Rajasthan Election 2023 News: राजस्थान में विधानसभा के चुनाव को 5 माह रह गए हैं. इसको लेकर हर वर्ग अपनी मांग उठा रहा है और सरकार तक पहुंचा कर विरोध दर्ज करवा रहा है. इसी क्रम में आज उदयपुर में 40 साल पुरानी मांग को लेकर धरना दिया गया. इस धरने में खास बात यह है कि अभी पार्टियों के नेता एक ही मंच पर थे और सभी की एक ही आवाज थी. यह मांग करने वाले उदयपुर के अधिवक्ता थे और मांग है उदयपुर हाई कोर्ट बेंच की स्थापना की जाए.
अधिवक्ताओं ने कोर्ट के बाहर धरना दिया जहां भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य दलों के नेता और सामाजिक संगठन के पदाधिकार उपस्थित हुए सभी ने अपनी मांग को लेकर समर्थन दिया. भाषण के बाद सभी रैली निकालकर जिला कलेक्ट्री पहुंचे और वहां प्रदर्शन किया. फिर सभी ने राष्ट्रपति के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा.
क्या है यह 40 साल पुरानी मांग?
मेवाड़ वागड़ हाई कोर्ट बैंच संघर्ष समिति संयोजक रमेश नंदवाना ने बताया कि यह हमारी 40 साल पुरानी मांग चली आ रही है. कई सरकारें आई और गई लेकिन किसी ने नहीं सुनी. पिछले कई वर्षों से हम हर माह के प्रथम शनिवार को कार्य बहिष्कार भी करते हैं और धरना प्रदर्शन करते हैं. उदयपुर में हाई कोर्ट बैंच कक स्थापना हो जाए तो यहां के लोगों को जोधपुर तक नहीं जाना पड़ेगा.
इस मांग को करने के पीछे कारण है कि उदयपुर में कोई मुकदमा हुआ सेशन के बाद किसी को अपील करनी है तो जोधपुर जाना पड़ता है जो कि उदयपुर से काफी दूर है. साथ ही यहां जनजातीय क्षेत्र है जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर है जिससे खर्चा कर वहां नहीं जा सकते. इसी कारण से कई ऐसे कैदी हैं जो जेल में हैं और जमानत के लिए भी अपील नहीं कर पा रहे हैं.
अधिवक्ताओं ने मेवाड़ की 28 विधानसभा सीट को लेकर दिया बयान
अधिवक्ता रमेश नंदवाना ने कहा कि सीएम गहलोत के रहते हुए आना संभव नहीं होगा. इसके पीछे कारण है कि अगर उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच स्थापित होती है तो सभी मुकदमे यहीं पर लड़े जाएंगे. ऐसे में जोधपुर के अधिवक्ताओं की आय प्रभावित होगी. उदयपुर में हाई कोर्ट बेंच की पहले भी मांग उठी थी जिसमें जोधपुर के अधिवक्ताओं ने विरोध किया था.
जोधपुर के कारण ही सीएम गहलोत हाई कोर्ट बेंच उदयपुर को देने के लिए मना कर रहे हैं. लेकिन हम यह कहना चाह रहे हैं कि वह सिर्फ जोधपुर के सीएम नहीं हैं. पूरे राजस्थान के सीएम हैं. अगर मांगे नहीं मानी गई तो मेवाड़ की 28 विधानसभा सीट और 5 लोकसभा सीट में जमकर विरोध किया जाएगा. चुनाव में उनको वोट की ताकत दिखाई जाएगी.