(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rajasthan Election 2023: राजस्थान की जनजाति बहुल सबसे शिक्षित सीट कौन सी है, वहां बीजेपी और कांग्रेस की चुनौतियां क्या हैं
Rajasthan Elections 2023: विधानसभा चुनाव आने वाला है. ऐसे में पार्टियां विधानसभा सीटों नफा-नुकसान का गुणा-भाग कर रही हैं. ऐसे में आइए देखते हैं कि उदयपुर की खेरवाड़ा सीट चुनावी गड़ित क्या है.
Rajasthan Election 2023 News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशासनिक स्तर पर देखें या राजनीतिक स्तर पर हर जगह तैयारियां चल रही हैं. एक-एक विधानसभा क्षेत्र को हर तरह से टटोला जा रहा है. मेवाड़ की बात करें तो यहां जनजाति बहुल सीटे ज्यादा हैं. इसी में एक सीट ऐसी है जिसे जनजाति बहुल की सबसे शिक्षित सीट कहा जाता है. यह सीट है उदयपुर जिले की खेरवाड़ा विधानसभा सीट.बड़ी बात यह है कि यहां कांग्रेस के नेता डॉ दयाराम परमार 6 बार विधायक रह चुके हैं. इस सीट के लिए यह भी कहा जाता है कि जैसे राजस्थान में हर बार सरकार बदलती है, वैसे ही यहां भी पार्टी बदलती है.कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस से विधायक बनते हैं.जानिए, यह सीट क्या कहती है.
गुजरात से नजदीक खेरवाड़ा सीट
खेरवाड़ा कस्बा उदयपुर से 82 किलोमीटर दूर है. यह गुजरात के पास पड़ता है. यहां से कुछ ही दूरी पर गुजरात बॉर्डर है. गुजरात में शराब तस्करी का यह भी मुख्य मार्ग माना जाता, क्योंकि आए दिन यहां अवैध शराब तस्करी पर पुलिस कार्रवाई करती है. खेरवाड़ा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित विधानसभा सीट है. यह उदयपुर लोकसभा सीट का हिस्सा है. यहां से डॉक्टर दयाराम परमार 6 बार विधायक और एक बार मंत्री रह चुके हैं. वहीं इनको टक्कर देते आए हैं बीजेपी के नानालाल अहारी, जो खुद में यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं. वर्ष 2018 चुनाव में दयाराम परमार जीते थे. वहीं 2013 के चुनाव में नानालाल अहारी जीते थे. वहीं 2008 में कांग्रेस तो 2003 में बीजेपी जीती थी. यहां ऐसा ही चलता आया है. इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या दो लाख 34 हजार 596 है.
जिला घोषित करने की मांग, जो पूरी नहीं हुई
स्थानीय लोगों का कहना है कि खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख तीन मांगे हैं. इनमें प्रमुख है खेरवाड़ा को जिला घोषित करना. इसके लिए कई बार मांग उठी, लेकिन सीएम गहलोत के जिलों की घोषणाओं की सूची में खेरवाड़ा का नाम आ गया. जबकि सलूम्बर को नया जिला बना दिया गया. इसको लेकर कस्बे में नाराजगी भी है. दूसरी मांग पानी की है, यहां पास में गोदावरी डेम है, जिससे पर ही लोग निर्भर हैं. लेकिन एक बार यह सूखा तो अकाल जैसे हालात हुए.अब मांग है कि विधानसभा क्षेत्र का बड़ा कस्बा ऋषभदेव के पास स्थिति कागदर डेम से खेरवाड़ा पानी लाया जाए.वहीं तीसरी मांग है कि खेरवाड़ा कस्बे से गुजर रहे एनएच-8 पर एलिवेटेड रोड बनाया जाए.इसके लिए लोग नितिन गडकरी तक पहुंच गए थे. बताते हैं कि बजट भी आया था लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ.
कांग्रेस में उठे बगावत के स्वर
करीब दो साल पहले सीएम अशोक गहलोत ने जब मंत्रिमंडल का गठन किया था तो नाराज पूर्व मंत्री और खेरवाड़ा से कांग्रेस विधायक डॉ दयाराम परमार ने सीएम अशोक को लेटर तक लिख दिया था. सीएम से उन्होंने पूछा था मंत्री बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि मंत्री बनने के लिए शायद विशेष योग्यता चाहिए,हमे भी बताएं कि वह क्या है.यह लेटर काफी चर्चाओं में आया था.
बीजेपी को मजबूत चेहरे की जरूरत
राजनीतिक विश्लेषक डॉ कुंजन आचार्य ने बताया कि खेरवाड़ा सीट उदयपुर संभाग की आदिवासी बहुल सीट है. लेकिन इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि यह प्रदेश की पहली शिक्षित जनजाति बहुल सीट है. यह यह एक तरह से कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है, जहां पर दयाराम परमार लगातार जीते रहे हैं. वह मंत्री भी रह चुके हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में बहुत अच्छी जीत के बावजूद उन को मंत्री पद नहीं दिया गया. इस बात की नाराजगी दयाराम परमार स्वयं कई बार व्यक्त कर चुके हैं.वह पीएचडी धारी हैं, इसलिए अपने विरोध के स्वर में उन्होंने कई बार यह प्रश्न उठाया है कि मंत्री पद पढ़े-लिखे आदमी को मिलना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी के लिए यहां फिलहाल कोई चेहरा मजबूत दिखाई नहीं पड़ता. यही कारण है कि पिछली बार भी बीजेपी के ही दो दावेदारों के कारण उसके वोटों का गणित गड़बड़ा गया था. बीजेपी का एक नेता बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर आया था. हालांकि परमार स्वयं एक बार निर्दलीय चुनाव जीत चुके हैं. उस साल पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया था. कुल मिलाकर देखा जाए तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को एक मजबूत और स्वीकार्य चेहरे की जरूरत है. उसे भितरघात जैसी चुनौतियों से निपटना भी बेहद जरूरी है. कांग्रेस में परमार के समकक्ष कोई चेहरा कभी मुखर स्वर में सामने नहीं आया. इसलिए फिलहाल परमार की दावेदारी मजबूत है. लेकिन उनकी बढ़ती उम्र एक नकारात्मक पहलू साबित हो सकता है.
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