Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. चुनाव से पहले का जो अभी वक्त चल रहा है, वह है पार्टियों के दावेदारी जताने का. कार्यकर्ता से लेकर किसी भी पार्टी के पदाधिकारी पार्टी के शीर्ष के सामने अपनी दावेदारी जता रहे है. लेकिन इस दावेदारी से पार्टियों में विरोध और बगावत की स्थितियां बन रही है. ऐसा ही इन दिनों मेवाड़ में चल रहा हैं. कुछ दिनों पहले कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का जमकर विरोध सामने आया था. यही नहीं बात धक्का मुक्की और गिरेबान पकड़ने तक की नौबत आई थी. यह विरोध था उदयपुर शहर विधानसभा से बाहरी नेताओं द्वारा दावेदारी करने को लेकर. कांग्रेस से उदयपुर शहर विधानसभा सीट से 29 दावेदार सामने आए. अब भाजपा में भी बगावत और विरोध के स्वर तेज हो गई हैं. यहां जिलाध्यक्ष द्वारा शीर्ष नेतृत्व को भेजी 11 दावेदारों की सूची ने हंगामा खड़ा कर दिया है.
दरअसल उदयपुर भाजपा जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली ने प्रदेशाध्यक्ष को उदयपुर विधानसभा सीट से 10 दावेदारों के नाम भेज थे. लेकिन बाद में एक और नाम जोड़ा गया. इन दावेदारों को सूची मीडिया के सामने भी लाया गया. दावेदारों में नाम थे जिसमें रविन्द्र श्रीमाली खुद थे. इसमें उदयपुर के कद्दावर नेता उपमहापौर पारस सिंघवी और वागड़ के नेता डूंगरपुर पूर्व सभापति केके गुप्ता का नाम शामिल नहीं किया. जबकि इस सीट के लिए मुख्य दावेदारों में शामिल हैं. पहला विवाद इनके नाम शामिल नहीं करने पर उठाया गया. इसके बाद कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने दूसरा सवाल उठाया कि बिना पर्यवेक्षक के सूची कैसे भेज दी गई. इसके बाद बगावत शुरू हो गई और सूची को गलत भी कहा गया.
विरोध होने के बाद रविन्द्र श्रीमाली मीडिया के सामने आए और कहा कि शहर के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की गई थी. बैठक में यह 10 नाम सामने आए थे. इसके बाद यह सूची प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी को भेजी गई. उन्होंने कहा कि अभी भी नाम जुड़ सकते हैं. यह आखरी सूची नहीं है. हालांकि इधर भाजपा के कार्यकर्ता पर्यवेक्षक के आने पर ही उनके सामने दावेदारी करने के बाद मान्य मानने की बात के रहे हैं.