में हुआ, जहां कांग्रेस वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य के सामने मुस्लिम समुदाय के कांग्रेस नेता एक कार्यक्रम के दौरान भड़क गए.
तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि 'अपना स्थान पक्का, बाकी खाए धक्का'. ऐसे में मेवाड़ में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी में सियासी हलचल मच गई है. क्योंकि कुछ समय पहले ही मुस्लिम समुदाय के कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने विरोध भी किया था कि उन्हें पार्टी में कोई पद नहीं दिया जा रहा है.
नव नियुक्त अध्यक्ष के शपथ ग्रहण समारोह में खलबली
दरअसल, कांग्रेस की तरफ से हाल ही में राजस्थान भर में नए अध्यक्षों की घोषणा की थी. इसी में उदयपुर शहर जिला अध्यक्ष के रूप में फतह सिंह राठौड़ को नियुक्त किया गया था. फतह सिंह राठौड़ का शपथ ग्रहण समारोह था. इस समारोह में मेवाड़ की कांग्रेस वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिजा व्यास और स्टेरिंग के सदस्य रघुवीर सिंह मीणा सहित अन्य कांग्रेस नेता शामिल हुए. इसी समारोह में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अंजुमन तालीमुल इस्लाम के पूर्व अध्यक्ष शराफत खान ने बेबाकी से अपनी बात सभी के सामने रखी.
यह कहां शराफत खान ने
उन्होंने अपने संविधान में कहा कि अपना स्थान पक्का, बाकी खाए धक्का. उदयपुर की परवाह न प्रदेश नेतृत्व को है, न एआईसीसी को. जब दिनेश श्रीमाली चुनाव लड़ें, तब यहां बैठे कई पदाधिकारियों ने टिकट मांगा था. यह हंसी की बात है या शर्म की या रोने की कि एआईसीसी ने टिकट श्रीमाली को दिया, जिन्होंने टिकट मांगा ही नहीं था. कांग्रेस में किसी को कुछ नहीं पता कि हो क्या रहा है? अध्यक्ष बनाने में 3 साल लगा देते हैं. फिर अध्यक्ष को कार्यकारिणी नहीं बनाने देते. बिना सेना के कोई सेनापति लड़ सकता है क्या? इसके अलावा भी चुनाव को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की.
एबीपी ने जब उनसे इस बयान के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं 40 साल से कांग्रेस में कम कर रहा हूं पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के समय से देख रहा हूं. अभी कांग्रेस उदयपुर को देख ही नहीं रही जबकि केंद्र स्तर के दो नेता यहां से है. ऐसे में कैसे चुनाव जीत पाएंगे. जिन्होंने टिकिट नहीं मांगा उन्हें दिया. जबकि पार्टी को सोचना था. अगर सोचती तो कांग्रेस का यहां से विधायक होता.