Rajasthan Election 2023: जयपुर की इस विधानसभा सीट से जीत दर्ज करने वाली पार्टी की बनती है सरकार, 15 साल के आंकड़े दे रहे गवाही
Rajasthan Election 2023: सिविल लाइंस विधानसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. पिछले तीन में से दो चुनाव में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार प्रताप सिंह खाचरियावास जीत दर्ज करने में कामयाब रहे हैं.
Civil Lines Vidhan Sabha Seat: राजस्थान विधानसभा चुनावों से पहले चर्चाओं और हारजीत और विधानसभाओं के समीकरण सैट करने का दौर शुरू हो गया है. राजस्थान में विधान सभा की कुल 200 सीटें हैं. मगर जयपुर जिले की एक विधानसभा सीट ऐसी है, जहां की जनता पिछले 15 सालों से सत्ता में आने वाले दल की आहट सुन लेती है, उसी के मुताबिक वह अपना नेता चुनती है.
जयपुर की सिविल लाइंस विधानसभा सीट के मतदाताओं का मिजाज बेहद अलग है. यहां के मतदाता एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी के कैंडिडेट को जिताकर विधानसभा में भेजते हैं. इस सीट पर लगभग 10 फीसदी मतदाता बाहरी हैं, जो अलग-अलग राज्यों के हैं और यहां पर रहते हैं. इस सीट से भले ही हर बार अलग प्रत्याशी को जीत मिलती है, मगर यहां पर प्रताप सिंह खाचरियावास का दबदबा रहता है. सत्तासीन कांग्रेस प्रताप सिंह खाचरियावास को लगातार मैदान में उतार रही है.
बीजेपी इस बार यहां से चेहरा बदलने की तैयारी में है क्योंकि, बीजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में बड़े वोटों के अंतर से हार मिली थी. इसके पहले जो जीत मिली उसमें भी हार जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं रहा था. इसलिए इस सीट पर बड़ा उलटफेर होने की आशंका जताई जा रही है. बीजेपी की तरफ से गोविन्द अग्रवाल का नाम चल रहा है. कुछ नाम कांग्रेस की तरफ से भी सामने आ रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में यहां से बदलाव के संकेत मिल रहे हैं.
सिविल लाइंस विधान सभा सीट के चुनावी आकंड़े
सिविल लाइंस विधान सभा सीट पर कुल 2 लाख 35 हजार 78 वोटर्स हैं. जिसमें पुरुष वोटरों की संख्या 1 लाख 23 हजार 91 और महिला वोटर्स की संख्या 1 लाख 11 हजार 987 हैं. वर्ष 2018 के चुनाव में इस सीट पर कुल 68.76 फीसदी मतदान हुआ था. वर्ष 2013 में 72.35 फीसदी और 2008 में 60.7 फीसदी मतदान हुआ था. इस सीट पर यूपी, बिहार, हरियाणा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के करीब 50 हजार से अधिक लोग रहते हैं. जिनमें से हजारों लोग वोटर के रुप में रजिस्टर्ड हैं.
ये है जाति आधारित मतदाताओं की संख्या
इस सीट पर कई बार बाहरी व्यक्तियों ने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ कर अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन अबतक किसी को कामयाबी नहीं मिली है. सिविल लाइंस विधान सभा सीट पर 55 हजार ब्राह्मण, 25 हजार वैश्य, 10 हजार राजपूत, 20 हजार माली, 25 हजार अनुसूचित जनजाति, 25 हजार मुस्लिम सहित अन्य वर्गों के मतदाता हैं. यहां के मतदाता पार्टी आधारित कैंडिडेट को ज्यादा तरजीह देते हैं.
क्या हैं प्रमुख मुद्दे?
सिविल लाइंस क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे पीने का पानी, सीवरेज, अच्छी सड़कें और ट्रैफिक जाम जैसी समस्या है. कई लोगों ने बताया कि इस सीट पर नेता आकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन ये दावे बाद में खोखले साबित होते हैं. किसी बार भी समस्या का हल नहीं होता है. मुद्दे ज्यों के त्यों बने रह जाते हैं. इतना ही नहीं यहां से चुनाव जीतने वाले अरुण चतुर्वेदी और प्रताप सिंह खाचरियावास दोनों मंत्री रहे. मगर समस्या का हल नहीं हो पाया. इस बार कई नेता नए वादे के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं.
कांग्रेस का रहा है दबदबा
वर्ष 2008 में इस सीट पर कांग्रेस के प्रताप सिंह खाचरियावास ने 58 हजार 166 वोट हासिल कर जीत करने में कामयाब रहे थे, इस चुनाव में बीजेपी के अशोक लाहोटी 51 हजार 205 वोटों के साथ दूसरे नम्बर पर थे. वर्ष 2013 के चुनाव में बीजेपी के अरुण चर्तुवेदी ने कांग्रेस प्रत्याशी को पटखनी दी थी, इस दौरान उन्होंने 77 हजार 693 वोट हासिल कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे. कांग्रेस के उम्मीदवार में प्रताप सिंह खाचरियावास को 66 हजार 564 वोट मिले और वह हार गए थे.
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सिविल लाइंस विधान सभा सीट सीट पर कांग्रेस ने उम्मीदवार प्रताप सिंह खाचरियावास ने वापसी की, जहां उन्हें कुल 87 हजार 937 वोट हासिल कर जीत का परचम लहराया था. जबकि मंत्री रहते हुए बीजेपी के अरुण चर्तुवेदी को हार का सामना करना पड़ा. इस बार यहां से बीजेपी और कांग्रेस में सीधी लड़ाई मानी जा रही है.
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